खाने-पीने में कांग्रेसी भाजपाई भाई-भाई
बात खाने-पीने की हो तो कांग्रेसी (Congressman) और भाजपाई (BJP) एकसाथ खड़े रहते नजर आते हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया जब मेघदूत चौपाटी (Meghdoot Chowpatty) की दुकानों को लेकर दोनों ही दल के स्थानीय नेता एक सुर में नजर आए। जब उन्हें फिर से वहां ठेले लगाने की बात कही तो चिंटू का दुकानदारों के प्रति प्रेम जाग उठा और उन्होंने भी यहां दुकानें लगाने की मांग कर डाली। इसके पीछे कांग्रेसी ही क्या लगा रहे हैं कि चिंटू भाई की इस सहृदयता का कारण क्या है? कोई कह रहा है कि दो नंबर में चिंटू अभी भी सक्रिय हैं और वे अभी राजनीतिक अदावत किसी से लेना नहीं चाहते, इसलिए लोगों के साथ खड़े हैं। दूसरी ओर पीली गैंग पर हमला करने के मामले वे निगम की रिमूवल विभाग की टीम के साथ खड़े नजर आए, क्योंकि उन्हें मालूम था कि रिमूवल अमले का काम हर नेता को पड़ता है। इससे पिटाए अधिकारियों पर मल्हम भी लग जाएगा।
अब राह आसान नहीं रही प्रमोद टंडन की
लंबे समय तक शहर कांग्रेस की कुर्सी पर राज करने वाले प्रमोद टंडन भाजपा में तो चले गए थे, लेकिन मौका पाकर चौका लगा गए और वापस भी लौट आए। पिछले दिनों भगवा कपड़ों में उन्हें गदा के साथ देखा गया था। वैसे टंडन ये बताने गए थे कि वे अंदर से अभी भी भगवा हंै और पक्के हिन्दूवादी है, लेकिन अभी तक न तो भगवा रंग उन पर चढ़ा और न ही भाजपा का रंग। टंडन इंतजार कर रहे हैं कि दीनदयाल भवन की सीढिय़ों की राह आसान हो जाए, लेकिन भाजपा अभी भाव नहीं दे रही है और इशारा हो चुका है टंडन की राह अब आसान नहीं है।
भाजपा के मंत्रालय में कांग्रेसी मेम्बर
भाजपाई आश्चर्य कर रहे हैं कि सरकारी हमारी हंै और तवज्जो कांगे्रसियों को दी जा रही है। दरअसल रेलवे की डीआरयूसी कमेटी में एक पूर्व कांग्रेस पदाधिकारी को सदस्य बना दिया गया। उनका कहना है कि वे कांग्रेस के कोटे से अध्यक्ष नहीं बने, बल्कि यात्री संघ के माध्यम से अध्यक्ष बने हैं। अब बात और चौंकाने वाली है कि ये कौन-सा यात्री संघ चलाते थे, जबकि दूसरी ओर सांसद शंकर लालवानी ने अपने खास समर्थक विशाल गिदवानी को सांसद प्रतिनिधि के बतौर भी समिति में स्थान दिलाया है।
जो हुआ सो हुआ, लेकिन सौगात के नंबर बढ़ गए
बाबा साहब को लेकर पूरा देश गर्म है। इंदौर से लेकर दिल्ली तक हंगामा हुआ और इसमें भाजपा कांग्रेस से कहीं आगे निकल गई। इंदौर ने एक कदम और आगे बढक़र कांग्रेस कार्यालय पर कांग्रेस कार्यालय गांधी प्रदर्शन पर प्रदर्शन कर डाला और फिर जो कुछ हुआ, वह सबने देखा। अब कांग्रेसी भले ही सांप निकल जाने के बाद लाठी पीटने का ढोल पीट रहे हो, लेकिन जिस तरह हंगामा हो रहा था, कई नेता घरों में बैठे थे और उन्होंने अपने कार्यालय को बचाने की कोशिश तक नहीं की। दूसरी ओर भाजपा युवा मोर्चा के इस प्रदर्शन से मोर्चा अध्यक्ष सौगात मिश्रा के नंबर पार्टी में बढ़ गए हैं और जिस तरह से उन्होंने मोर्चा लगाया, उसकी तारीफ भोपाल तक पहुंची हैं और भोपाल से भी पीठ थपथपाई गई है। सौगात और उनकी टीम खुश हैं कि जो हुआ सो हुआ, लेकिन हमारे नंबर तो बढ़ और पॉलिटिक्स में जब तक ऐसे हंगामे न हो, तब तक कोई नेता नहीं बनता।
