बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना हो रहे हैं
शादी (Marriage) में बिन बुलाए अगर कोई पहुंच जाए तो क्या करें? ऐसा ही महाराष्ट्र (Maharashtra) चुनाव प्रचार (Election campaign) में देखने को मिल रहा है। कई ऐसे लोग भी वहां पहुंच गए जिनका चुनाव प्रचार से कोई वास्ता नहीं है। वे प्रदेश के नेताओं के आगे-पीछे घूमकर बता रहे हैं कि भैया ने उन्हें भी जवाबदारी दी है, जबकि हमारे कान तक तो ये खबर आई है कि बिना बुलाए पहुंचे इन मेहमानों को चाय भी अपनी जेब से पीना पड़ रही है, बाकी व्यवस्था तो अलग ही है। जिनकी जेब में दम है, वे टिके हैं और जो दूसरों के नाम पर चाय पीते थे, वे धीरे से वहां से खिसक आए हैं। ऐसे इंदौरी नेताओं की संख्या नागपुर में बहुत ज्यादा हो गई, जहां काबिना मंत्री कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) 12 सीटों पर दिन-रात एक किए हुए हैं। संगठन वालों का तो कहना है कि हमने तो किसी को नहीं भेजा। भोपाल से ये सूचियां तैयार होती हैं। अब अगर कोई बेगानी शादी में दीवाना होकर नाचे तो हम क्या कर सकते हैं?
युवा मोर्चा में रहे नेता भी देख रहे अध्यक्ष के सपने
युवा मोर्चा में प्रदेश कार्यकारिणी में रहे और वर्तमान में प्रदेश में ही एक प्रकोष्ठ का दायित्व संभालने वाले नेताजी को भी नगर अध्यक्ष के सपने आने लगे हैं। उन्होंने इसके लिए अभी से ही दौड़भाग शुरू कर दी है। नेताजी को विश्वास है कि उनके आका उनकी इस बार पूरी मदद करेंगे। नेताजी स्थानीय नेताओं से भी समीकरण बनाने में लग गए हैं। अभी एक विधायक के यहां आयोजित भजन संध्या के कार्यक्रम में वे रातभर हाजरी भराते रहे। उन्हें देख दूसरे दावेदारों को भी आश्चर्य हुआ कि आखिर ये विधायकजी का पीछा क्यों नहीं छोड़ रहे हैं?
पुराने साब का नया रूप दिखने लगा
कांग्रेस के राज में राजनीति और ब्यूरोक्रेसी में अपनी धाक जमाने वाले एक साब इन दिनों मोटिवेशनल स्पीकर की भूमिका में नजर आ रहे हैं। साब ने पिछले दिनों एक किताब भी लिखी है, जिसका विमोचन भी एक होटल में धूमधाम से किया गया। फिलहाल साब के पास कुछ काम नहीं है और वे सोशल मीडिया में सक्रिय हैं। अपने अनुभवों के आधार पर वे लाइफ स्टाइल के फंडे भी बता रहे हैं। वैसे साब की तूती अभी भी बोलती है और बोलवचन में तो वे माहिर हैं ही। बाकी काम उनके मीडिया साथियों ने कर दिखाया है जो उनके उस जमाने से मित्र हैं।
इस बार दांव उल्टा पड़ गया पार्षद पति का
शहर के मध्य क्षेत्र की एक पार्षद के पति के किस्से आम है। साहब कहीं भी पहुंच जाते हैं और राजनीतिक रसूख दिखाते हुए गैरवाजिब मांग कर बैठते हैं, लेकिन इस बार उनका दांव उल्टा पड़ गया। इसको लेकर क्षेत्र के नेता खूब चटखारे ले रहे हैं। हुआ यूं कि उनके वार्ड में एक होटल बन रही थी और आदत के अनुसार पार्षद पति वहां पहुंचभी गए। होटल वाला भी बड़े राजनीतिक रसूख वाला था, उसने फोन लगा दिया। बस फिर क्या था उनकी लू उतर गई। बेचारे अब उस ओर पैर करने से भी डरते हैं। ये वही पार्षद पति हैं जो आए दिन विवादों में घिरे रहते हंै। फिर भी इनके जो राजनीतिक आका है, उनके माध्यम से बच निकलते हैं, लेकिन इस बार तो उन्होंने भी पार्षद पति के कान के कीड़ें झाड़ दिए।
नेताजी के कुत्ते का अपहरण हो गया
कांग्रेस के एक नेताजी का सोशल मीडिया पर दर्द बयां हो रहा हैं। दरअसल दर्द उनके प्रिय कुत्ते ेको लेकर हैं, जिसका दिनदहाड़े अपहरे इण हो गया है। अपहरण करने वालों का पता नहीं है और न ही उन्होंने कोई फिरौती मांगी है। यह कुत्ता उनके पुत्र घूमा रहे थे और जैसे ही उनकी निगाह चूंकि कोई उसे बोरे में भर ले गया। महंगी नस्ल इस कुत्ते को लेकर नेताजी कह रहे हैं कि शहर में इस तरह से महंगे कुत्तों की चोरी का सिलसिला बढ़ रहा है, लेकिन पुलिस कुछ नहीं कर रही है। सही भी है, नेताजी हैं कांग्रेसी और फिर उन्हें सिस्टम को कोसने का ठेका भी मिला हुआ है।
आज कमलनाथ तो कल पटवारी
कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक पहली बार में ही नेताओं के जन्मोत्सव में चक्कर में उलझकर रह गई है। आज कमलाथ का जन्मदिन है और नई कार्यकारिणी में जितने कमलनाथ समर्थक बनाए गए हैं, वे उनका जन्मदिन मनाने छिंदवाड़ा पहुंच गए हंै। कमलनाथ इस बार भोपाल की बजाय छिंदवाड़ा में अपना जन्मदिन मना रहे हैं, वहीं कल जीतू पटवारी का जन्मदिन है। पटवारी आज इंदौर में हैं और कल भोपाल में रहने वाले हैं। ऐसे में इस दिन भी बैठक संभव नहीं हो सकती है। इसलिए बताया जा रहा है कि बैठक की तारीख आगे बढ़ा दी गई है।
चुपचाप आए और चल दिए नेताजी
कांग्रेस की राजनीति में उछलकूद करने वाले नेताजी ने 14 नवंबर के पहले अपना गुस्सा जाहिर किया और कह दिया कि अगर नेहरू प्रतिमा स्थल की सफाई और वहां की व्यवस्थाएं दुरुस्त नहीं हुई तो वे सडक़पर पर आंदोलन करेंगे। निगम के कानों पर जूं नहीं रेंगी। हालांकि वहां नियमित रूप से साफ-सफाई करवा दी गई। जिस दिन माल्यार्पण हुआ, उस दिन नेताजी भी वहां पहुंचे, लेकिन उन्होंने नेहरूजी की प्रतिमा की बदहाली पर ज्यादा कुछ नहीं बोला। उनके ही साथ यह कहते सुनकने गए कि खूब आंदोलन करते हो, अब आंदोलन करों, लेकिन नेताजी जिस तरह से चुपचाप आए थे उसी तरह से चुपचाप चल भी दिए।
शहर के एक पूर्व पार्षद को भी नगर अध्यक्ष बनना हैं। इसके लिए उन्होंने अपने साब के मार्फत लॉबिंग भी शुरू कर दी है। फिलहाल साब की नई भाजपा में चल नहीं रही है । इसलिए वे कहीं ओर भी हाथ-पैर मार रहे हैं, लेकिन स्थानीय विधायक को कोसने से बाज नहीं आ रहे हैं।
-संजीव मालवीय
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