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    ये पॉलिटिक्स है प्यारे

  • September 12, 2022

    अभी जैसे तेवर हैं, वैसे ही बने रहे तो बने बात
    महापौर जिस गति से नगर निगम को चला रहे हैं और झोनल स्तर की बैठकें लेकर अधिकारियों की हवा टाइट कर रहे हैं, उसने कैलाश विजयवर्गीय के महापौर काल की याद दिला दी है, नहीं तो बीच के 15 साल में अधिकारियों पर कमांड गायब-सी हो गई थी। मोघे के समय फिर भी अधिकारी सूत-सावल में चलते थे, लेकिन पिछले सात साल से तो नगर निगम के कुछ अधिकारियों की मनमानी के चलते खूब किरकिरी भी हुई। अब जिस तरह से भार्गव ने निगम की कमान संभालकर विभागों में कसावट लाना शुरू कर दिया है और जनप्रतिनिधियों को तवज्जो देने की चेतावनी भी दे रहे हैं, उससे लग रहा हैकि निगम में एक बार फिर परिवर्तन देखने को मिलेगा। भार्गव ने सभी पार्षदों को तवज्जो देना भी शुरू कर दिया है और पार्टी के लोगों को भी। दोनों में सामंजस्य बिठाकर वे काम करना चाहते हैं, ताकि सत्ता और संंगठन की लंबी रेस में बने रहें।
    अलीम खुद बैठे थे पत्नी के साथ मीटिंग में
    कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे भाजपा की महिला पार्षदों की जगह उनके पति के बैठकों में शामिल होने पर कई बार आपत्ति ले चुके हैं, लेकिन पिछले दिनों कांग्रेस की सचेतक फौजिया अलीम के पति शेख अलीम ही झोन की बैठक में नजर आए। बैठक महापौर ने बुलाई थी। न केवल अलीम बैठक में थे, बल्कि अपने क्षेत्र की बात भी महापौर से करते रहे। भाजपाई कह रहे हैं कि पार्षद पतियों को बैठक में शामिल होने से रोकने की मांग करने वाले चिंटू पहले अपनी पार्टी पर ही ध्यान दे देंं।
    सक्रिय हो गए हैं पटेल साब, फोन भी उठा रहे
    देपालपुर से विधायक रहे मनोज पटेल के बारे में बच्चा-बच्चा जानने लग गया है कि वे फोन नहीं उठाते, लेकिन ठहरिए, अब उनके फोन उठ रहे हंै और फोन उठ ही नहीं रहे, बल्कि उनका जवाब भी दिया जा रहा है। गांव की राजनीति करने वाले पटेल साब फिर सक्रिय हो गए हैं और गांवों में जाना भी शुरू कर दिया है। कारण सबके सामने है। अगले साल विधानसभा चुनाव है और पटेल साब फिर प_ों से कह रहे हैं तैयारी करके राखजो।
    गणेश विसर्जन को लेकर श्रेय की होड़
    इस बार गणेश विसर्जन को लेकर नगर निगम की तारीफ हो रही है। इसका पूरा श्रेय महापौर पुष्यमित्र भार्गव को दिया जा रहा है, लेकिन श्रेय लेने की होड़ में भाजपा के ही एमआईसी सदस्य अपनी तारीफ कर रहे हैं तो दूसरी ओर निगम भी अपनी पीठ थपथपाते नहीं थक रहा है। वैसे वर्कशॉप प्रभारी जीतू यादव हंै, लेकिन यादव इसका श्रेय नहीं ले पाए। इसके पहले ही निगम के अधिकारियों ने इसे अपने दिमाग की उपज बताकर वाहवाही लूट ली। जिस दिन विसर्जन हो रहा था, उस दिन कई एमआईसी मेंबर भी जवाहर टेकरी पहुंच गए और अपने-अपने सोशल मीडिया पर वाहवाही करवाने लगे। खैर जो भी हो, इंदौर के लोग इस बार खुश हैं कि उनकी आस्था के साथ खिलवाड़ नहीं हुआ, नहीं तो अफसरशाही में हर बार गणेशजी की मूर्ति की क्या हालत होती थी, ये सब जानते हैं।
