नो कार-डे का मतलब ‘कार नहीं चलाना’
अभी नेताओं (Leaders) को ही नहीं मालूम है कि नो कार-डे (No Car-Day) का मतलब क्या है? उन्होंने समझ लिया कि आज उन्हें अपनी कार में नहीं चलना है और वे कार के बजाय मोटरसाइकिल (Motorcycle) से निकल गए। ऐसे ही श्रमिक क्षेत्र के एक वरिष्ठ भाजपा (BJP) नेता भी अपने साथी के साथ मोटरसाइकिल पर सवार हो गए, लेकिन आह्वान नो कार मतलब पब्लिक ट्रांसपोर्ट या ईवी (EV) का उपयोग करने से था। वहीं महापौर के ईवी स्कूटर (EV Scooter) के साथ दूसरे कार्यकर्ता पेट्रोल स्कूटर चलाकर फोटो खिंचाते रहे। हालांकि किसी के पास साइकिल नहीं थी तो माय बाइक ले ली। नेताओं का तो ठीक, लेकिन इसी महकमे के एक बड़े अधिकारी भी अपने पेट्रोल स्कूटर पर शान से घूमते नजर आए। नेताओं की तरह उन्होंने अपना फोटो भी सोशल मीडिया पर शेयर किया।
बाबू ये ठीक नहीं
कांग्रेस प्रवक्ता अनंत चतुर्दशी के जुलूस में अपनी मस्ती में निकल गए। मस्ती भी कैसी, मदिरा की। अपने उस्तादों के साथ चढऩे लगे मंच पर, लेकिन वहां हो गई कहासुनी और देखने वाले तो कह रहे हैं कि नेताजी में हाथ भी पड़ गए हैं, जिसके बाद भी नेताजी का नशा नहीं उतरा। अब पार्टी में उनकी शिकायत हो चुकी है और बताया जा चुका है कि ये तो सार्वजनिक स्थान था, लेकिन इसके अलावा नेताजी कहीं भी कुछ गड़बड़ कर बैठते हैं।
फिर बच गया टूटने से
इंद्रपुरी में जिस तरह से अवैध होस्टलों पर नगर निगम की मुहिम चली थी, वह ठंडी पड़ती दिखाई दे रही है। क्षेत्र के एक बड़े नेता के रसूख के बाद उनके मातहतों को बचा लिया या वे बच गए, जो शरणम् गच्छामि हो गए थे। पिछले दिनों ऐसे ही एक मामले में नगर निगम की रिमूवल गैंग तो पहुंची, लेकिन कार्रवाई के बिना वापस लौट आई। बताया जा रहा है कि गैंग तो कार्रवाई करने के मूड में गई थी, लेकिन नेताजी का फोन आ गया और उसे बचा लिया गया। कहा जा रहा है कि अगर अपना मकान या होस्टल बचाना है तो नेताजी के यहां पहुंच जाओ, वहां सब मर्ज की दवा बाहर ही उपलब्ध हो जाती है।
पटवारी के आने से ही चेतती है कांग्रेस
पिछली बार जब नगर निगम पर हुए प्रदर्शन में जीतू पटवारी आए थे, तब कांग्रेस का आक्रोश सडक़ों पर नजर आया था और अब कलेक्टोरेट पर हुए प्रदर्शन में कांग्रेसी नेताओं ने अपनी ताकत लगाई है। ऐसा क्या है कि पटवारी के आने से ही कांग्रेस चेतती है। बाकी तो सब अपनी-अपनी दुकान चलाने में मस्त रहते हैं। प्रदेश कांग्रेस से आदेश भी हुआ था कि कोई भी नेता जिला अध्यक्ष की जानकारी में लाए बिना किसी प्रकार का प्रदर्शन, धरना या अन्य कोई गतिविधि नहीं करेगा, लेकिन यह आदेश चार दिन भी नहीं टिका और उसे गांधी भवन में बैठे लोगों ने ही धता बता दिया और पहले की तरह अपनी दुकानें चलाने लगे। खैर, कांगे्रस की कार्यकारिणी घोषित होना है और इंदौर से भी कई नेता उसमें पद चाहते हैं तो फिर प्रदर्शन में भीड़ तो होना स्वाभाविक है। लेकिन पटवारी अपना गृहक्षेत्र होने के कारण यहां से बहुत ही कम लोगों को मौका देंगे, ये तय हो चुका है।
