नई जुगलबंदी के तलाशे जा रहे मायने
नरोत्तम मिश्रा पिछले सप्ताह इंदौर आए थे, तब एक नई जुगलबंदी देखने को मिली। अब इस जुगलबंदी के मायने तलाशे जा रहे हैं। दरअसल मिश्रा जब भाजपा कार्यालय से खातीपुरा में शहीद की प्रतिमा का अनावरण करने जा रहे थे, तब उन्होंने कैलाश विजयवर्गीय को बुलाया और अपनी गाड़ी में बिठा लिया। मिश्रा ने मेंदोला को भी इशारा किया और वे भी गाड़ी में बैठ गए। आमतौर पर मिश्रा गाड़ी की अगली सीट पर बैठते हैं, लेकिन वे पहली बार पीछे की सीट पर कैलाश और रमेश के साथ दिखे। गौरव रणदिवे अपनी गाड़ी की ओर जा ही रहे थे कि उन्हें भी गाड़ी में बिठा लिया। चारों नेता एक ही गाड़ी में। गौरव आगे ड्राइवर के पास बैठे तो पीछे तीनों बड़े नेता। गाड़ी का कांच पैक हुआ और गाड़ी वहां से रवाना। भाजपा नेता देखते रह गए कि आखिर ये जुगलबंदी कैसे हो गई? जबकि गौरव और मेंदोला के बीच कभी संबंध अच्छे नहीं रहे हैं।
जैसे टीआई नहीं भाजपा के नेता हों
शहर के पूर्वी क्षेत्र के एक मलाईदार थाने पर आए टीआई का स्वागत ऐसे किया गया, जैसे वे किसी राजनीतिक दल के नेता हों और उन्हें बड़ी मशक्कत के बाद यह पद मिला हो। वैसे टीआई साब के स्वागत में भाजपा के कुछ नेता थे और उनके ही समाज से ताल्लुक रखने वाली एक पूर्व पार्षद भी थाने में उनका स्वागत करने पहुंची थीं। जिस दिन टीआई ने ज्वॉइन किया उस दिन उनका कमरा गुलदस्तों और मिठाई के डिब्बों से भर गया। अब इसका राज क्या है ये टीआई साब जानें या उन्हें यहां लाने वाले।
सिंधी राज्य के बाद सिंधी यूनिवर्सिटी
अलग से सिंधी राज्य की मांग करने वाले सांसद का दांव उलटा पड़ गया था, लेकिन अब दबे पांव सिंधी यूनिवर्सिटी का प्रस्ताव सामने लाया जाने वाला है। समाज में ज्यादा ही सक्रिय रहने वाले सांसद इससे अपनी छवि एक सिंधी नेता के रूप में पूरे देश में बनाना चाहते हैं। पिछले दिनों जब केंद्रीय शिक्षा मंत्री इंदौर आए थे, तब उन्होंने बातों ही बातों में इसकी पहल की, लेकिन मंत्रीजी के रुख को देखकर वे भांप गए कि समय अभी अच्छा नहीं है। वैसे अब सांसदजी अनुकूल समय का इंतजार कर रहे हैं।
मंत्री के खास ने लगाए ठुमके, अब दे रहे सफाई
मंत्री के साथ भाजपा में आए एक नेता का वीडियो ऐसा वायरल हुआ कि चंद घंटों में ही राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े लोगों के मोबाइल में पहुंच गया। इसमें मंत्री के समर्थक अपने मित्र और एक महिला के साथ ठुमके लगाते नजर आ रहे हैं। शहर के मध्य क्षेत्र में रहने वाले उक्त मंत्री समर्थक वैसे इस बार नगर निगम चुनाव में पार्षद के टिकट के दावेदार भी हैं, लेकिन ये वीडियो उनके लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है। वैसे जब मंत्रीजी कांग्रेस में थे, तब वे साए की तरह उनके साथ रहते थे। इनके बारे में बता दें कि वे समाजसेवा में अग्रणी रहते हैं और हर साल वार-त्योहार पर गरीबों को दान देने के बहाने बड़ा आयोजन भी करते आए हैं। वीडियो सामने आते ही नेताजी ने सफाई दी कि यह तो एक पारिवारिक शादी का फोटो है और वो महिला परिवार की सदस्य है। हालांकि नेताजी ने शिकायत की है, लेकिन किसी एक पर शंका जाहिर नहीं की और कहा कि कुछ लोग उन्हें ब्लैकमेल कर रहे हैं।
पिंटू को क्यों किया आंदोलन में आगे?
