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ये पॉलिटिक्स है प्यारे

January 06, 2025


आखिर संघ मालवा-निमाड़ में इतना सक्रिय क्यों?
मालवा-निमाड़ (Malwa-Nimar) क्षेत्र में लगातार हो रहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के आयोजनों ने भाजपा (BJP) की स्थिति को लेकर भी सवाल खड़ा कर दिया है। जिस तरह से संघ के आयोजनों में बड़े पदाधिकारियों के आने का सिलसिला जारी है, उससे लगता है कि संघ मालवा-निमाड़ में अपनी गतिविधियों को लेकर अन्य क्षेत्रों से कुछ ज्यादा ही सक्रिय है। इसके उदाहरण पिछले साल हुए बड़े कार्यक्रमों से दिखाई दे रहे हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र से भाजपा को मात्र 11 सीटें मिली थीं, जो 2023 में बढक़र 23 तो हो गईं, लेकिन ये कायम रहें, इसलिए संघ अपनी गतिविधियों से समाज को जाग्रत करने और समाज की सक्रियता संघ में बढ़ाने पर ध्यान दे रहा है। हाल-फिलहाल तो इससे बड़ा कोई कारण नजर नहीं आ रहा है। अब इससे आने वाले दिनों में क्या असर पड़ेगा, यह तो वक्त ही बताएगा।

जब विजयवर्गीय ने मामा को बनाया हीरो
एमआईसी मेंबर मनीष शर्मा कुछ न कुछ ऐसा करते ही रहते हैं, जिससे उनकी ओर ध्यान चला जाए। इस बार उनका सोशल मीडिया पर डला भिखारी वाला वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वे अपने ही विभाग की योजना का प्रचार-प्रसार करने में लगे हुए हैं। विजयवर्गीय ने जब शनिवार को वीडी शर्मा से उन्हें मिलवाया तो कहा कि ये आ गए हमारे इंदौर के हीरो। बस फिर क्या था, वीडी ने भी कह दिया कि मैंने भी मामा के वीडियो के बारे में सुना है। अब तो देखना ही पड़ेगा। मामा ने तुरंत उनके हाथ में मोबाइल पकड़ा दिया।

अब समझे…ये सरदार है तो असरदार
बार-बार शहर अध्यक्ष पद से सुरजीतसिंह चड्ढा को हटाने को लेकर विरोधी भूमिका तैयार करते हैं, लेकिन वह बिगड़ जाती है। कांग्रेस कार्यालय पर भाजपा नेताओं की आवभगत ने सरदारजी को कठघरे में खड़ा कर दिया था और विरोधियों को हवा मिली कि ये समय ठीक है जब शिकार किया जा सकता है, लेकिन शिकार की टोह में शिकारी खाली हाथ रह गए हैं। अब उन्हें लगने लगा है कि ये सरदार ही नहीं असरदार भी हैं, तभी तो भोपाल से आए फरमान के बाद उनका बाल भी बांका नहीं हो सका है। उनके पीछे कौन है, ये सब जानते हैं।

नगर निगम में नेताओं और अधिकारियों में खाई गहराई
हमने तो पहले ही कहा था कि नगर निगम में कुछ ठीक नहीं है। महापौर और पार्षद भले ही एक होने का दिखावा करते हों, लेकिन महापौर का रवैया अपने अधिकारियों के प्रति कुछ ज्यादा ही नरम है। इसका उदाहरण निगम में हुई कुछ घटनाओं से देखने को मिलता है। आज तक महापौर ने सीधे हस्तक्षेप नहीं किया। मामला जीतू यादव और कमलेश कालरा का हो या फिर पार्षद रूपाली के पिता अरुण पर केस दर्ज करने को। यही नहीं, पिछले दिनों तो लालबहादुर वर्मा पर भी एक निगमकर्मी ने केस दर्ज करवा दिया था। उस मामले में किसी ने आवाज नहीं उठाई और सब कुछ निगम अधिकारियों के निर्देश पर हुआ, जिसमें बेचारे पार्षद अपनी आवाज ही नहीं उठा पाए और उनका विवाद व्यक्तिगत होकर रह गया। पार्षदों का आक्रोश भी है कि भाजपा संगठन ने भी उनकी बातों को तवज्जो नहीं दी और उन्हें अकेले खड़े रहना पड़ा।

