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    ये है YouTubers का गांव, जानिए क्यों बुलाया जाता है इसे ऐसा

  • August 30, 2022

    रायपुर: छत्तीसगढ़ के रायपुर (Raipur of Chhattisgarh) का तुसली गांव YouTubers के हब में तब्दील हो चुका है. इस गांव में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग ऑनलाइन वीडियो शेयरिंग (online video sharing) और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए कंटेंट तैयार कर रहे हैं. गौर करने वाली बात यह है कि यहां लोग इसत ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (online platform) को करियर के तौर पर देख रहे हैं. इस गांव में लगभग 40 YouTube चैनल हैं. एंटरटेनमेंट के अलावा, ये YouTubers शिक्षा से जुड़े कंटेंट भी बनाते हैं.

    छत्तीसगढ़ के तुलसी गांव में YouTube कल्चर की शुरुआत दो दोस्तों ज्ञानेंद्र शुक्ला और जय वर्मा (Gyanendra Shukla and Jai Verma) ने की थी. जल्द ही इसका अनुसरण गांव के अन्य लोग भी करने लगे. पूरा तुसली गांव ही इस पेशे में आ गया. आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि YouTube में करियर शुरू करने के लिए ज्ञानेंद्र शुक्ला ने अपनी SBI की नौकरी और जय वर्मा ने टीचर की नौकरी छोड़ दी.


    शुक्ला ने बताया कि मैंने पहले एसबीआई में एक नेटवर्क इंजीनियर के रूप में काम किया था. मेरे ऑफिस में हाई-स्पीड इंटरनेट था और मैं वहां YouTube वीडियो देखता था. मुझे पहले से ही फिल्मों का शौक था. 2011-12 में, YouTube का एक नया वर्जन लॉन्च किया गया था. उस समय यूट्यूब पर बहुत कम चैनल थे. मैं अपनी 9 से 5 की नौकरी से संतुष्ट नहीं था. इसलिए मैंने नौकरी छोड़ दी और यूट्यूब के साथ शुरुआत की. अब तक, हमने लगभग 250 वीडियो बनाए हैं और 1.15 सब्सक्राइबर हैं.

    शुक्ला ने बताया कि पहले हम YouTube पर कंटेंट बनाने में संकोच करते थे और सार्वजनिक स्थानों पर शूट नहीं कर पाते थे. लेकिन जब कुछ गांव के बुजुर्गों ने हमें रामलीला में एक्टिंग करने के लिए कहा, तो हमारी झिझक दूर हो गई. आज इस गांव के लगभग सभी लोग YouTube के लिए वीडियो बनाते हैं और कमाते हैं. गांव में करीब 3,000 लोग हैं, इनमें से 40 फीसदी लोग यूट्यूब से जुड़े हैं.

    जय वर्मा ने बताया कि हमें देखकर लोगों ने YouTube के लिए वीडियो बनाना शुरू कर दिया. बाद में टिकटॉक के लिए और अब रीलों के लिए भी. मेरे पास केमिस्ट्री में एमएससी की डिग्री है. मैं एक टीचर था और मेरा एक कोचिंग इंस्टीट्यूट भी था. पहले मैं महीने में 12,000 से 15,000 रुपये कमाता था और अब हम महीने में 30,000-35,000 रुपये कमाते हैं. एक अन्य यूट्यूबर पिंकी साहू ने कहा कि नक्सल प्रभावित राज्य में यूट्यूब लड़कियों को सशक्त बनाने का एक माध्यम है. मैं 1.5 साल से यूट्यू से जुड़ी हूं. हमारे पास लगभग 40 YouTube चैनल हैं. यहां महिलाओं को आमतौर पर घरों से बाहर निकलने की अनुमति नहीं है, लेकिन हमारे YouTube चैनल के माध्यम से हमने उन्हें काफी जानकारी दी है कि लड़कियां भी कुछ कर सकती हैं.

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