अपने ही कर रहे हैं अपनों पर सितम
जब अपने ही अपनों पर सितम करने पर आमादा हो जाए तो फिर क्या होगा? राजनीति में ये सब होता है, लेकिन अभी जो हो रहा है, उसने भाजपा के पार्षदों को परेशान कर रखा है। निगम के गलियारों से खबर निकलकर आ रही है कि जो भाजपा पार्षद अपने क्षेत्र के विकास कार्य से संबंधित फाइलें निगमायुक्त से मंजूर करवा लेते हैं, उनके टेंडर जारी हो इसके पहले ही एक निगम अफसर के मार्फत एक एमआईसी सदस्य सभी फाइलें अपने पास बुलवाकर रख लेते हैं और फिर उसमें संशोधन करते हैं। बेचारे पार्षद फाइलें वापस लेने के लिए भटकते रहते हैं, लेकिन एमआईसी प्रभारी कहते हैं कि इसमें कुछ गड़बड़ी है या संशोधन करना है, इसलिए उस पर चर्चा की जाएगी। अब पार्षद करें तो क्या करें, उन पर तो उनके अपनों का ही सितम टूट पड़ा है। ऐसी कई फाइलें उक्त एमआईसी प्रभारी के पास पड़ी हुई है।
फौजिया या रूबीना
कांग्रेस की पूर्व नेता प्रतिपक्ष फौजिया अलीम और पार्षद रूबीना खान। दोनों ही मुस्लिम क्षेत्र की तेज तर्रार पार्षद हंै। निगम परिषद सम्मेलन में कौन कितना विरोध करता है, इसको लेकर भी दोनों में होड़ मचती रही। तू डाल-डाल तो मैं पात-पात की तर्ज पर दोनों कांग्रेस नेत्रियों ने बता दिया कि कांग्रेस में हमारा जलवा है और निगम में भी। दोनों का निगम का पुराना अनुभव है, लेकिन फौजिया खुद ज्यादा ही एक्टिव नजर आईं। उन्हें यह भान नहीं रहा कि वे अब नेता प्रतिपक्ष नहीं रही। इस बार कांग्रेस में दोनों पार्षदों के अलावा कुछ और पार्षदों के भी मुंह खुले जो नई-नई थीं।
कैसे समेटे रायता?
युवक कांग्रेस में जो रायता ढुला है, वह सिमटा नहीं रहा है। युवक कांग्रेस में गुटबाजी जोरदार तरीके से चल रही है और कामकाज ठप्प पड़ा है। वैसे रायता तत्सम भट्ट का ज्यादा ढुला है और वे जिस तरह से काम कर रहे थे, उसको लेकर दूसरे नेताओं में डर था कि कहीं तत्सम उनके आगे नहीं निकल जाए। तत्सम की बर्खास्तगी जिस ऑडियो को लेकर हुई है, उसके बाद दूसरा ऑडियो भी आया, लेकिन उस ऑडियो को लेकर किसी ने ध्यान नहीं दिया, क्योंकि भूरिया को भी लग रहा है कि रायता ऐसा ढुला है कि इसको कुछ समय बाद ही समेटना होगा, नहीं तो उसके छींटे उन पर भी आ जाएंगे।
किसका पत्ता कटेगा..? लगी है निगाह
विधानसभा चुनाव को लेकर जिस तरह से सत्ता और विपक्ष अपने-अपने पत्ते धीरे-धीरे खोल रहे हैं, उसको लेकर वर्तमान विधायक और चुनाव लडऩे वाले कयास लगा रहे हैं कि आने वाले समय में क्या होगा? किसका पत्ता कटेगा, कौन सही-सलामत रहेगा, वहीं नए-नए नेता भी विधानसभा के सपने देखने लगे हैं। भाजपा में ऐसे लोगों की लंबी सूची है और वे चाहते हैं कि इस बार पुराने का पत्ता कटे और हमें मौका मिले। इसमें एक नंबर विधनसभा, 4 नंबर विधानसभा, 5 नंबर विधानसभा और राऊ पर सबकी दृष्टि है, वहीं कांगे्रेस में तो एक नंबर छोडक़र बाकी विधानसभाओं पर गिद्धदृष्टि लगाकर नेता इंतजार कर रहे हैं। एक-एक सीट पर पांच से अधिक दावेदार हैं और सभी अपनी जेब में टिकट लेकर घूम रहे हैं। कुछ ऐसे लोग भी गांधी भवन में देखे जा रहे हैं, जिन्हें पार्षद का टिकट नहीं मिला था, लेकिन अब वे दावेदारी विधानसभा की दिखा रहे हैं।
