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ये पॉलिटिक्स है प्यारे

September 26, 2022

कमलनाथ और दिग्गी के समर्थकों को राहत
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को बीच में छोडक़र जिस गति से दिग्विजयसिंह दिल्ली पहुंचे थे और उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष की दौड़ में माना जा रहा था, उससे उनके इंदौरी समर्थकों के चेहरे खिल गए थे। वे सीधे अकबर रोड में इंट्री के सपने देख रहे थे, लेकिन दिग्गी ने इसे कोरी अफवाह बताकर बात ही खत्म कर दी। कमलनाथ का नाम भी दावेदार के रूप में सामने आ रहा था, लेकिन वे भी दौड़ से बाहर हैं। मतलब दोनों नेताओं के हाथ में ही प्रदेश की बागडोर रहने वाली है। दोनों के समर्थक अब निराश हैं, लेकिन इसी पर वे संतोष जता रहे हैं कि कम से कम ये दोनों नेता जब तक प्रदेश में रहेंगे तब तक तो हमारी दुकान चलती रहेगी। इसी चक्कर में कई शहर और जिलाध्यक्ष बने बैठे हैं, जबकि संगठन में उनकी रिपोर्ट ठीक नहीं है।


…और जब पांडेजी की सहनशक्ति जवाब दे गई
हिन्दूवादी नेता दिनेश पांडे हमेशा भगवा झंडा बुलंद करते आए हैं। उनकी पत्नी हाल ही में पार्षद का चुनाव जीत गई हैं। पिछले दिनों उनके क्षेत्र में एक स्कूल का भूमिपूजन में विधायक विजयवर्गीय के साथ कई नेता भी थे। पांडे गुरू का सब्र उस समय जवाब दे गया, जब उनके सामने मुस्लिम मोर्चा के एक नए पदाधिकारी आ गए। गुरू तो गुरू ठहरे, उन्होंने ऐसी लू उतारी कि उक्त पदाधिकारी ने वहां से खिसकने में ही अपनी भलाई समझी। गुरू फिर भी नहीं रूके और कह दिया कि तू भूल मत जाना, तेरी बड़ी मोटी फाइल मेरे पास आई है और लोगों के कैमरे भी तेरे ऊपर लगे हैं।
कांग्रेस के लोग आ गए हैं अल्पसंख्यक मोर्चा में
भाजपा के एक नेता दावा कर रहे हंैं कि उनके पास एक कांग्रेस पार्षद का फोन आया और उन्होंने कहा कि हमारे लोग भी हम तुम्हारे अल्पसंख्यक मोर्चे में आ गए हैं। उनका इशारा मोर्चे में शामिल किए गए पूर्व कांग्रेसियों की ओर था। इसको लेकर उक्त भाजपा नेता ने वरिष्ठ भाजपा नेताओं तक अपनी बात पहुंचाई, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। नेताजी का दावा है कि उनके पास तो बाकायदा फोन कॉल की रिकार्डिंग हैं और समय आने पर वे उसे और भी बड़े नेताओं को बताएंगे। वैसे अभी अल्पसंख्यक मोर्चे में नियुक्ति विवाद ठंडा पड़ गया है, क्योंकि जिन्होंने विरोध किया था, उन्हें चुप रहने के लिए कहा गया है।


