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    ये पॉलिटिक्स है प्यारे

  • June 13, 2022

    भाईजान के सामने भाईजान
    वार्ड क्रमांक 53 में इस बार पार्षदी का मुकाबला रोचक होने वाला है। कारण यहां से दो भाईजान एक-दूसरे के सामने चुनाव लड़ सकते हैं। शेख अलीम का टिकट तो तय है कि वहीं उनके भाई शेख असलम भी इसी सीट से चुनाव लडऩे जा रहे हैं। असलम को हाल ही में भाजपा ने अल्पसंख्यक मोर्चा का अध्यक्ष बनाया गया है तो अलीम प्रदेश अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष हैं ही। वैसे दोनों में अंदर ही अंदर शीतयुद्ध चल रहा है, जिसकी आवाजें अब बाहर आने लगी है। पिछले दिनों फेसबुक पर शेख सलीम की एक पोस्ट ने यहां की राजनीति गर्म कर दी, जिसमें मरहूम कलीम शेख के फोटो के साथ अलीम ने अपने कामों का बखान किया है। उसको लेकर सलीम ने आपत्ति ली और स्पष्ट लिखा कि अपने और अपनी बीवी के दम पर चुनाव लड़े, मेरे बेटे का नाम और फोटो का इस्तेमाल न करें।


    मुंह छिपाकर भाजपा कार्यालय पहुंचे कांग्रेसी
    कभी कांग्रेस में टिकट मांग रहे थे, लेकिन अब बदले समीकरण में वे भाजपा में टिकट की चाह रख रहे हैं। ऐसे ही एक कांग्रेस नेता मुंह पर रूमाल बांधकर भाजपा कार्यालय पहुंच गए। बताया जा रहा है कि नेताजी दो वार्डों से दावेदारी कर रहे हैं। समाज के लोग भाजपा कार्यालय टिकट मांगने आए थे तो वे भी आ गए, लेकिन कोई पहचान नहीं ले, ये डर भी उनको सता रहा था। फिर भी उन्हें लोगों ने पहचान लिया तो वे झेंप गए और बोले कि समाज के लोगों का आदेश है, उनके कहने पर तो आना ही पड़ता है। आखिर समाज में रहना जो है। अब देखते हैं, इतनी मशक्कत के बाद नेताजी को टिकट मिलता है या नहीं?

    आखिर बलिदान का फायदा तो मिले
    कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला के साथ घूम रहे सर्वेश तिवारी और टंटू शर्मा की किस्मत कह लो या फिर उनकी शुक्ला परिवार के प्रति भक्ति कि दोनों नेता चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। सर्वेश का वार्ड उनके अनुकूल नहीं है तो टंटू चुनाव नहीं लडऩा चाह रहे हैं। दोनों ने शुक्ला के लिए बलिदान देने का फैसला लिया है। वे कहते फिर रहे हैं कि भिया महापौर बन गए तो हम खुद ही महापौर हो जाएंगे, फिर पार्षदी की क्या जरूरत? वैसे सर्वेश दो बार के पार्षद हैं और टंटू ने अपनी किस्मत अभी तक चुनाव में नहीं आजमाई है। अब देखना है कि शुक्ला के चक्कर में उनका उद्धार हो पाता है या नहीं?


    भाजपा और कांग्रेस में जिन हारे-जीते विधायकों को टिकट चयन समिति में लिया गया है, उनका प्रयास है कि अपने ज्यादा से ज्यादा प_ों को वो टिकट दिला दें, ताकि अगले साल आने वाले विधानसभा चुनाव में उन्हें फायदा मिल सके। अब सूची में आश्चर्यचकित करने वाले नाम आ जाएं तो ये मत कहना कि पहले बताया नहीं। -संजीव मालवीय

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