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ये पॉलिटिक्स है प्यारे

  • March 17, 2025

    • प_े के मंच पर कैलाश संग सज्जन के ठहाके

    कहते हैं ना गर्मी के मौसम में जल्द बर्फ पिघल जाती है और फिर राजनीति की बर्फ तो कभी लंबे समय तक नहीं रही है। लेकिन कल राजनीति नहीं, बल्कि व्यापारियों के मंच पर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और पूर्व मंत्री सज्जनसिंह वर्मा के ठहाकों ने राजनीतिक चर्चाओं को जन्म दे दे दिया। मंच दवा बाजार व्यापारियों का था, लेकिन उस पर ऐसी राजनीति चली कि इसका अंजाम कोई समझ नहीं पा रहा है। दोनों ही नेता मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाए गए थे। इनको वहां बुलाने का क्या खास मकसद था, लेकिन वर्मा के लगातार कैलाश पर चले बाण आने वाले समय में एक बड़े संकेत के रूप में देखे जा रहे हैं।

    मंच से कम नहीं हो रही कांग्रेस की गर्दी
    दिग्विजयसिंह कई बार कह चुके हैं कि कांग्रेस में जब तक मंच की राजनीति की होड़ रहेगी, तब तक कांग्रेस मजबूत नहीं होगी। उन्होंने तो सरेआम मंच पर भीड़ नहीं करने और स्वागत-सत्कार करने में पैसा बर्बाद नहीं करने की बात कह दी है, लेकिन कांग्रेसी मानते कहां हंै? वे तो अपनी पुरानी परिपाटी पर ही जिंदा हैं। खुद प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के दौरे के दौरान मंच पर नेताओं की गर्दी और स्वागत की होड़ के चलते मंच तक गिर गया है। वहीं तेरी माला मेरी माला से बड़ी कैसे के चक्कर में कांग्रेसी पैसा बर्बाद कर रहे हैं, लेकिन संगठन को मजबूत करने पर किसी का ध्यान नहीं।

    जाते-जाते ठहर गए नेताजी के कदम
    गांधी भवन के खबरी बता रहे हैं कि एक कांग्रेसी नेता का भाजपा-प्रेम पिछले दिनों सिर चढक़र बोल रहा था और वे भाजपा के एक बड़े नेता के चक्कर में भी थे, लेकिन नेताजी को कांगे्रस में ही किसी बड़े पद का आश्वासन मिला और उन्होंने अपने कदम पीछे खींच लिए हैं। उन्हें समझाया गया कि जो गए हैं, जरा एक बार उनकी हालत देख लो और सोचो कि कांग्रेस की दुकान भी मंगल हो जाएगी और भाजपा की दुकान में कोई तुम्हें बिठाएगा भी नहीं। निर्णय लेने में बार-बार कमजोर साबित नेताजी ने क_ा मन कर लिया है कि अब कुछ भी हो जाए, मंै भाजपा में नहीं जाऊंगा।


    कोई भानजा-वानजा नहीं है….
    हाल ही में शहर की एक प्रतिष्ठित संस्था के चुनाव में पुराने पदाधिकारियों की मेहनत के बल पर समाज ने जो काम किए थे, उसको लेकर उनकी अगली पीढ़ी की पैनल ने बाजी मार ली और एक तरह से समाज में कब्जे या कहें कि उत्तराधिकारी को लेकर चल रहा झगड़ा समाप्त हो गया है। विरोधी पैनल तलवार म्यान में रखने के मूड में नहीं है और तैयारी जारी है। इस बीच पहली पैनल के कर्ताधर्ता ने कह दिया कि ये हमारे परिवार का सगा भानजा-वानजा नहीं है और इस बात ने समाज के चुनाव में भी काफी असर किया और परिणाम सबके सामने रहा। खैर, बात आई-गई होती नजर आ रही है। पहली पैनल ने काम शुरू कर दिया है और उन्हें ताकीद कर दिया गया है कि अब ऐसे लोग यहां फटकने नहीं चाहिए, जो समाज में पहली बार तोडफ़ोड़ की राजनीति लेकर आए हैं। खैर, दूसरी पैनल के कर्ताधर्ता के साथ वाले अब पीछे के दरवाजे से पहली पैनल वालों से मिल रहे हैं और कह रहे हैं कि भिया हम तो भटक गए थे, माफ करो।

    सब पर चढ़ा रंग
    लंबे समय बाद जीतू जिराती की राऊ विधानसभा में बढ़ रही सक्रियता को लेकर अब बातें होने लगी हैं और कुछ लोगों का कहना है कि भिया ने नाहक ही अपने टिकट का बलिदान दिया और संगठन सेवा करने की ठानी। वैसे प्रदेश उपाध्यक्ष के चलते उन्होंने जिस तरह से सक्रियता रखी, उससे उनका कद बढ़ा तो है, वे जाहिर तौर पर अपने आपको अब इंदौर की छोटी राजनीति से ऊंचा मानते हैं। जीतू ने राऊ विधानसभा में ही अपनी उपस्थिति जांचने के लिए फाग में ऐसा राजनीतिक रंग उड़ाया कि वह अभी भी विरोधियों पर से उतरा नहीं है।

    गुरु के कड़वे बोल
    भाजपा के वरिष्ठ नेता सत्यनारायण सत्तन गुरु के पास मीडिया जाती ही इसलिए है कि वे अपनी पार्टी के बारे में कड़वे बोल बोलें और उनकी टीआरपी बढ़े। हाल ही में एक स्थानीय चैनल ने गुरु का इंटरव्यू लिया है। चैनल कोई सा भी हो, लेकिन गुरु की बेबाकी और अपनी ही पार्टी के वर्तमान हालात पर कड़वे प्रवचन भाजपाइयों को भी खूब पसंद आते हैं, तभी तो वे मौका मिलते ही माइक सामने कर देते हैं। गुरु के निशाने पर वही लोग होते हैं, जो पार्टी को व्यक्तिगत तौर पर चलाते हैं, कार्यकर्ताओं और संगठन के बल पर नहीं।

    अपने आपको श्रेष्ठ साबित करने की होड़
    दीनदयाल भवन के खबरी बता रहे हैं किघर बैठे कई लोग सुमित मिश्रा के अध्यक्ष बनते ही सक्रिय हो गए। वे चाह रहे हैं कि मिश्रा के साथ उनकी भी राजनीतिक दुकान शुरू हो जाए। इनमें से एक भाजपा नेत्री भी हैं, जो सालों पहले एक मामले को लेकर वायरल हुई थीं। बताया जा रहा है कि उक्त नेत्री की भोपाल के नेताओं से पहुंच और काम करने की सलाह के बाद काम शुरू हो गया है और वे आपको श्रेष्ठ साबित करने वाले नेताओं की दौड़ में शामिल हो गई हैं। वैसे भी उनका पार्टी निकाला अब 6 साल से कम हो गया है।

    कभी चाचा चौधरी तो कभी चाणक्य का स्वांग रचने वाले मंत्री कैलाश विजयवर्गीय इस बार बजरबट्टू की बरात में किस नए रूप में नजर आएंगे, इसको लेकर इंदौरियों में, विशेषकर शहर के चर्चा के ठीयों पर बहस चल रही है। वैसे किसी ने बताया है कि आयोजकों ने इस बार इनाम भी रख दिया है कि विजयवर्गीय का नया चेहरा बताओ और इनाम पाओ। तब से हम भी इनाम पाने के चक्कर में लगे हैं, लेकिन बताता तो कोई नहीं।
    -संजीव मालवीय

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