नई दिल्ली: भगवान शिव (Lord Shiva) का रूप अनूठा है. पूरे शरीर पर भस्म लपेटने वाले, वस्त्र की जगह छाल पहनने वाले, अपनी जटाओं में गंगा को समाहित करने वाले और गले में जहरीले नाग को धारण करने वाले शिव से जुड़ा हर प्रतीक अलग और खास है. उनके एक हाथ में डमरू और त्रिशूल है, जो बुरी ताकतों के संहार के लिए है. उनके सिर पर चंद्रमा सुशोभित है. भोलेनाथ द्वारा धारण की गई हर चीज किसी न किसी बात का प्रतीक है. आज नाग पंचमी (Nag Panchami) के मौके पर जानते हैं कि गले (Neck) में सांप (Snake) धारण करने के पीछे क्या वजह है.
शिव के गले में लिपटे हैं वासुकी नाग
धर्म पुराणों में 12 देव नागों का उल्लेख है और हर महीने में एक-एक नाग की प्रार्थना-पूजा करने के लिए कहा गया गया है. इन नाग देवों में से ही एक वासुकी नाग (Vasuki Nag) भगवान शिव के गले में लिपटे हुए हैं. वासुकी नाग शिव जी के परम भक्तों में से हैं. शिव का नागों से अटूट संबंध है, इसीलिए शिव भक्ती के पवित्र महीने सावन का एक दिन नागों की पूजा के लिए समर्पित है. नाग पंचमी के दिन नाग पूजा करने से शिव जी बहुत प्रसन्न होते हैं. इस दिन शिव जी की भी पूजा करनी चाहिए. इससे नाग पंचमी की पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है.
क्यों शिव के गले में लिपटे हैं नाग?
धर्म-पुराणों के मुताबिक जब समुद्र मंथन (Samudra Manthan) हुआ तो भगवान विष्णु समुद्र के बीचोंबीच क्च्छप बनकर स्थिर खड़े हुए और फिर उनके ऊपर मदरांचल पर्वत को रखा गया. वहीं वासुकी नाग को रस्सी के रूप में मंथन में उपयोग किया गया. वासुकी नाग को एक ओर से देवताओं ने थामा और दूसरी ओर से असुरों ने. समुद्र मंथन में कई चीजें निकलीं और इसे देवताओं और असुरों के बीच बांटा गया.
इसी दौरान इसमें से जो भयंकर विष निकला, उससे धरती को बचाने के लिए शिव ने ग्रहण किया. मंथन की इस प्रक्रिया में वासुकी नाग लहु-लुहान हो गए थे. वे शिव जी के परम भक्त थे, शिव ने उनकी भक्ति देखकर अपने गणों में शामिल किया और उन्हें अपने गले में स्थान दिया. इसके अलावा यह इस बात का प्रतीक भी है भगवान ने संसार की भलाई के लिए खुद जहर को ग्रहण कर लिया. यह इस बात का भी संकेत है कि यदि बुरे लोग भी अच्छे काम करें तो भगवान उन्हें कभी न कभी स्वीकार कर लेते हैं.
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