एक पेड़ पर कांग्रेस भाजपा के नेता भिड़े
दो नंबर विधानसभा के एक वार्ड में कांग्रेस पार्षद राजू भदौरिया ने बरसों पुराने एक मकान में खड़ा गुलेर का पेड़ कटवा दिया। इसके पीछे तर्क दिया कि पेड़ पुराना था और कभी भी गिर सकता था। इसी इलाके से भाजपा की राजनीति करने वाले एक भाजपा नेता ने इस पर आपत्ति ले ली और तमाम जगह शिकायत कर दी, लेकिन हुआ कुछ नहीं। अब कहा जा रहा है कि जब क्षेत्र के ही बड़े नेता कुछ नहीं कह रहे हैं तो नीचे के नेता क्यों बात का बतंगड़ बना रहे हैं। वैसे लड़ाई वार्ड की है और कोई भी बड़ा नेता इसमें पडऩा नहीं चाहता, नहीं तो एफआईआर होते देर नहीं लगती।
भाजपा में नियुक्ति
वैसे भाजपा में अधबीच कार्यकाल में नियुक्ति नहीं होती है, लेकिन भाजपा के पिछड़ा मोर्चा के अध्यक्ष रघु यादव अपने खास सिपहसालार और नगर कार्यकारिणी सदस्य को नगर उपाध्यक्ष बनाने में कामयाब हो गए। बाकायदा उपाध्यक्ष को लेटर थमा दिया गया है और आश्चर्य इस बात पर किया जा रहा है कि ऐसी क्या परिस्थिति बनी कि बीच में नियुक्ति करना पड़ी। वैसे यह नियुक्ति नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे की सहमति से हुई है तो फिर प्रश्नचिह्न लगाना बेमानी है।
महिला विधायकों की संगठन के कार्य में रुचि नहीं?
हैं तो दोनों महिला और हिंदुत्व के बल पर दोनों की विधायकी सलामत है, लेकिन इन दोनों की संगठन के काम में रुचि न के बराबर है। महू की विधायक उषा ठाकुर को ले लो। ग्रामीण क्षेत्र में आने वाली तीन विधानसभाओं में वह सदस्यता अभियान में सबसे पीछे हैं, जबकि ठाकुर की छवि हिंदूवादी नेता और कट्टरपंथियों पर प्रहार करने की रही है। पिछले चुनाव में अंतरसिंह दरबार और भैयाजी का भाजपा में आना भी सदस्यों की संख्या नहीं बढ़ा पा रहा है। कारण, अंदर ही अंदर कार्यकर्ताओं की नाराजगी बताई जा रही है तो दूसरी विधायक चार नंबर की मालिनी गौड़ हैं। क्षेत्र की अयोध्या कहे जाने वाले इलाके में वे सदस्य बनाने में पीछे हैं और इंदौर की 6 विधानसभा में नीचे से उनका तीसरा स्थान है। इस क्षेत्र में भी सदस्यता अभियान में कोई बढ़ोतरी नहीं देखी जा रही है।
खबर है कि दो दिन पहले इंदौर आए भोपाल सांसद आलोक शर्मा ने एक विधायक को पार्टी के सदस्यता अभियान से हटकर दूसरा आयोजन करने पर कड़वी घुट्टी पिला दी है। उन्होंने कहा कि जब संगठन ने कह दिया था कि सदस्यता के अलावा कोई दूसरा आयोजन नहीं होगा तो ऐसा क्यों किया गया? विधायकजी के पास उत्तर नहीं था और विरोधी मुस्करा रहे थे।
-संजीव मालवीय
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