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    ये पॉलिटिक्स है प्यारे

  • January 31, 2022

    ये सम्मान कुछ हजम नहीं हुआ
    लगता है भाजपा में एक नई परिपाटी जन्म ले रही है। वास्तविक काम करने वाले कार्यकर्ताओं को दूर कर नए लोगों की ज्यादा पूछ-परख हो रही है। आईडीए वाला मामला ठंडा पड़ा ही नहीं था कि अब 26 जनवरी को मुख्यमंत्री के हाथों कांग्रेस से आए कुछ भाजपाइयों का सम्मान पुराने भाजपाइयों को हजम नहीं हो रहा है। कोरोना काल में विशेष कार्य के लिए इन्हें सम्मानित किया गया है, लेकिन भाजपा के ही ऐसे पुराने कार्यकर्ता कह रहे हैं कि हम भी तो दिन-रात लोगों की सेवा में लगे थे, हमारा नाम सम्मान के लिए किसी ने नहीं दिया। चावड़ा की नियुक्ति पर सवाल उठाने वाले भाजपा नेता घनश्याम व्यास ने इस मामले में पार्टी के बड़े नेताओं को पत्र लिखा है और कामकाजी कार्यकर्ताओं की इस तरह से उपेक्षा पर चिंता जताई है। उन्होंने यह भी लिखा है कि अब जब भाजपा अपने नए रूप में आ रही है तो हमारे जैसे कार्यकर्ताओं की क्या जरूरत? वैसे अब यह पता भी लगाया जा रहा है कि सम्मान कराने वाले नेताओं की सिफारिश किसने की?

    पोती के लिए ताई का सोनिया को फोन
    इन दिनों एक वाकया राजनीतिक गलियारों में सुनाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि ताई की पोती ने प्रियंका गांधी से प्रभावित होकर उनसे मिलने की इच्छा जताई। ताई दिल्ली में थीं तो उन्होंने सोनिया को फोन लगाया और पूरी बात बताई। पोती की मुलाकात प्रियंका से हो गई है और कांगे्रसियों को बोलने का मौका मिल गया है। वे कह रहे हैं कि बात-बात पर कांग्रेस को कोसने वाले लोग भी हमारी नेता प्रियंका का लोहा मान रहे हैं।


    चार बार गोलू को बधाई दे दी सीएम ने
    मुख्यमंत्री 26 जनवरी को इंदौर में थे। एयरपोर्ट पर गोलू शुक्ला को देखते ही बोल उठे कि गोलू जन्मदिन की अग्रिम शुभकामना। गोलू का जन्मदिन 3 फरवरी को है। आश्चर्य तो तब हुआ जब सीएम नेहरू स्टेडियम के कार्यक्रम से निकल रहे थे और गोलू उनके साथ थे। तब भी उन्होंने गोलू को जन्मदिन की बधाई दे दी। स्टार्टअप कार्यक्रम में भी वे बधाई देना नहीं भूले और जाते-जाते एयरपोर्ट पर भी बधाई दे गए। अब चार बार दी जाने वाली बधाई के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं।

    जारी है तुलसी के सीखने की कला
    भाजपा के आंगन में तुलसी का स्थान ले चुके मंत्री सिलावट की भाजपा नेताओं के सामने विनम्रता देखते ही बनती है। कांग्रेस के अखाड़े के पहलवान रहे सिलावट का उलट व्यवहार अब भाजपा के पाले में देखने को मिलता है। पिछले दिनों प्रभारी मंत्री नरोत्तम मिश्रा उनके विधानसभा क्षेत्र के कनाडिय़ा में पहुंचे। तुलसी के बोलने की बारी आई तो उन्होंने कहा कि मंै क्या कहूं? अभी तो मैं भाजपा संगठन में सीखने की स्थिति में हूं। तुलसी ने जिस अदा से यह कहा वे उसी अदा से कहीं भी बड़े नेताओं की मौजूदगी में होने वाले कार्यक्रम में अपने आपको छोटा बनाकर बड़ी बात कह जाते हैं। जिस तरह से तुलसी ने भाजपा के आंगन में अपना महत्व बना लिया है, उतनी कूबत दूसरे नेताओं में नहीं है, जो कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए। तुलसी का यही व्यवहार उन भाजपाइयों को भी भा गया, जो पिछले उपचुनाव से पहले तुलसी के खिलाफ नारे लगाते थे।


