नई दिल्ली । कोरोना टीकाकरण (Covid-19 Vaccination) के पहले फेज के लिए भारत को 1.8 बिलियन डॉलर (1.8 Billion Dollar) यानी तकरीबन 13 हजार करोड़ रुपए खर्च करने पड़ सकते हैं. यह बात अंतरराष्ट्रीय संस्था Gavi, the Vaccine Alliance के आंकड़ों में सामने आई है. भारत दुनिया में कोरोना महामारी से अमेरिका के बाद सर्वाधिक प्रभावित देश है. भारत में 2021 के शुरुआती 6 से 8 महीने में तकरीबन 30 करोड़ लोगों के टीकाकरण की तैयारी है. इसे टीकाकरण का पहला चरण कहा जा रहा है.
भारत के टीकाकरण कार्यक्रम में कई वैक्सीन शामिल की जा सकती हैं जिसमें एस्ट्रेजेनेका, स्पूतनिक, जायडस कैडिला और स्वदेशी कोवैक्सीन शामिल है. समाचार एजेंसी रॉयटर द्वारा गावी के डेटा को रिव्यू करने के बाद सामने आया है कि भारत को 30 करोड़ लोगों के टीकाकरण के लिए 60 करोड़ वैक्सीन डोज की आवश्यकता होगी. इसके लिए करीब 13 हजार करोड़ का खर्च आ सकता है जो भारत जैसे विकासशील देश के सामने बड़ी चुनौती है.
स्वदेशी वैक्सीन का सपोर्ट मिला तो कम हो सकता है खर्च
बताया गया है कि अगर भारत 60 करोड़ में से 25 करोड़ डोज तक स्वदेशी कोवैक्सीन से प्राप्त कर लेता है तो ये उसके लिए सबसे ज्यादा मुफीद होगा. ऐसी स्थिति में भी भारत को तकरीबन 10 हजार करोड़ रुपए खर्च करने पड़ सकते हैं. गौरतलब है कि भारत की स्वदेशी कोरोना वैक्सीन के पहले फेज के क्लीनिकल ट्रायल की आधिकारिक घोषणा बुधवार को कर दी गई है. भारत बायोटेक और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा बनाई जा रही ये वैक्सीन एंटीबॉडी क्रिएट करने में कारगर दिखाई दे रही है.
BBV152 के वैज्ञानिक नाम वाली इस वैक्सीन को 2 से 8 डिग्री तापमान पर ही रखना होता है. और यही वजह है कि इस वैक्सीन का देश में बेसब्री के साथ इंतजार किया जा रहा है. क्योंकि Pfizer या मॉडर्ना की वैक्सीन के लिए टेंपरेचर कंट्रोल की व्यवस्था करना भी एक चैलेंज है. जहां Pfizer को -70 डिग्री तो वहीं मॉडर्ना को -30 डिग्री तापमान पर स्टोर करके रखना है.
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