- जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया की सात सदस्यों की टीम ने शिवलिंग क्षरण को लेकर की जाँच-पूर्व में भी लिए गए थे नमूने
उज्जैन। बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकाल मंदिर शिवलिंग का आकार घट रहा है और चढ़ाई गई सामग्री तथा उसे मलने से कई जगह क्षति हो रही है जिस पर आज जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया की सात सदस्य टीम उज्जैन पहुँची। टीम ने मंदिर में आज सुबह भस्म, शिवलिंग पर चढऩे वाला जल और भांग के नमूने लिए। जांच टीम भोपाल जाकर अधिकारियों को रिपोर्ट सौंपेगी। इसके पहले भी कई बार आर्केलाजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया की टीम यहाँ आकर जाँच कर चुकी है।
महाकाल ज्योतिर्लिंग के शिवलिंग के क्षरण को लेकर आज सुबह महाकाल में जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की सात सदस्यों की टीम पहुंची और टीम ने महाकाल पर चढऩे वाली भस्म जल और भांग के नमूने लिए। महाकाल मंदिर शिवलिंग को हो रहे नुकसान (क्षरण) को लेकर मामला 2017 में सुप्रीम कोर्ट में चला गया था। इस मामले में आदेश जारी किया था कि एएसआई और जीएसआई की टीम प्रति वर्ष शिवलिंग की जांच कर रिपोर्ट कोर्ट को सौंपे। सोमवार को सात सदस्यीय दल ने मंदिर पहुंचकर शिवलिंग की स्थिति का आंकलन किया। टीम ने शिवलिंग पर चढ़ाई गई सामग्री और जल का सैम्पल लिया। टीम ने मंदिर में चढऩे वाले आर ओ जल के सेम्पल को भरकर अपने साथ ले गए। लेबोरेटरी में टेस्टिंग के बाद रिपोर्ट जीएसआई के अधिकारियों को सौपी जाएगी। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के भोपाल ऑफिस से आए डायरेक्टर आर एस शर्मा सहित सात लोगों के दल ने सुबह से मंदिर में अलग अलग सेम्पल लेना शुरू किये जिसमें भस्म, आर ओ वाटर, भांग, श्रृंगार और पूजन के बाद चेम्बर में निकलने वाले पानी के नमूने लिए है। टीम पानी भांग और श्रृंगार का टेस्ट कर ये जाँचेगी की इनसे शिवलिंग को क्षरण तो नहीं हो रहा है। रिपोर्ट आने के बाद उसे कोर्ट में सौपा जाएगा। महाकाल लोक बनने के बाद हजारों की संख्या में भक्त रोजाना मंदिर पहुँच रहे हैं। ऐसे में मंदिर समिति ने क्षरण और भक्तों की बढ़ती संख्या को देखते हुए गर्भ गृह को बंद कर दिया है। इसके बाद से सिर्फ वीवीआईपी या पण्डे पुजारी ही गर्भगृह में पूजन अभिषेक करते है। ऐसे में टीम ने जो सेम्पल लिए उसकी जाँच रिपोर्ट आने के बाद पता चलेगा की पाँच माह से बंद गर्भगृह से शिवलिंग कितना सुरक्षित रह पाया है। या फिर पहले जैसे ही क्षरण हो रहा है। जीएसआई की टीम ने साल 2019 में महाकाल मंदिर का निरीक्षण कर सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी थी। उसके बाद दिसंबर 2022 में जीएसआई ने फिर से निरीक्षण किया था। उसने पाया कि 2021 में दिए गए कई सुझावों पर अमल नहीं किया गया है। शिवलिंग पर भस्म का गिरना और श्रद्धालुओं की स्पर्श पूजा और रगडऩे से ज्योतिर्लिंग को नुकसान हो रहा है। महाकाल के शिवलिंग को रगडऩे, भस्म गिरने और स्पर्श पूजा से ज्योतिर्लिंग पर छोटे-छोटे छिद्र बन गए हैं, और ये बढ़ रहे हैं। इससे बैक्टीरिया पनपते हैं, जिससे क्षरण हो रहा है जिसके बाद जुलाई 2023 से गर्भ गृह में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।