    ऐसा है उषा का देशप्रेम
    मंत्री उषा ठाकुर की माताजी का पिछले दिनों निधन हो गया था। हर दिन घर पर शोक बैठक भी चल रही है। कल ठाकुर शाम को अपनी मां की तस्वीर के सामने खड़ी हुईं और कहा कि मां मुझे एक कार्यक्रम में जाना है। कार्यक्रम दूसरा होता तो चल जाता, वह देशभक्ति का कार्यक्रम है और देश को मेरी जरूरत है। यह कहकर वे वहां से चली गईं। इसके बाद उनके यहां शोक प्रकट करने भाजपा महासचिव विजयवर्गीय और उनके पुत्र आकाश पहुंचे। ठाकुर तो नहीं मिली, वे उनके भाई अंबू ठाकुर से मिलकर ही आ गए। उषा के इस देशप्रेम की विजयवर्गीय ने भी तारीफ की।

    छोटे भूरिया की सक्रियता
    जब से छोटे भूरिया यानि डॉ. विक्रांत युवक कांग्रेस के अध्यक्ष बने हैं, तब से उनकी सक्रियता देखते ही बन रही है। अध्यक्ष के मार्फत आदिवासी वोट बैंक पर पकड़ बनाने वाले भूरिया ने भोपाल में तो पकड़ बना ही ली है, वहीं आदिवासी इलाकों को भी वे नहीं छोड़ रहे हैं। भूरिया की हसरत किसी आदिवासी सीट पर चुनाव लड़ विधायक बनने की है, ये उनकी बातों से ही पता चलता है। फिलहाल तो वे संगठन को मजबूत करने में लगे हैं और 1 फरवरी से कांग्रेस के साथ-साथ युवक कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को एक बूथ पांच यूथ पर काम करने के लिए झोंक दिया है।

    पटवारी ने हाथ रख दिया सो रख दिया
    कांग्रेस के जिलाध्यक्ष पद पर जब सदाशिव यादव की नियुक्ति हुई थी, तब उसमें महत्वपूर्ण योगदान जीतू पटवारी का भी था, लेकिन अब जीतू ने यादव पर से हाथ उठा लिया है। विशाल पटेल की नाराजगी यादव से है ही। हालांकि पटेल ने नाराजगी वाली बात से किनारा कर लिया है। फिर भी कुछ ग्रामीण नेता यादव को कुर्सी से उठाना चाह रहे हैं या फिर उनके साथ एक और कार्यकारी अध्यक्ष की कुर्सी लगवाना चाहते हैं। पटवारी ने मनीष पटेल के कांधे पर हाथ रख रखा है और दूसरी ओर हरिओम ठाकुर ने भी जिलाध्यक्ष की कुर्सी की ओर दौड़ लगा दी है। अब इस दौड़ में कौन आगे निकलकर आता है, ये तो आने वाले दिनों में ही पता चलेगा। कहीं ऐसा न हो कि मामला ठंडा ही पड़ जाए।

    भाजपा का बूथ विस्तारक अभियान चल रहा है और लगातार 10 दिनों से कार्यकर्ता सबकुछ भूलकर इस काम में लगे हुए हैं। अब कार्यकर्ताओं को आजीवन सहयोग निधि के अभियान में भिड़ाया जाना है और इसके लिए सूची तैयार होने लगी है। अधिकांश कार्यकर्ता इससे बच रहे हैं और कोशिश कर रहे हैं कि कैसे भी हो उनका नाम सूची में न आए।-संजीव मालवीय

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