आदिवासी गीत और दमादम मस्त कलंदर
अधिकारी जो करे वो कम है। खरगोन में हुए मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में आदिवासी गीतों को गाने के लिए जिन्हें बुलाया गया था, वो प्रोफेशनल कलाकार निकले। निमाड़ी गीत तो गाए ही, इसके साथ ही दमादम मस्त कलंदर… तक गा दिया। लोग झूमे तो सही, लेकिन सवाल उठा कि जब कार्यक्रम आदिवासियों के लिए है तो यहां दूसरे गीतों का क्या काम। हद तो तब हो गई, जब गायक कलाकारों ने फिल्मी गीत भी गा दिए।
साले-बहनोई की जोड़ी कर रही धमाल
इन दिनों कांग्रेस में साले-बहनोई की जोड़ी चर्चित है। ये रिश्ते में नहीं, बल्कि मुंहबोले साले-बहनोई है। पिछले दिनों साले के यहां बेटे की शादी में बहनोई खूब नाचे। जी हां, ये जोड़ी विधायक संजय शुक्ला और विशाल पटेल की है, जो साले-बहनोई के नामे से मशहूर हो रही है। ये जहां भी जा रहे हैं, साथ में जा रहे हैं। चुनाव नजदीक हैं और दोनों को एक-दूसरे का साथ राजनीतिक ताकत तो दे ही रहा है, वहीं कांग्रेस में नए समीकरण भी बना रहा है।
राहुल की यात्रा के बाद ठंडी क्यों पड़ी कांग्रेस?
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद कांग्रेस एक तरह से ठंडी पड़ गई है। शहर अध्यक्ष मुंबई में डॉक्टर को अपनी तबियत दिखाने निकल गए थे, तो दूसरे कुछ नेता भी अपनी थकान उतार रहे थे। पटवारी जरूर राजस्थान में राहुल गांधी के आगे-पीछे होते रहे। इसे पटवारी की ऊंची उड़ान के रूप में देख जा रहा है, क्योंकि जब शहर के नेता मध्यप्रदेश की सीमा से राहुल को बाय-बाय कर आए थे तो फिर पटवारी आगे तक क्यों गए? खैर विधायक थकान निकाल रहे हैं। विशाल पटेल अब शादी की थकान निकालेंगे और दूसरे पूर्व मंत्री तथा नेताओं ने गांधी भवन की ओर जाना अभी बंद कर दिया है। गांधी हॉल भवन में वे ही दिख रहे हैं, जो अक्सर वहां दिखाई देते हैं और जो समझते हैं कि हमारे बिना यहां का पत्ता हिलता नहीं। फिलहाल बदलाव की बयार आने वाले साल में शुरू होने वाली है और शायद इसलिए कांग्रेस की गतिविधियां ठप पड़ी हैं।
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में पैदल-पैदल चले एक बड़े नेता धूल से इतने परेशान हो गए थे कि उन्हें इलाज के लिए दिल्ली ले जाना पड़ा था। वहां उन्होंने आराम भी किया और अपना इलाज भी करवाया। खैर अब वे ठीक हैं और फिर से अपने कामकाज में लग गए हैं।
-संजीव मालवीय
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