    वकील साब ये क्या?ं
    विधि प्रकोष्ठ के मनोज द्विवेदी जिला स्तर पर नियुक्तियां कर रहे हैं, लेकिन अभी तक उन्होंने जितनी नियुक्तियां की हैं, उनमें ब्राह्मण वर्ग को तवज्जो दी जा रही है और इससे भाजपा के ही कुछ नेता नाराज हैं। उन्होंने सोशल मीडिया के मार्फत अपनी आवाज पार्टी के नेताओं तक पहुंचाई है कि वे जातिवाद को बढ़ावा दे रहे हंै। बाकायदा इसकी सूची भी सोशल मीडिया पर जारी की गई है। सवाल उठाया जा रहा है कि किसी एक वर्ग से ही पार्टी चलेगी तो फिर दूसरे वर्ग वालों का क्या होगा?
    इस बार फंस गए कांग्रेसी
    कुछ कांग्रेसी ऐसे हैं, जो बस मीडिया की सुर्खियों में बने रहना चाहते हैं। ऐसे ही कुछ कांग्रेसी पिछले दिनों महंगाई विरोधी रैली में दिल्ली नहीं गए, लेकिन ऐसा प्रचार किया कि इंदौर से केवल वे ही हैं जो महंगाई का विरोध कर रहे हैं। वैसे दावा किया जा रहा है कि वे दिल्ली गए थे, लेकिन हर छोटी-छोटी बात पर स्वयं का प्रचार करने वाले ये कांग्रेसी दिल्ली की रैली के फोटो सार्वजनिक नहीं कर पाए और बोलने वालों को मौका मिल गया है कि ये पार्टी के लिए नहीं, बल्कि अपनी झांकी जमाने के लिए नए-नए उतापे करते रहते हैं।
    राहुल के फिर नजदीक पहुंचे पटवारी
    इंदौर में जीतू पटवारी की कांग्रेस के किसी बड़े नेता से पटरी नहीं बैठ रही है और जब से वे कमलनाथ की नजरों में चढ़े हंै, उसके बाद कई नेताओं ने उनसे दूरी बना ली थी। विशाल पटेल और संजय शुक्ला एक साथ खड़े नजर आते हैं, लेकिन वे पटवारी से दूर ही रहते हैं। कारण चाहे कुछ भी रहा हो। अब पटवारी एक बार फिर राहुल गांधी के आसपास नजर आ रहे हैं। भारत जोड़ो यात्रा में वे पहुंचे हैं और राहुल गांधी के साथ के फोटो सोशल मीडिया पर दिखाकर बताना चाह रहे हैं कि उनकी पहुंच अभी भी राहुल के नजदीकियों में है और वे ही राऊ विधाानसभा से टिकट लाएंगे, चाहे कुछ भी हो जाए। हां, लेकिन लोगों को ये बात समझ नहीं आ रही है कि सालभर पहले अपने भाई भरत को आगे करने वाले पटवारी अब खुद आगे हो चले हैं, ये चुनावी साल का असर नहीं तो क्या है?
    तीन नंबर विधानसभा के पार्षद आए दिन अखबारों में सुर्खियां बटोर रहे हैं। पहले एक पार्षद अपने साले को थाने से छुड़वाने के मामले में सामने आ चुके हैं तो दूसरी पार्षद के पति अपने एक साथी, जो धोखाधड़ी में शामिल था, को छुड़वाने थाने पहुंच गए, लेकिन पुलिस ने उन्हें चलता कर दिया। हंगाम भी खूब हुआ। अब बताने वाले बता रहे हैं कि यहां आकाशजी का सिलेक्शन गड़बड़ा गया है।

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