लंदन। मर्सिडीज कारों(mercedes cars) का जलवा हमेशा रहा है। वर्ष 1955 में बनी मर्सिडीज बेंज-300 एसएलआर कार अब 1105 करोड़ रुपये में बिक दुनिया की सबसे महंगी कार बन गई। इसने वर्ष 2018 में नीलाम 1962 में निर्मित और करीब 375 करोड़ रुपये में बिकी फरारी-जीटीओ (Ferrari GTO) को पीछे छोड़ दिया है।
जर्मनी (Germany) में गुप्त नीलामी के जरिए यह कार बिकी। दुनिया की सबसे महंगी विंटेज मर्सिडीज खरीदने वाले का नाम गुप्त रखा गया है। कार के नए मालिक को इतनी रकम चुकाने के बावजूद न तो इसे घर ले जाने की इजाजत होगी, न ही वह हर रोज सड़कों पर इससे फर्राटा भर पाएंगे। सौदे के मुताबिक इस बेशकीमती कार (prized car) को जर्मनी के स्टटगार्ट स्थित मर्सिडीज के म्यूजियम में रखा जाएगा।
कंपनी ने बनाईं केवल नौ कारें
मर्सिडीज कंपनी ने 300 एसएलआर श्रेणी में अब तक केवल नौ कारों का उत्पादन किया है। इनमें से दो विशेष उलेनॉ कूप प्रोटोटाइप कारें थीं। चेकिंग विभाग के मुखिया ने इनमें से एक कार को कंपनी की कार के तौर पर चलाया।
कारों की मोनालिसा नाम से पहचान
इस 300 एसएलआर कार को उन ‘चांदी की तीर’ जैसी कारों का वंशज माना जाता है, जिनका 1930 के दशक में रेसिंग में दबदबा था। यह कारों की मोनालिसा नाम से पहचानी जाती है। मर्सिडीज बेंज चेयरमैन ओला क्लेनियस ने कहा, ‘इससे हम मर्सिडीज की ताकत को दिखाना चाहते थे, जो कर दिखाया।’
नीलामी से मिली रकम से देंगे स्कॉलरशिप
नीलामी से मिली 1105 करोड़ रुपये की राशि को कंपनी इंजीनियरिंग, गणित, विज्ञान के विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप देने के लिए उपयोग करेगी।
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