img-fluid

ये पॉलिटिक्स है प्यारे

July 11, 2022

विधायकजी का आदमी है, वे ही जानें
भाजपा में इस बार पार्षदों के टिकट वितरण में विधायकों की खूब चली। एक नंबर से लेकर राऊ तक में विधायक अपने पट्ठों को टिकट दिलाने में कामयाब रहे और संगठन में काम करने वाले रह गए। चुनाव प्रचार के दौरान टिकट की दौड़ से बाहर किए गए नेताओं का कहना था कि विधायकजी ने ही उसे टिकट दिया है तो विधायकजी ही अब प्रचार की कमान संभाल लें, हमारी क्या जरूरत? ऐसी ही स्थिति हर विधानसभा में देेखने को मिली है। कई तो कह रहे हैं कि अब संगठन को हमारे जैसे समर्पित कार्यकर्ताओं की जरूरत कहां है? यहां पराक्रम नहीं अब परिक्रमा करने वालों की ही पूछपरख होती है। ऐसे लोग अब विचार कर रहे हैं कि किस नेता की परिक्रमा की जाए, जिससे उन्हें सेवा के साथ मेवा भी मिले।
पूर्व पार्षद दिखा रही थीं हाथ का निशान
मतदान के दौरान दो नंबर विधानसभा के एक क्षेत्र में भाजपा की पार्षद रही एक नेत्री टिकट नहीं मिलने से इतनी दु:खी थीं कि वे मतदान करने जाने वालों को हाथ के पंजे का निशान दिखा रही थीं। किसी ने उनके फोटो खींचकर पार्टी के नेताओं तक पहुंचाए हैं और बताया है कि ऐसे ही लोगों के कारण दो नंबर में भाजपा की सीटें घट सकती हैं। फिलहाल दादा दयालु मौन हैं और वे सब पर निगाह रखे हुए हैं कि किसने क्या किया? जिन्हें पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखाया, उन पर भी विशेष निगाह रखी गई।
अबकी बार पार नहीं होगी पारिया की नाव
इंदौर जनपद पर एकछत्र राज करने वाले रामसिंह पारिया परिवार की नाव इस बार पार नहीं हो पाएगी। कभी तुलसी सिलावट के खास रहे पारिया इस बार भी चुनाव जीत गए हैं और कांग्रेस के सर्वाधिक उम्मीदवार इंदौर जनपद से जीते हैं, लेकिन वे पारिया के पाले में नहीं आ पा रहे हैं। कांग्रेस के कुछ नेताओं ने इस बार रामसिंह पारिया को जनपद अध्यक्ष की सीट से दूर रखने को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है तो भाजपा के नेता भी उनकी मदद नहीं कर पा रहे हैं।


दो नंबर में हंगामा क्यों है बरपा?
आखिरकार इस बार ऐसा क्या रहा कि टिकट वितरण से लेकर मतदान तक दो नंबर के कुछ वार्डों में हंगामे होते रहे। इसको लेकर शहर में कई तरह की चर्चाएं हैं। विशेषकर भाजपा में ही नेता इसका पता लगा रहे हैं कि क्या दो नंबर के किले में सेंधमारी हो रही है या हो चुकी है। दो नंबर के बारे में कहा जाता था कि दादा दयालु जो कह देते थे वह हो जाता था, लेकिन टिकट वितरण को लेकर महिलाओं द्वारा हंगामा मचाने, दादा के आगे-पीछे घूमने वाले पुरुष नेताओं द्वारा नामांकन भर देने और फिर वापस लेने तथा मतदान वाले दिन दो नंबर के खास सिपहसालार चंदू शिंदे के ऊपर हमला होने के कई मायने निकाले जा रहे हैं। कहा जा रहा है दो नंबर के ही कुछ नेताओं द्वारा विरोधियों को हवा दी जा रही है और ये सब उसके परिणाम के रूप में सामने आ रहा है।
अध्यक्ष के बिना करना पड़ी समीक्षा
कांग्रेस को वार्डों की समीक्षा करना थी और शहर अध्यक्ष विनय बाकलीवाल मुंबई से सीधे हैदराबाद उड़ गए। वे मुंबई गए तो थे, अपने स्वास्थ्य की जांच कराने, लेकिन उनका परिवार हैदराबाद में भी रहता है और वे हैदराबाद रवाना हो गए। अब वार्डों की समीक्षा कौन करे? कुछ कांग्रेसी तो कह रहे हैं कि अब उन्हें आराम ही करना चाहिए, क्योंकि निगम चुनाव के बाद अब विधानसभा चुनाव है और पार्टी के लिए 24 घंटे काम करने वाला अध्यक्ष चाहिए, तभी शहर की 6 सीटों पर कांग्रेस आ सकती है, नहीं तो कमलनाथ का सपना केवल सपना ही रह जाएगा।