शहर कांग्रेस ने पिछले दिनों बिजली कंपनी के मुख्यालय पर ज्ञापन दिया था। आयोजन शहर कांग्रेस का था और विनय बाकलीवाल के नेतृत्व में था। जब ज्ञापन देने और पढऩे की बारी आई तो पिंटू जोशी को आगे किया गया। यह देख दूसरे नेताओं में कानाफूसी होने लगी कि पिंटू को ही आगे क्यों किया गया, जबकि कई वरिष्ठ नेता भी वहां थे। बाद में खोज-खबर निकाली तो पता चला कि बिजली मुख्यालय तीन नंबर विधानसभा में आता है और पिंटू तीन नंबर विधानसभा के दावेदार हैं। अब इसे शहर कांग्रेस की ओर से मौन सहमति मानें या कुछ और?
काम नहीं आई बागड़ी की उठापटक
राजबाड़ा पर जिस भाजपा नेता की दुकान का अतिक्रमण हटाने के लिए स्थानीय पार्षद रत्नेश बागड़ी मोर्चा संभाले हुए थे और उठापटक में लगे थे, उस मुद्दे को एकलव्य गौड़ भुना ले गए। एकलव्य ने इस मुद्दे को लेकर पहले तो निगमायुक्त को पत्र लिखा और बाद में मालिनी गौड़ के मार्फत उसे कोर कमेटी में भी उठवा दिया, जबकि बागड़ी ने महालक्ष्मी मंदिर की परिक्रमा खुलवाने के लिए अधिकारियों को कई बार कह दिया। हालांकि अब एकलव्य और हिंद रक्षक संगठन की प्रतिष्ठा का मुद्दा बना ये अतिक्रमण कब और कितना हटता है, देखना दिलचस्प होगा।
पेलवान की नजर में मुख्यमंत्री की ज्योति
वैसे जब से पेलवान, यानी अपने तुलसी भिया मंत्री बने हैं, तब से उनकी भाषणशैली काफी संयमित हो गई है। नहीं तो कई बार तुलसी भिया की जुबान फिसल जाती थी। कल सांवेर में हुए विकास कार्यों के भूमिपूजन और लोकार्पण के कार्यक्रम के बाद उन्होंने मीडिया से चर्चा की और सारे कार्यों का श्रेय केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को देते हुए कह दिया कि हमारे ‘मुख्यमंत्री’ ज्योतिरादित्य सिंधिया का मैं आभार मानता हूं। बस फिर क्या था, वीडियो चल निकला और सोशल मीडिया पर दौड़ भी रहा है। कांग्रेसी चुटकी ले रहे हैं कि पेलवान को सिंधिया के अलावा कुछ दिखता नहीं है और अब वे उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे देखना चाहते हैं। वैसे मामला कामा और पूर्णविराम का है, जिसे लगाने में पेलवान अक्सर गलती कर जाते हैं।
महापौर टिकट को लेकर भाजपा में कई दावेदार मुंह ताके बैठे हैं। कई तो ओबीसी आरक्षण के कारण बिल्ली के भाग से छींका टूटने की मन्नतें मांग रहे हैं, लेकिन बताया जा रहा है कि सारे दावेदारों को दरकिनार रख इंदौर में नया चेहरा लाने की कवायद की जा रही है। -संजीव मालवीय
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