दीनदयाल में दिनोंदिन सक्रिय हो रहे ‘हरिराम’
इन दिनों दीनदयाल भवन में फिर ‘हरिराम’ नामक शख्स का बोलबाला है। नाम जरूर किसी का हरिराम नहीं है, लेकिन शोले के जेलर के खास हरिराम का काम कुछ लोग कर रहे हैं। ऐसे लोग नगर अध्यक्ष के आसपास घूमते दिखाई दे रहे हैं। चापलूसी में उस्ताद ऐसे लोगों की पूछपरख भी दीनदयाल भवन में है, क्योंकि राजकाज में जासूसी जरूरी होती है। हरिराम टाइप के लोगों के पास भी ऐसे लोग हैं जो उन्हें सूचना देते है कि नगर अध्यक्ष या फिर कोई बड़ा नेता तो कार्यालय नहीं पहुंचा। पुराने अध्यक्षों के कार्यकाल में भी ऐसे लोगों की पूछपरख थी, लेकिन इतने नहीं थे, जितने अब दीनदयाल भवन में मंडरा रहे हैं। इनमें से कुछ को तो भाजपा के मोर्चा-प्रकोष्ठ में रणदिवे द्वारा उपकृत भी कर दिया गया है।
निजीकरण के बाद चर्चा में हैं एमआईसी मेम्बर
इन दिनों एक एमआईसी मेम्बर चर्चा में हैं। वैसे सभी मेम्बर काम में लग गए हैं। हर विभाग का अध्यक्ष अपने हिसाब से काम कर रहा है, लेकिन इन महाशय ने एक कदम आगे बढ़ाकर कुछ मामलों में निजी एजेंसियों का दखल बढ़ा दिया है। सीधे कहे कि जनता की सुविधा बताकर निजीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है। बढ़ावा भी ऐसा कि जिससे आर्थिक लाभ निगम को भी हो और ….


विरोध के बावजूद ऋषि को मिल गया आनंद
पिछड़ा वर्ग मोर्चा की कार्यकारिणी भी घोषित कर दी गई। 28 मंडलों में सबसे ज्यादा घमासान वीर सावरकर मंडल में था। पहले यहां एक पार्षद के समर्थक को बनाया जा रहा था, लेकिन बाद में मंडल अध्यक्ष की पसंद का अध्यक्ष बनाया जाने लगा, लेकिन क्षेत्रीय विधायक ने ऋषि आनंद का नाम पुरजोर तरीके से रखकर उन्हें अध्यक्ष बनवा ही दिया।
मुलाकात में टाइम पास करते रहे कांग्रेस प्रभारी
कमलनाथ से पटरी नहीं बैठने के कारण मुकुल वासनिक की जगह जयप्रकाश अग्रवाल को कांग्रेस का प्रदेश प्रभारी बनाया गया है। फिलहाल तो वे कमलनाथ के ईर्द-गिर्द ही नजर आ रहे हैं, लेकिन उन्होंने जिलों का दौरा शुरू किया है और शनिवार को वे इंदौर पहुंचे। हालांकि यहां उनका अधिकारिक कार्यक्रम नहीं था। चूंकि शाम को उन्हें इंदौर से दिल्ली की फ्लाइट पकडऩा थी, इसलिए उन्होंने कहा कि वे कुछ नेताओं से मिलने जाएंगे। बस इसी मेल-मुलाकात में उन्होंने अपना दिनभर का समय निकाला। जिनके यहां गए वो खुश हो गए तो जिनके यहां नहीं गए, उन्होंने मुंह फूला लिया। पूरा दिन निकल गया और वे दिल्ली रवाना हो गए। इस पर बात चली कि लगता नहीं कि अग्रवाल के आने से संगठन को गति मिलेगी और फिर इंदौर में तो शुरू से ही कसावट रखना पड़ेगी, नहीं तो परिणाम अपेक्षित नहीं आ पाएंगे।


इंदौर में पीएफआई पर छापे पडऩे के बाद चर्चा है कि कांग्रेस के कुछ मुस्लिम नेता बेचैन हैं। ये नेता ऐेसे लोगों से सहानुभूति रखते हैं। चूड़ीवाला कांड में जब कोतवाली पर प्रदर्शन हो रहा था तब भी इन पर पुलिस की खुफिया निगाहें थीं, लेकिन मामला ठंडा हो गया। अब एक बार फिर पुलिस सक्रिय हैं। खबर तो ये भी है कि भाजपा के कुछ मुस्लिम नेता भी इस बार पुलिस के निशानें पर हैं।
-संजीव मालवीय

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