अब असलम के पीछे लग गए मुस्लिम नेता
आजाद नगर में भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा के नगर अध्यक्ष असलम शेख की पत्नी शबनम शेख अपनी ही देवरानी के सामने चुनाव लड़ीं। पर्दे के पीछे से पूरा डायरेक्शन असलम का रहा। अब इसकी शिकायत कुछ मुस्लिम नेता कर रहे हैं, जो अध्यक्ष पद से दूर रह गए थे। उनका कहना है कि सीधे-सीधे उन्होंने अपनी पत्नी को लड़ाया। उनका बेटा प्रचार में लगा रहा, लेकिन उन पर किस भाजपा नेता की मेहरबानी है, जो उन्हें पार्टी से बाहर नहीं किया गया? वैसे कहा जा रहा है कि असलम ने अपनी पैठ भोपाल में जमा रखी है, इसलिए उनका कुछ बिगडऩे वाला नहीं।

प्रत्याशी काम पर निकले, अध्यक्ष छुट्टी मना आए
भाजपा नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे दो दिन की छुट्टी पर चले गए थे और शनिवार को वापस लौटे तथा संगठन के काम में जुट गए, जबकि महापौर प्रत्याशी पुष्यमित्र भार्गव मतदान के दूसरे दिन से ही मेल-मुलाकात में लगे हुए हैं। उन्होंने बता दिया कि वे चुनाव प्रचार के बाद भी फिट हैं और अपने काम पर लग गए हैं। वहीं दूसरी ओर संजय शुक्ला का भी यही हाल रहा। वे भी दूसरे दिन ही लोगों से मिलने निकल पड़े और प्रमुख कार्यकर्ताओं से लेकर शहर के बुद्धिजीवी वर्ग से भी मिले, जबकि कांग्रेस के शहर अध्यक्ष विनय बाकलीवाल हैदराबाद में हैं। वे दो दिन यहीं रहने के बाद मुंबई में अपने स्वास्थ्य की जांच करवाने गए थे और वहां से हैदराबाद निकल गए। अब वे मतगणना के पहले ही इंदौर आएंगे।

संजय शुक्ला ने जिस तरह से महापौर का चुनाव लड़ा और शहर में कांग्रेस के तेजी से उभरते नेता साबित हुए, ये कुछ नेताओं को हजम नहीं हो रहा है और वे लगातार उनसे दूरी बनाकर चल रहे हैं। यही कारण रहा कि चुनाव में कई मौकों पर शुक्ला अकेले किला लड़ाते दिखे।
-संजीव मालवीय

Share:

21 साल की उम्र में बन सकेंगे अध्यक्ष, अध्यादेश होगा जारी

Mon Jul 11 , 2022
मामला नगर पालिका और नगर परिषद अध्यक्षों का, शासन ने अपनी गलती सुधारने के लिए राज्यपाल को भिजवाया मंजूरी के लिए अध्यादेश इंदौर। शासन ने पिछले दिनों पार्षदों के निर्वाचन (election of councilors) की आयु सीमा (Age Limit) घटाकर तो 21 वर्ष कर दी, मगर गलती से नगर पालिका अध्यक्ष और नगर परिषद अध्यक्ष के […]
सम्बंधित ख़बरें
खरी-खरी
मंगलवार का राशिफल
मनोरंजन
अभी-अभी
Archives

©2024 Agnibaan , All Rights Reserved