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ये पॉलिटिक्स है प्यारे

  • April 21, 2025


    चिंटू चौकसे की गिरफ्तारी पर भी अलग हो गई कांग्रेस
    नगर निगम (Municipal council) में नेता प्रतिपक्ष (Leader Opposition)  चिंटू चौकसे (chintu chowksey) को भाजपा (BJP) के विधायक रमेश मेंदोला के समर्थक की शिकायत पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में उम्मीद की जा रही थी कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी से लेकर शहर कांग्रेस अध्यक्ष सुरजीतसिंह चड्ढा तक उबल पड़ेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। कल कांग्रेस द्वारा सोनिया गांधी के मुद्दे पर पत्रकार वार्ता रखी गई थी। इस पत्रकार वार्ता में जब पत्रकारों ने चिंटू चौकसे के मुद्दे पर सवाल किया तो कांग्रेस नेताओं ने इसे स्थानीय मुद्दा बताते हुए अपने आपको बोलने से बचा लिया। बाद में जरूर पटवारी मुकदमा दर्ज होने और गिरफ्तारी होने पर सवाल उठाते हुए नजर आए। कांग्रेस की ओर से इस मामले को लेकर कोई आंदोलन करने या अपने साथी का साथ देने जैसा कम नहीं उठाया गया है। यही कारण है कि हमेशा कांग्रेस के नेता भी संगठन के मामलों से अपने को दूर कर लेते हैं।

    मंडल इकाई के गठन में हो गए परेशान
    भाजपा के नवनियुक्त नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा अपनी नियुक्ति के बाद सबसे पहली चुनौती के रूप में भाजपा की मंडल इकाई के गठन की स्थिति से दो-दो हाथ कर रहे हैं। संगठन द्वारा नए मंडल अध्यक्षों को निर्देश दिया गया है कि वह अपने क्षेत्र के विधायक और पार्षद के साथ समन्वय बनाकर मंडल इकाई की सूची तैयार कर नगर अध्यक्ष को भेज दें। भाजपा में इस समय समन्वय बनाना कितना मुश्किल और चुनौतीपूर्ण कार्य है यह अब नए अध्यक्ष को भी समझ में आ रहा है। कहने के लिए तो कहा जा रहा है कि बस एक-दो दिन में मंडल इकाई का गठन हो जाएगा, लेकिन यह एक-दो दिन ही नहीं हो पा रहे हैं। इसके बाद नगर अध्यक्ष को खुद की अपनी नगर इकाई की टीम बनाने की चुनौती से दो-दो हाथ करना अभी बाकी है…।

    विजयवर्गीय ने टिकट लिया, बाकी रहे बिना टिकट
    प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने पिछले दिनों इंदौर मेट्रो के कामकाज की समीक्षा बैठक रखी। इस बैठक के साथ ही उन्होंने नई तैयार हुई मेट्रो में सफर कर मेट्रो की स्थिति को भी देखा। इस सफर के लिए जब विजयवर्गीय सांसद शंकर लालवानी और महापौर पुष्यमित्र भार्गव के साथ मेट्रो स्टेशन पर पहुंचे तो उनके लिए मेट्रो रेल का टिकट पहले से तैयार था। इसके बावजूद विजयवर्गीय ने 100 रुपए का शगुन देकर इस टिकट को लिया और फिर मेट्रो में सफर किया। उनके साथ सफर करने वाले महापौर और सांसद ने टिकट नहीं लिया और बिना टिकट ही सफर कर लिया। अब इस किस्से को भाजपा के नेता एक-दूसरे को चुटकी लेकर सुना रहे हैं।

    जिराती को मिल गया काम
    मध्यप्रदेश भाजपा में उपाध्यक्ष होने के बावजूद पूर्व विधायक जीतू जिराती के पास पिछले काफी समय से कोई काम नहीं था। काम के अभाव में वह भी जैसे-तैसे अपना समय काटने में लगे हुए थे। हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा मंजूर किए गए वक्फ कानून के पक्ष में माहौल बनाने का काम करने के लिए भाजपा ने एक टोली बनाई है। इस टोली में प्रदेश में जो तीन प्रमुख लोग लिए गए हैं, उनमें जिराती भी शामिल हैं। अब जिराती को गांव-गांव, शहर-शहर घूमकर केंद्र सरकार के कानून का ढोल बजाने का मौका मिल गया है। नेताजी भी खुश हैं कि चलो कहीं तो कुछ काम मिला और समर्थक भी खुश हैं कि चलो इस काम के बाद ही हो सकता है कि राजनीति की गाड़ी दौड़ जाए …

    जब पूर्व विधायक को ऑटो रिक्शा में सफर करना पड़ा
    भाजपा के एक पूर्व विधायक, जिनकी पहचान उनकी टोपी है, पिछले दिनों अपनी कार से राजबाड़ा क्षेत्र से आ रहे थे, लेकिन जाम में फंस गए। उस दिन इन नेताजी को अपने ही विधानसभा क्षेत्र में एक अन्य नेताजी के परिवार में हुए शोक के कारण उठावने में भाग लेने जाना था। अब जब ट्रैफिक जाम में उनकी कार फंस गई तो अपनी कार को छोड़कर ऑटो रिक्शा में सवार होकर गलियों में से निकलते हुए नेताजी उठावने में पहुंचे। वहां पहुंचने में हुए विलंब पर जिसने भी पूछा उसे नेताजी अपने ऑटो रिक्शा से सफर की पूरी कहानी सुना रहे थे। ऐसे में कहने वाले नहीं चूक रहे थे कि यह भी वक्त-वक्त की बात है…।

    गद्दार से कांग्रेस में बवाल
    पिछले दिनों भाजपा ने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह को गद्दार बताने वाले पोस्टर प्रदेश के इंदौर सहित अलग-अलग शहरों में लगाए। इस पोस्टर से कांग्रेस में बवाल मच गया। जैसे ही यह पोस्टर लगे वैसे ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कांग्रेस के सभी प्रवक्ताओं से कह दिया कि इस मामले में अभी किसी को भी कोई बयान नहीं देना है और किसी बहस में भाग नहीं लेना है। प्रदेश कांग्रेस द्वारा एक नीति तैयार की जाएगी और उसके आधार पर ही इस मामले की डिबेट में कोई भी भाग ले सकेगा। पटवारी ने यह फरमान जारी किया उसके पहले एक प्रवक्ता ने एक डिबेट में भाग ले लिया। बस इसी से बवाल मच गया। इस बवाल की गूंज जब दिग्गी राजा के कानों में पहुंची तो उन्होंने पटवारी का पानी उतार दिया। उसके बाद से पटवारी सभी दूर सफाई देते हुए घूम रहे हैं। इस मामले में निशाने पर आए प्रवक्ता को जरूर पटवारी ने समझा दिया कि इस मामले की जानकारी किसी को मत देना। अब कांग्रेस में सब चुप हैं, लेकिन इशारे में बात को बता रहे हैं और मुस्करा रहे हैं….

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