नईदिल्ली | दुनिया का सबसे सीक्रेट देश कहा जाने वाला नॉर्थ कोरिया अब भारत का दोस्त बन सकता है क्योंकि राष्ट्रपति ने किम जोंग उनको संदेश भेजा है। लद्दाख में चीन से चल रहे तनाव के बीच भारत अब ड्रैगन के करीबी मित्र और उत्तर कोरिया के सैन्य तानाशाह किम जोंग उन को साधने में जुट गया है। भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने उत्तर कोरिया के 72 वें स्थापना दिवस पर बधाई संदेश भेजा है। राष्ट्रपति कोविद ने यह पत्र किम जोंग उन को लिखा है। इस पत्र को भारत के उत्तर कोरिया में राजदूत अतुल एम गोतसर्वे ने उत्तर कोरिया के उप विदेश मंत्री को सौंपा।
इससे पहले भारत के राजदूत ने किम जोंग उन को बधाई संदेश दिया था जो देश में चर्चा का विषय बन गया था। भारतीय राजदूत के संदेश को न केवल उत्तर कोरिया के सरकारी अखबार में जगह दी गई बल्कि टीवी पर भी उसका प्रसारण किया गया। बताया जा रहा है कि दुनिया से कटे उत्तर कोरिया में ऐसा बहुत कम होता है कि किसी विदेशी राजनयिक के संदेश को इतनी तवज्जो दी गई हो।
खबर है कि उत्तर कोरिया के सरकारी टीवी चैनल नैशनल टेलीविजन ऑफ नॉर्थ कोरिया पर प्राइम टाइम में न केवल भारत का जिक्र हुआ बल्कि भारतीय राजदूत के संदेश को पढ़ा गया। भारतीय राजदूत अतुल एम गोतसर्वे ने किम जोंग उन को मार्शल बनाए जाने के 8 साल पूरे होने पर उन्हें बधाई संदेश भेजा था। साथ ही फूलों का गुलदस्ता भेजा था। इस पर किम जोंग उन के स्वस्थ रहने की कामना की गई थी।
यही नहीं भारतीय राजदूत के बधाई संदेश को उत्तर कोरिया के सरकारी अखबार रोडोंग सिनमुन में भी प्रमुखता से प्रकाशित किया गया। यह अखबार उत्तर कोरिया के आधिकारिक दृष्टिकोण को दर्शाता है। बता दें कि कोरियाई प्रायद्वीप में शांति की स्थापना के लिए भारत ने लंबे समय से बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कोरियाई युद्ध के समय भारत के एंबुलेंस यूनिट ने दो लाख 20 हजार लोगों का इलाज किया था।
यूएस डिपॉर्टमेंट ऑफ आर्मी हेडक्वॉर्टर की नार्थ कोरिया टेक्टिस नाम की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि किम जोन उन अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए इन हथियारों का त्याग नहीं करेंगे। आर्मी हेडक्वॉर्टर ने अनुमान जताया है कि उत्तर कोरिया के पास 20 से लेकर 60 परमाणु बम है। इसके अलावा उसके पास हर साल 6 नए उपकरणों को बनाने की क्षमता है।
इससे पहले भारत ने कोरोना वायरस के कहर को देखते हुए नॉर्थ कोरिया को 10 लाख डॉलर की मेडिकल सहायता भेजी थी। ऐसा वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन से मिले अनुरोध के बाद किया गया था। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत, उत्तर कोरिया में मेडिकल उपकरणों/सामग्री की कमी और वहां के हालात के प्रति संवेदनशील है और उसने टीबी की दवा के रूप में 10 लाख डॉलर की मानवीय सहायता प्रदान करने का फैसला लिया। बता दें कि नॉर्थ कोरिया चीन का करीबी है और चीन से हमारे रिश्ते इस वक्त कैसे चल रहे हैं वह किसी से छिपा नहीं है।
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