खरगोन (Khargone)। मध्य प्रदेश से एक अनोखा मामला सामने आया है यहाँ एक किसान ने ऐसा कारनामा (The farmer did such a feat) किया है, जो चौंकाने वाला है. मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में बिजली कटौती (power cut) और पानी की समस्या से निजात पाने के लिए एक किसान ने अद्भुत जज्बा और जुनून दिखाया है, किसान ने कुंदा नदी पर एक विशाल बांध बनाया है. किसान ने बिजली पैदा करने के लिए विशाल टरबाइन खड़ी कर दी है. इसके लिए किसान ने 12 साल पहले अभियान शुरू कर दिया था. केंद्र सरकार और मध्य प्रदेश सरकार कि ओर से अब तक इसके लिए कोई मदद नहीं मिली है. किसान ने बताया कि आर्थिक मदद नहीं मिलने से 1 मेगावॉट बिजली पैदा करने का किसान का सपना अधूरा रह गया है.
वहीं किसान ने इस पॉवर प्लांट को खड़ा करने में करीब 7 करोड़ रुपये खर्च कर दिया है. किसान ने कहा कि उन्हें आस है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से मदद करेंगे.
बिजली की कमी के कारण लिया निर्णय
किसान मोहनलाल जांगड़ा ने बताया वर्ष 2009 में पिता का निधन हुआ और उनके दश कर्म करने के लिए कुंदा नदी के किनारे गया था. इस दौरान गर्मी के मौसम में नदी में पर्याप्त पानी नहीं था और किसान सिंचाई के लिए संघर्ष कर रहे थे. तब मुश्किल से 6 घंटे भी बिजली नहीं मिलती थी.
पर्याप्त बिजली नहीं मिलने और पानी की समस्या बनी रही. पानी और बिजली की समस्या से निजात पाने के लिए मेरे मन में कुंदा नदी पर डेम और बिजली उत्पादन के लिए टरबाइन बनाने का विचार आया और इस तरह 2011 में मैंने पावर प्लांट बनाने का अभियान शुरू कर दिया.
किसान ने बनाया 600 फीट लंबा डेम
किसान ने अथक प्रयास कर तीन ग्राम पंचायत की सीमा पर बांध का निर्माण किया. यहां कुंदा नदी पर 600 फीट से अधिक लंबा और करीब 5 फीट चौड़ा बांध तैयार किया है. करीब 15 फीट ऊंचा सीमेंट का आर्च बांध बनाया गया है. इसकी गहराई करीब 15 फ़ीट बताई जा रही है. प्रोजेक्ट की डीपीआर मंजूरी और लेटर के साथ ही कलेक्टर द्वारा डेम साइट पर 3100 वर्ग मीटर जमीन आवंटित की गई है. पॉवर मैनेजमेंट कंपनी जबलपुर के साथ पॉवर पर्चेस एग्रीमेंट भी हुआ है, लेकिन किसान को अब तक सब्सिडी की राशि नहीं मिली है. दरअसल केंद्र की योजना में 90 फीसदी सब्सिडी निर्धारित था.
पीथमपुर की फैक्ट्री से मिला अनुभव
किसान मोहनलाल जांगड़े ने मैकेनिकल में डिप्लोमा करने के बाद लंबे समय तक पीथमपुर फैक्ट्री में काम किया. इसके चलते उन्हें मैकेनिक के साथ सिविल और इलेक्ट्रिकल कामकाज का अनुभव मिला. साथ ही पीथमपुर में ट्रांसपोर्ट का काम भी शुरू किया. इसके चलते इतनी राशि वे प्रोजेक्ट पर लगा सके प्रोजेक्ट का काम धीरे-धीरे होता चला गया. डेम बनाने के बाद किसान ने अपने खेत तक पानी पर पहुंचने के लिए 4 किलोमीटर की लंबी पाइप लाइन भी डाली है.
इंदौर के जीएसआईटीएस से ली थी राय
किसान मोहनलाल ने बताया इंदौर के जीएसआईटीएस पावर प्लांट के लिए जानकारी ली. वहां से पता चला कि केंद्र शासन की योजना में सब्सिडी मिलता है. योजना की पूरी जानकारी के लिए अक्षय ऊर्जा विभाग जो अब न्यू एंड रिनिवल एनर्जी विभाग के नाम से जाना जाता है, वहां से मिली गाइडलाइन के हिसाब से ग्राम पंचायत, जल संसाधन विभाग, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग, वन विभाग, हाइड्रो मेट्रोलॉजी आदि विभागों से एनओसी और परमिशन लेने में ही 2 साल लग गए.
14 मीटर 200 डाया का टरबाइन
मोहनलाल का कहना है 14 मीटर 200 दया का टरबाइन है. एक बार प्लेनेटरी गियरबॉक्स चलाने पर टरबाइन 252 बार घूमता है. एक बार में करीब 100 किलोवाट टी बिजली तैयार की जा सकती है और केंद्र शासन मदद करता है तो इसी टरबाइन से एक मेगावाट बिजली जनरेट हो सकती है.
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