यहां भी चला दी कांग्रेस की संस्कृति
संजय शुक्ला के साथ भाजपा में आने वाले टंटू शर्मा कांग्रेसी संस्कृति भूले नहीं है। वैसे अभी भाजपा में ऐसे नेताओं को कोई काम नहीं दिया गया है। नेताओं की नजर में चढऩे और उन्हें अपना बताने के चक्कर में टंंटू एक कदम आगे निकल गए और महापौर के घर के आसपास बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगवा दिए, जबकि महापौर पहले ही मना कर चुके थे। टंटू महापौर की नजर में चढ़ते, उसके पहले ही महापौर के प_ों की निगाह होर्डिंग्स पर पहुंची और दूसरे ही दिन होर्डिंग्स को निकाल डाला और चेतावनी भी दे डाली कि यहां भाजपा में ये सब नहीं चलेगा।
…और कितनों को उड़ाएंगे मुख्यमंत्री?
पहले मुख्यमंत्री ने नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे को उड़ाया। उसके बाद अब दो दिन पहले उनके उडऩखटोले में विधायक गोलू शुक्ला थे। इसके पहले कुछ और विधायक भी इस सवारी का आनंद ले चुके हैं, लेकिन अब इस कतार में कौन हैं, ये तो वक्त ही बताएगा। मुख्यमंत्री के साथ हवा में उडऩा सियासी गलियारों में बहुत कुछ बिना बोले ही कुछ कह जाता है और कई मायने निकाल लिए जाते हैं। फिलहाल जमीन पर गोलू के क्षेत्र में बार-बार आना भी कुछ कह रहा है और गोलू समर्थक खुश हैं कि भिया को तो सीएम के उडऩखटोले में जगह मिल गई है…यानि…
अब दिल्ली दूर नहीं है सांई के लिए
सांसद लालवानी जिस स्पीड से दिल्ली की ओर दौड़ रहे हैं, उससे वे बताना चाह रहे हैं दिल्ली मेरे लिए दूर नहीं और मेरा वजूद वहां भी हैं। जिस तरह से कल एयरपोर्ट पर केंद्रीय उड्डयन मंत्री ने तारीफों के पुल बांधे हैं और लगातार केंद्रीय मंत्रियों की वाहवाही बंटोर रहे हैं उससे वे दिल्ली में अपने रिश्ते मजबूत कर रहे हैं। लगातार उनका सोशल मीडिया पर भोंपू बज रहा है। वैसे पिछले दिनों सांई की अनदेखी कुछ अधिकारियों ने कर दी, फिर क्या था। हल्की मुस्कान बिखेरने वाले सांई ने अपना रंग दिखा दिया। वैसे सांई की दिल्ली दौड़ से इंदौरी भाजपाई बेचैन ही नहीं है, कयास भी लगा रहे हैं कि सांई का अगला कदम क्या होने वाला है?
चंदा कह लें या फिर अफसरों और सफेदपोशों की सेवा, इसका लिफाफा इंदौर में भी आता है। कांग्रेस की सरकार को रवाना हुए भले ही 20 साल से ज्यादा हो गए हो, लेकिन ये सेवा-चाकरी जारी है। इसमें कुछ कांग्रेसियों के नाम भी शामिल हैं। डायरी पकड़ाने के बाद कुछ नेताओं में बेचैनी हैं। भले ही कार्रवाई न हो, लेकिन आंच तो इंदौर तक भी आने की तैयारी हैं।
-संजीव मालवीय
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