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    ये पॉलिटिक्स है प्यारे

  • October 26, 2022

    क्यों बुलाया था सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर को
    उज्जैन में श्री महाकाल लोक के लोकार्पण कार्यक्रम में सरकार के मंत्रियों और भाजपा नेताओं के हाथों में पूरी कमान थी। खुद मुख्यमंत्री पूरे कार्यक्रम की मॉनीटरिंग कर रहे थे तो फिर गड़बड़ कैसे हो? लेकिन इसी कार्यक्रम की एक कड़ी की किसी को जानकारी नहीं थी। छनते-छनाते खबर आई कि उज्जैन में ऐसे सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर को भी इक_ा किया गया था, जिनके हजारों-लाखों फालोअर हैं। इनको संभालने की जवाबदारी जनसंपर्क विभाग और भाजपा के ही कुछ नुमाइंदों के पास थी। एक पूरी होटल इनके लिए बुक की गई थी। उद्देश्य केवल यही था कि महाकाल लोक की पॉजिटिव पोस्ट ही वायरल हो, नेगेटिव नहीं। मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा से जुड़े इस आयोजन में हुआ भी यही। शाम के कार्यक्रम से पहले सोशल मीडिया और आईटी के इन लोगों को भाजपा के बड़े नेताओं से भी मिलाया गया।
    मामा की हीरोपन्ती
    एमआईसी में पार्षद मनीष मामा कुछ ज्यादा ही सक्रिय हो गए हैं। मामा हीरो बन गए हैं और हीरो वे किसी फिल्म के नहीं, बल्कि अपने ही विभाग की योजनाओं का प्रचार करने के लिए। मामा ने जूनियर शशि कपूर और जॉनी लीवर को भी बुलवाया। अब मामा जहां भी दिखते हैं वहां उन्हें हीरो मामा कहकर बुलाने लगे हैं। जिस विभाग का प्रभारी मामा को बनाया गया है, इसके पहले उस विभाग को कोई जानता तक नहीं था और एमआईसी मेम्बर केवल बैठकों तक ही सीमित थे। जिस तरह से प्रदेश के मुखिया फॉम में हैं वैसे ही इंदौरी मामा भी फॉम में नजर आने लगे हैं।
    शुक्ला पर नजर
    विधायक संजय शुक्ला के बारे में कई बार अफवाह उड़ी कि वे भाजपा में जा रहे हैं, लेकिन शुक्ला मुस्कुराकर रह जाते हैं। अब एक बार फिर अफवाहों का बाजार गर्म हैं, लेकिन संगठन के ही कुछ लोगों को शुक्ला का खबरची बनाया गया है। ये लगातार पता करते रहते हैं कि शुक्ला किससे मिल रहे हंै। इसकी जानकारी सीधे पीसीसी तक पहुंचाई जा रही है। वैसे शुक्ला का विधानसभा चुनाव तक कहीं भी जाने का मन नहीं है। ये वे अपने नजदीकियों को बता चुके हैं। फिलहाल तो वे अपनी विधानसभा में एक बड़े कथाकार की तैयारियों में व्यस्त हैं।
    भार्गव के लिए अपनी ही पार्टी से पार पाना मुश्किल
    दुकानों के बोर्ड को लेकर शहर में जो हल्ला मच रहा है, उसमें महापौर पुष्यमित्र भार्गव अकेले नजर आ रहे हैं, जबकि कांग्रेस पूरी इस मुद्दे पर एक हो गई और उन्हें मौका मिल गया भाजपा की परिषद को घेरने का। टिकट का विरोध झेलने वाले भार्गव को अपनी ही पार्टी से पार पाना मुश्किल हो रहा है। ऊपर से सभी एक होने का दिखावा कर रहे हैं, लेकिन कोई भी नेता उनके साथ खड़ा नहीं है। यही कारण है कि पूरे शहर में होर्डिंग्स का विरोध हो गया। बेचारे भार्गव तो पुराना नियम लागू करवाने निकले थे, लेकिन व्यापारी एसोसिएशन वालों ने हाथ ऊंचे कर दिए हैं। इनमें ज्यादातर एसोसिएशन भाजपा नेताओं के संरक्षण वाली है, लेकिन संरक्षक चुप हैं और वे देख रहे हैं कि भार्गव उनके पास कब मदद मांगने कब आते हैं?
