ब्‍लॉगर

ये पॉलिटिक्स है प्यारे

खुलकर सामने नहीं आ रहे निगम के दावेदार
प्रदेश में चुनावी दुदुंभी बज चुकी है और पंचायत चुनाव की आज से अधिसूचना भी जारी हो रही है। यानि नामांकन शुरू होने वाले हैं, लेकिन शहरी क्षेत्र में इतनी तैयारियों के बावजूद भी अभी चुनावी माहौल नहीं बन पा रहा है। कल मुख्यमंत्री ने भाजपा कार्यकर्ताओं में जोश भी भर दिया और उसके पहले कमलनाथ भी कांग्रेसियों को तैयारी करने का इशारा कर चुके हैं, लेकिन दावेदार हैं कि खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं। दरअसल पिछली बार जब चुनाव घोषित होने वाले थे, तब दावेदार खुलकर सामने आए और खूब खर्चा किया। कई तो अपना टिकट पक्का मानकर चल रहे थे और भोजन-भंडारों के साथ पार्टियों के आयोजन भी होने लग गए थे, लेकिन इस बार शहरी दावेदार हाथ खींचकर चल रहे हैं। उन्हें अभी भी डर है कि कहीं निगम चुनाव आगे न बढ़ जाए। कुछ तो इसलिए भी दावेदारी नहीं रह रहे हैं कि नाम लिया तो जेब में हाथ डालना ही पड़ेगा।


आगे नजर आ रहे संजय के सागर
संजय शुक्ला कांग्रेस की राजनीति में जिस फुर्ती से आगे बढ़ रहे हैं, उसमें अब उन्हांने अपने छोटे सुपुत्र सागर को भी आगे कर दिया है। शुक्ला के जन्मदिन पर जिस तरह से होर्डिंंग्स, बैनर और पोस्टर लगे हैं और विज्ञापन छपे हैं, उसमें सबमें सागर शुक्ला मौजूद हैं। यानि यह तय हो रहा है कि शुक्ला की राजनीतिक विरासत सागर संभालेंगे। वैसे सागर के बड़े पुत्र आकाश बिजनेस में ध्यान दे रहे हैं, इसलिए सागर अब बोरिंग के भूमिपूजन और पार्टी के कार्यक्रम में नजर आने लगे हैं।

उस्मान को रोकने में लगे मुस्लिम नेता
उस्मान पटेल भाजपा के गले में हड्डी की तरह फंस गए हैं। उस्मान भाजपा में आने के लिए छटपटा रहे हैं और भाजपा का एक गुट उनको लाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है, लेकिन दूसरा गुट उन्हें रोकने में लगा है कि इन्होंने एनआरसी और सीएए के मुद्दे पर पार्टी का विरोध किया और कांग्रेस में शामिल हो गए। कुछ मुस्लिम नेता इसी को लेकर बड़े नेताओं के आगे-पीछे घूम रहे हैं, लेकिन दीनदयाल भवन के अंदरूनी खबरचियों का कहना है कि उस्मान की वापसी की तैयारी है और किसी भी दिन घोषणा हो जाएगी।


हरियाली बनेगी पूर्व पार्षद के लिए खुशहाली
कुछ ऐसे पूर्व पार्षद भी हैं, जो शहर में यही देखते रहते हैं कि कहां जगह खाली पड़ी है या कहां अवैध निर्माण हो रहा है। ऐसे ही भाजपा के एक पूर्व पार्षद ने स्कीम नंबर 140 में कार्नर की जमीन पर दिमाग लगाया, लेकिन वहां पहले से ही एक बिल्डिंग खड़ी थी, उसे अवैध बताकर तुड़वा दिया। यहीं कोने पर झुग्गियां भी थीं और कुछ दुकानें सडक़ तक लग गई थीं। उनकी निगाह इस पर गई और उस जमीन को औने-पौने दाम में खरीद लिया। वहां से अतिक्रमण के नाम पर वर्षों से जमे लोगों के कब्जे भी हटा दिए गए हैं और अब वहां हरियाली के उद्देश्य को लेकर कुछ निर्माण होना है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि हरियाली की आड़ में यहां एक बड़े कब्जे की तैयारी है, जिसके लिए पूर्व पार्षद ने शहर के एक नामी माफिया के साथ मिलकर 20 लाख रुपए एडवांस भी दे दिए हैं।

नए चेहरों से दु:खी पुराने चेहरे
चुनावी साल है और कांग्रेस से ऊब चुके नेता अब भाजपा के झंडे के नीचे आ रहे हैं। कुछ खुद को महफूज करने के लिए आ रहे हैं तो कुछ को भाजपा की राजनीति पसंद आ रही है। जाहिर तौर पर सब कहते हैं कि भाजपा आम लोगों की पार्टी है। आने का सिलसिला जारी है, लेकिन नए चेहरों से पुराने भाजपाई दु:खी हैं। नए लोग आते हैं तो उनकी ही पूछपरख ज्यादा की जाती है और उन्हें हर काम में आगे रखा जाता है। पुराने बेचारे देखते रहते हैं कि हमने शुरू से पार्टी की दरी उठाकर गलती की जो अब अपनी ही पार्टी में बेगाने से हो गए हैं।


विरोध काम आया, लेकिन गांव में भेज दिया
अर्चना जायसवाल ने जब इंदौर की महिला कांग्रेस अध्यक्षों की नियुक्ति की थी तब रीता डागरे ने विरोध किया था। उस समय तो कमलनाथ ने पूरी कार्यकारिणी भंग कर दी, लेकिन अब विभा पटेल ने उन्हें इंदौर ग्रामीण की जवाबदारी दे दी है। रीता इंदौर में पद चाहती थीं, लेकिन उन्हें गांव में भेज दिया गया है। वैसे गांव की डगर रीता के लिए आसान नहीं है, क्योंकि इंदौर की चारों तहसीलों में इतने गांव है कि एक कार्यकाल में वे पूरा चक्कर भी नहीं लगा सकतीं और फिर अब पंचायत चुनाव सिर पर है तो गांव तो जाना ही पड़ेगा।

जीतू पटवारी ने पद छोड़ा या छुड़वाया गया
कांग्रेस की अंदर तक की खबर रखने वाले बता रहे हैं कि जीतू पटवारी ने मीडिया विभाग के अध्यक्ष का पद नहीं छोड़ा, बल्कि छुड़वाया गया है, नहीं तो पूरी कार्यकारिणी को भंग नहीं किया जाता। कारण बताया जा रहा है कि पिछले कुछ दिनों से जीतू पटवारी मीडिया में अपनी बात ठीक से नहीं रख पा रहे थे और मीडिया भी उनकी बातों को ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहा था। इसलिए भाजपा की तरह पद से इस्तीफा देने की स्क्रिप्ट तैयार की गई और उनसे पद छोडऩे के लिए कह दिया गया। पटवारी ने भी कार्यकारी अध्यक्ष का पद रख लिया और मीडिया विभाग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। स्क्रिप्ट के अनुसार दूसरे दिन मीडिया विभाग के नए जवाबदार भी घोषित कर दिए गए।

भाजपाई भी आश्चर्य में है कि बार-बार भाजपा नए चेहरे को महापौर प्रत्याशी के रूप में उतारने की बात करने वाली उनकी पार्टी आखिर किस चेहरे पर दांव लगाने जा रही है। बड़े नेता नए नाम पर जोर लगा रहे हैं, लेकिन संगठन है कि अभी अपने पत्ते नहीं खोल रहा। -संजीव मालवीय

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