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    ये पॉलिटिक्स है प्यारे

  • October 10, 2022

    टीआई के अलावा और भी है नेताओं के खास
    जिस तरह से क्राइम ब्रांच टीआई भदौरिया को लेकर शिकायत हुई और उसके बाद सीएम का एक्शन हुआ, उससे उन अधिकारियों में धुकधुकी तो मच गई है, जो किसी न किसी नेता के नाम पर शहर में अपनी नौकरी चला रहे हैं। जिस भदौरिया के किस्से आम हो गए थे, उनको लेकर भाजपा के नेताओं में विरोध भी नजर आया। टीआई अपनी दुकान किसके नाम पर चला रहे थे, सबको मालूम था। जमीन संबंधी शिकायतों के मामले मे आगे होकर रूचि लेने वाले टीआई साब का शिकार जब सांसद शंकर लालवानी के परिचित हुए तो सांसद को भी लगा कि कुछ गलत हो रहा है। इस पर उन्होंने मुख्यमंत्री को वे सबूत दिखाए और कहा कि इससे सरकार की छवि खराब हो रही है। सीएम ने पहले चेतावनी दी, लेकिन शंकर इस पर खुश नहीं हुए तो सीएम ने उन्हें टीआई के पद से हटा ही दिया। वैसे कुछ और अफसर अभी भी आम जनता से वास्ता नहीं रखते हैं और नेताओं की परिक्रमा में देखे जा सकते हैं।


    अभी तक गाते थे, अब बजाते भी हैं
    जीतू जिराती अपने राजनीतिक गुरु कैलाश विजयवर्गीय के साथ माइक संभालते-संभालते गाना सीख गए थे, लेकिन उन्होंने अपने गरबा महोत्सव में दिखा दिया कि वह बजाते भी अच्छा हैं। गरबे का आखिरी दिन था और ड्रम पर जिराती थे। उन्होंने कुछ इस तरीके से बजाया कि लोग झूम उठे। अब उनका यह गाना-बजाना विधानसभा के लोगों को खुश करने के लिए था या फिर यह बताना चाहते थे कि हम भी बजाने में कम नहीं है। अब वक्त बताएगा जिराती का ये संगीत राजनीति की किस सरगम में फिट होगा?
    मैच के टिकट में पार्षदों की पूछ-परख
    इंदौर में हुए क्रिकेट मैच के दौरान पास की बंदरबांट का मुद्दा खूब उठा। नेताओं ने भी अपने दबाव-प्रभाव का इस्तेमाल कर पास झटक लिए। हालांकि एसोसिएशन ने पार्षद और एमआईसी सदस्यों को पहले ही पास पहुंचा दिए थे, क्योंकि यही लोग ज्यादा हंगामा करते हैं। हंगामा हुआ भी, लेकिन उसमें नगर निगम के अधिकारियों पर आरोप लग गए। बात कुछ भी हो एमपीसीए ने नेताओं को तो सेट कर लिया था और फिर मैच के दौरान उनकी मेहमाननवाजी में भी कसर नहीं छोड़ी
    जब गरबे में चढ़ा सियासी रंग
    अगले साल विधानसभा चुनाव है और इस बार गरबे में सियासी रंग बढ़-चढक़र नजर आया। 2, 4, राऊ और देपालपुर में गरबे का खूब रंग चढ़ा। दावेदारों ने भीड़ भी खूब की, लेकिन इनमें सबसे ज्यादा भीड़ मनोज पटेल के गरबे में नजर आई। मनोज इस बार उम्मीद से हैं और देपालपुर विधानसभा में घुसपैठ कर रहे दावेदारों को बताना चाह रहे हैं कि उनका दावा मजबूत है और सीएम से नजदीकी के चलते उनका टिकट भी पक्का है। बड़ा बांगड़दा में हुए गरबे के आयोजन के दौरान उन्होने भाजपा के बड़े नेताओं को भी बुला लिया था और अपनी विधानसभा के उन सभी लोगों को इक_ा कर लिया जो चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वैसे मनोज के अलावा यहां सुंदरकांड और कथा कराने वाले भी सक्रिय हैं और फिर विधायक विशाल पटेल तो अभी से ही तैयारी कर रहे हैं।


    हिन्दरक्षक संगठन में जुड़ा नया नाम
    4 नंबर में गौड़ परिवार में जिस तरीके से वर्चस्व की लड़ाई चल रही है, उसने उन कार्यकर्ताओं को बेचैन कर दिया है, जो हमेशा से 4 नंबर में हिंदुत्ववाद का किला लड़ाते आ रहे हैं। हिंदरक्षक संगठन में इस बार मालिनी गौड़ परिवार की एंट्री नहीं हुई तो पूरा दारोमदार लोकेन्द्र राठौड़ और राजसिंह गौड़ के ऊपर ही रहा। हर दिन शस्त्र पूजन किया गया और बड़े नेताओं को बुलाकर बताया गया है कि हम ही हिंदरक्षक संगठन के कर्ताधर्ता हैं। हालांकि इसमें सनातन शब्द जोड़ दिया गया है। इसके बाद एकलव्य को भी शस्त्र प्रदर्शन कर बताना पड़ा कि इस संगठन में हमारा भी हिस्सा है।
    कांग्रेसियों को एयरपोर्ट के बाहर खड़े रहना पड़ा
    सरकार से बाहर रहने का गम क्या होता है ये कांग्रेसियों के अलावा कोई समझ नहीं सकता। वीआईपी ट्रीटमेंट से बाहर नहीं आने वाले कांग्रेसियों की एंट्री भी अब एयरपोर्ट में बमुश्किल होती है। कल प्रभारी ब्रजमोहन अग्रवाल इंदौर आए थे तो उनको लेने पूर्व मंत्री सज्जनसिंह वर्मा और शहर अध्यक्ष विनय बाकलीवाल ही अंदर जा सके। बाकी को बाहर खड़े रहना पड़ा। एयरपोर्ट अधिकारियों ने मोदी की यात्रा का हवाला दिया और कहा कि ज्यादा लोगों को अंदर नहीं जाने दे सकते। हालांकि ये नियम मुख्यमंत्री से मिलने गए भाजपाइयों पर लागू नहीं था।
    फिट नहीं बैठ पा रहा सोनकर का गणित
    राजेश सोनकर को सांवेर विधानसभा से दूर कर जिला अध्यक्ष बनाया गया, तब से वह अंदर ही अंदर बेचैन हंै, लेकिन जाहिर तौर पर कुछ कह नहीं सकते। अनुशासन का डंडा मारने वाली पार्टी के कार्यकर्ता जो है। सोनकर ने अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को इक_ा कर एक प्रशिक्षण वर्ग रखने का सोचा था और उसमें मुख्यमंत्री को भी निमंत्रण भेज दिया था, लेकिन वे नहीं आए और सारा मजमा धरा का धरा रह गया। खबर उड़ी कि सीएम को रोक दिया गया है, लेकिन मामला कुछ और निकला। अब एक बार फिर सोनकर मजमा जमाने की तैयारी कर रहे हैं और मुख्यमंत्री से समय लेने में लगे हुए हैं, ताकि बताया जा सके कि उनकी राजनीतिक पकड़ कितनी मजबूत है।
    कैलाश विजयवर्गीय को लेकर एक पोस्ट सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है, जिसमें वे उस ऑटो वाले की तलाश कर रहे हैं, जिस पर लिखा है सीएम इन कमिंग सून और विजयवर्गीय का फोटो है।
    -संजीव मालवीय

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