    क्रिकेट मैच के पास का चक्कर
    क्रिकेट मैच के पास को लेकर जो हो-हल्ला मचा था वह वैसे ही शांत हो गया है। एमपीसीए और नगर निगम दोनों कटघरे में खड़े थे। समझदारों ने दोनों को ही चुप रहने की सलाह दी, क्योंकि जितने छिलके यहां निकाले जाते, उतने निकलते। दोनों ने चुप रहने में ही अपनी भलाई समझी, लेकिन कांग्रेस के प्रदेश सचिव राकेश यादव इसमें कूद गए और उन्होंने एमपीसीए को कई मामलों में घेर दिया, लेकिन नतीजा अभी तक नहंी आया, जिन्हें कार्रवाई करना है, वे अभी तक मौन धारण किए हुए हैं।
    रेलवे समिति में चौथी बार फिट हो गए वर्मा
    रेलवे समिति में एक बार फिर जगमोहन वर्मा को सदस्य बना दिया गया है। पिछले तीन बार से वे सदस्य थे और चौथी बार फिर सदस्य बना दिए गए हैं। पहले वे सुमित्रा महाजन के कोटे से थे और अब शंकर लालवानी के कोटे से सदस्य बन बैठे। हालांकि अभी तक वे ही ऐसे अकेले सदस्य हैं, जो बार-बार रिपीट हो रहे हैं। कहा जा रहा है कि जनप्रतिनिधियों को कोई रेल मामलों का नया विशेषज्ञ मिल नहीं रहा है, इसलिए वर्मा को फिर से सदस्य बनाना पड़ा।
    मोदी ने दी सिंधिया को तवज्जो…कुछ तो है…
    श्री महाकाल लोक के लोकार्पण में मंदिर परिसर में मुख्यमंत्री के साथ केन्द्रीय मंत्री सिंधिया की मौजूदगी और फिर बाद में उन्हीं के साथ वायु सेना के विमान में दिल्ली जाने के मामले को प्रदेश की राजनीति में सिंधिया का कद बढऩे से देखा जा रहा है। उस दिन कार्यक्रम में प्रहलाद पटेल जैसे कद्दावर नेता भी थे, लेकिन उन्हें मंच पर बिठाने से ज्यादा सम्मान नहीं दिया गया। पूरे समय सिंधिया मोदी के साथ रहे और फिर जब मोदी महाकाल लोक घूम रहे थे तभी वे थोड़े समय के लिए वहां नहीं दिखे। मोदी की सिंधिया को दी गई अहमियत के कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। चूंकि अगले साल प्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं और फिर सरकार भी सिंधिया के रहमोकरम पर बनी है। राजनीतिक पंडितों का अनुमान है कि विधानसभा चुनाव में सिंधिया महती भूमिका निभा सकते हैं और इसी भूमिका के कारण अभी से उनकी पार्टी में पूछपरख बढ़ गई है।
    दीवाली सबसे ज्यादा पटाखा व्यापारियों पर भारी पड़ती है। सरकारी विभागों का टारगेट वे ही होते हैं। इस बार तो जीएसटी वाले भी आ गए। उनका हिसाब-किताब पूरा हो गया तो वर्दी वाले आ धमके। बताया गया कि भाजपा की राजनीति से जुड़े एक बड़े नेता का टारगेटउन्हें पूरा करने के लिए कहा गया है। बेचारे पटाखे वालों के हाथ में क्या था। जी साब, बोलकर सेवा में लग गए।
    -संजीव मालवीय

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