ये है मोहब्बत की दुकान
3 नंबर के अपने रानू। अरे नेत्रम ऑप्टिकल वाले अग्रवाल बंधु, मेहमाननवाजी का बहाना ढूंढते ही रहते हैं। कभी यार-दोस्तों के साथ घर पर ही पार्टी तो कभी दाल-बाफले खिलाने की आदत। वैसे रानू की एक और खासियत है। जो भी वीआईपी या भाजपा का बड़ा नेता शहर में आता है, रानू के यहां जरूर जाता है और इंदौर के छोटे से लेकर मंत्री तक उनकी देहरी चढ़ चुके हैं। अभी केंद्रीय मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल रानू के यहां थे। पटेल को आंख का चश्मा लगता है और वे भी पहुंच गए। चश्मा लगाया तो उन्हें पसंद आ गया। फिर क्या था, पटेल जेब में हाथ डालते उसके पहले ही रानू बोल उठे- भाई साब ये सब नहीं। ये तो मोहब्बत की दुकान है, यहां रुपयों से मोलभाव नहीं होता।

हमेशा के लिए चले गए गुजरात या फिर…?
भाजपा के एकमात्र मुस्लिम मंडल अध्यक्ष रहे इम्तियाज मेमन को अब इंदौर रास नहीं आ रहा है। इसका कारण वे खुलकर तो नहीं बता रहे हैं, पर उनके नजदीकियों का कहना है कि भाजपा के लिए खजराना जैसे मुस्लिम बहुल इलाके में किला लड़ा रहे हैं, पर पार्टी ने कभी उन पर गंभीरता से विचार नहीं किया। तीन दिन पहले उनके समर्थकों ने खजराना क्षेत्र में जश्न मनाया और दावत भी दी। हालांकि वे कह रहे हैं कि मेरा रूटीन काम अभी वहां चल रहा है, लेकिन इंदौर को छोड़ नहीं सकता, काम पूरा होने के बाद फिर आ जाऊंगा।

दावेदार मुंह ताकते रहे, गौरव ने पीछा नहीं छोड़ा
वीडी शर्मा के इंदौर भाजपा कार्यालय पर आगमन के समय तीनों इंदौर के अध्यक्ष के दावेदार उनके आगे-पीछे थे। प्रेस कांफ्रेंस में टीनू को सहमीडिया प्रभारी के नाते तो कुर्सी मिल गई, लेकिन सुमित और बबलू दूर ही खड़े रहे। मंच पर गौरव रणदिवे भी थे। वैसे अधिकांश समय तीनों की नजर गौरव की कुर्सी पर ही थी। दावेदार तो और भी थे, लेकिन तीनों की मुखमुद्राएं देखकर पता चल रहा था कि इनके मन में क्या उधेड़बुन चल रही है। खैर, वीडी मिले और तीनों की पीठ भी थपथपाई। कल भी यही हुआ और सीएम की गाड़ी में गौरव के साथ टीनू भी फिट हो गए थे।

कांग्रेस का एक धड़ा लगातार सरकारी विभागों पर अपने वार्षिक कैलेंडर के तहत धावा बोलता है, लेकिन इन विभागों पर इनके प्रदर्शन का असर कुछ नहीं होता। कांग्रेसियों की ये परंपरा बहुत पुरानी है और फिर साल में एक बड़ी रैली भी की जाती है, लेकिन उसके बाद वही ढाक के तीन पात हो जाते हैं। -संजीव मालवीय

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कांग्रेस की 'प्यारी दीदी' योजना का ऐलान, महिलाओं को हर महीने मिलेंगे 2500 रुपये

Mon Jan 6 , 2025
नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस ने महिलाओं के लिए बड़ी घोषणा की है. कांग्रेस ने दिल्ली की महिलाओं के लिए प्यारी दीदी योजना का ऐलान किया है. इस योजना के तहत दिल्ली की महिलाओं को हर महीने 2500 रुपये मिलेंगे.
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