अब मुहूर्त नहीं मानते भाजपा वाले
अब भाजपा (B J P) वाले शुभ मुहूर्त में विश्वास नहीं करते हैं। भाजपा के कई जिलों की कार्यकारिणी मलमास में घोषित की गई और लंबे समय से अटके निगम-मंडलों में भी राजनीतिक नियुक्तियां मलमास में ही की गईं। पहले कहा जा रहा था कि नेता मलमास में पदभार ग्रहण नहीं करेंगे, लेकिन एक के बाद एक सबने पदभार ग्रहण कर लिया और अपनी-अपनी कुर्सी पर जा बैठे। इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष जयपालसिंह चावड़ा और अजा निगम में कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त सावन सोनकर ने भी मलमास में ही पदभार ग्रहण किया है। इसके साथ ही इंदौर में रहे संगठन मंत्री शैलेंद्र बरुआ भी इसी महीने कुर्सी पर जा बैठे। एक समय था, जब भाजपा कैलेंडर में मुहूर्त देखकर काम करती थी, लेकिन सत्ता में बैठी भाजपा के सामने अब मुहूर्त भी मायने नहीं रख रहे हैं।
बाकलीवाल को कोरोना, नेता डरे
दवा व्यवसाय से संबंध रखने वाले शहर कांग्रेस के अध्यक्ष विनय बाकलीवाल यूं तो काफी सतर्कता रखते हैं। पिछली बार भी कोरोना से बचने के लिए उन्होंने एंटीवायरस कार्ड गले में पूरे समय लटकाए रखा, लेकिन कोरोना से अपने आपको बचा नहीं पाए और अब एक बार फिर वे कोरोना पॉजिटिव हो गए। एक दिन पहले ही वे प्रेस क्लब और कांग्रेस के नेताओं के बीच थे। पूर्व मंत्री सज्जनसिंह वर्मा भी उनके साथ थे। हालांकि डरे हुए तो सब हैं, लेकिन किसी की भी हिम्मत नहीं हुई कि कोरोना टेस्ट करवा लें।
स्वाद नहीं आया दाल बाफले का
जिला भाजपा ने अपनी नई कार्यकारिणी की पहली बैठक चोरल डेम में मालवी भोजन दाल-बाफले के साथ रखी। पहले सत्र के बाद जब भोजन हुआ तो शिकायतें शुरू हो गईं कि मालवा में ही दाल-बाफले का स्वाद बिगड़ गया है। दरअसल जिला भाजपा के एक महामंत्री को ये जवाबदारी दी गई थी और उन्होंने भोजन का ऐसा कबाड़ा किया कि हर नेता उसकी शिकायत करने लगा। नेताओं के मुंह का स्वाद ऐसा बिगड़ा कि दूसरे सत्र में वे दाल-बाफले की ही चर्चा करते रहे।
सोनकरों में तालमेल बिठाने में लगा संगठन
सावन सोनकर को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिलने के बाद उनके समर्थकों ने स्वागत-सत्कार को लेकर जो होर्डिंग्स और विज्ञापन लगाए, उनमें राजेश सोनकर नदारद थे। सांवेर में जिस तरह से उपचुनाव में दोनों सोनकरों को एक साथ तुलसी के आंगन में खड़ा किया गया था, उसके बाद दोनों ने अपने रास्ते अलग-अलग बना लिए। बड़े सोनकर को डेढ़ साल पहले जिलाध्यक्ष बना दिया था तो छोटे सोनकर को जाते साल में एक बड़ा पद दे दिया है। छोटे सोनकर के होर्डिंग्स में बड़े सोनकर के फोटो नहीं लगने को लेकर संगठन ने संज्ञान लिया और कहा कि इससे अच्छा संदेश नहीं जा रहा है। इसके बाद बड़े सोनकर को सावन के पदभार कार्यक्रम में भोपाल भेजा, ताकि बताया जा सके कि सांवेर की भाजपा में किसी प्रकार की गुटबाजी नहीं है। वैसे अब राजेश सोनकर के फोटो भी सावन के होर्डिंग्स में नजर आने लगे हैं, लेकिन सवाल है कि कब तक?
सांसद जब भूल बैठे बैठक का रास्ता
जिले की कार्यकारिणी की बैठक चोरल डेम में रखी थी। सांसद शंकर लालवानी को भी आमंत्रित किया गया था। लालवानी अपने सहयोगी कमल गोस्वामी और नए-नवेले सांसद प्रतिनिधि उपाध्याय के साथ बैठक की ओर रवाना हो गए। वे चोरल पहुंच गए और जब मालूम पड़ा कि उन्हें खंडवा रोड के चोरल नहीं, बल्कि बडग़ोंदा के पास चोरल डेम पहुंचना था तो उन्होंने अपनी गाड़ी को उधर मोड़ा, तब तक भाजपा नेताओं के पेट में चूहे कूदने लगे थे। सांसद आए, थोड़ा भाषण पिलाया और उसके बाद कार्यकर्ता भोजन पर टूट पड़े।
अलग-थलग पड़े युवक कांग्रेस अध्यक्ष
किसी भी राजनीतिक दल के रीढ़ की हड्डी युवा होते हैं और कांग्रेस तथा भाजपा में यूथ विंग भी अपने अलग मायने रखती है, लेकिन कांग्रेस की यूथ विंग के अध्यक्ष चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। एक तो उनके पास पदाधिकारियों की टीम नहीं है और दूसरे जो पदाधिकारी हैं, वे उनके साथ खड़े नजर नहीं आते। इसलिए रमीज अपने पुराने साथियों के बीच ही नजर आते हैं। अभी रमीज को तब मुंह की खाना पड़ी, जब उन्हें अपनी कार्यकारिणी को लेकर कई आरोप झेलना पड़े।
अब सामंजस्य बिठाने में लगे चावड़ा
संगठन मंत्री रहे जयपालसिंह चावड़ा को इंदौर विकास प्रािधकरण की कुर्सी मिलने के बाद भले ही अपनी पार्टी के अंदरूनी विरोध का सामना करना पड़ा हो, लेकिन उन्होंने संगठन की पद्धति से सभी नेताओं को साधना शुरू कर दिया है। वे प्राधिकरण की योजनाओं का निरीक्षण करने पहुंचे तो उनके साथ मधु वर्मा थे और दूसरे दिन सुदर्शन गुप्ता। इसी तरह चावड़ा जिसके क्षेत्र में जाते हैं, उन्हें बुलाना नहीं भूलते। चावड़ा इससे उन नेताओं की नाराजगी दूर करने में लगे हंै, जो खुद प्राधिकारण के दावेदार थे, लेकिन चावड़ा उन पर भारी पड़ गए और भोपाल से सीधे इंदौर विकास प्राधिकरण की कुर्सी ले आए।
जावेद हबीब मामले में जैसा विरोध होना था वह नहीं हुआ। नारी सम्मान को लेकर इंदौर में कई संगठन जिंदाबाद और मुर्दाबाद की राजनीति करते हैं, लेकिन अभी इस मामले में चुप हैं। केवल सत्तापक्ष के विधायक आकाश विजयवर्गीय ने आवाज उठाई, लेकिन वे भी चुप हो गए। अब क्यों चुप हो गए, इसके कई कारण गिनाए जा रहे हैं। हालांकि आज कुछ उत्साही भाजपाइयों ने जावेद के फोटो शौचालय में लगा दिए। -संजीव मालवीय
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