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    ये पॉलिटिक्स है प्यारे

  • January 03, 2022

    नेता बयानबाजी करते रहे, जमा हो गया जुर्माना
    रणजीत हनुमान मंदिर पर नगर निगम ने 30 हजार रुपए का जुर्माना लगाया। कारण बताया कि प्रभातफेरी के कारण लोगों ने गमले तोड़ दिए, इसलिए यह नोटिस दिया गया। छोटी-छोटी बातों पर धर्म की राजनीति करने वाले संगठन दुबके पड़े थे कि हिंदरक्षक संगठन के एकलव्य गौड़ सबसे पहले सामने आए और इसका विरोध किया। इसके बाद विधायक संजय शुक्ला का बयान आ गया और फिर भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष जीतू जिराती ने भी निगमायुक्त को पत्र लिख डाला। नेता लोग इस जुर्माने का विरोध कर ही रहे थे कि दूसरे दिन ही मंदिर के पुजारी ने 30 हजार रुपए नगर निगम को जमा करवा दिए और नेतागीरी करने वालों की हवा निकाल दी। नेता कसमसाते रह गए। अब विरोध किसका करें। बात जहां पहुंचाना थी वहां पहुंचा दी। बस इससे ज्यादा और क्या करना था? बेचारे नेता अब बाबा रणजीत के सामने से हाथ जोड़ते हुए निकल जाते हैं।
    बयानबाजी महंगी पड़ी मंडलोई को
    कांग्रेस नेता और जनपद सदस्य रहे हंसराज मंडलोई को बार-बार अपनी ही पार्टी और उसके नेताओं पर टिप्पणी करना महंगा पड़ गया। कल प्रदेश उपाध्यक्ष और संगठन प्रभारी चंद्रप्रभाष शेखर ने उन्हें 6 साल के लिए कांग्रेस से बाहर का रास्ता दिखा दिया। मंडलोई चुनाव लडऩे का प्लान भी बना रहे थे और बार-बार कुछ न कुछ मुद्दों को लेकर चर्चा में बने रहना चाहते थे। कांग्रेस जिलाध्यक्ष सदाशिव यादव से भी उनकी नहीं पट रही थी और वे उनकी कार्यप्रणाली को लेकर भी सवाल दागते रहते थे।
    अब जन्मदिन का रिकॉर्ड बना दिया
    कांग्रेस में विधायक संजय शुक्ला जैसी सक्रियता किसी भी नेता में दिखाई नहीं दे रही है। वे कुछ न कुछ कर अपनी विधानसभा और पूरे शहर में चर्चा का विषय बन जाते हैं। फिलहाल वे वार्ड के लोगों को अयोध्या की सैर करा रहे हैं तो कल एक ही दिन 985 लोगों का जन्मदिन मनाकर एक रिकॉर्ड बना दिया। अपनी विधानसभा के 17 वार्डों के लोगों को इक_ा कर उन्होंने सभी को स्मृति चिह्न दिया और सम्मानित किया। चाहे शुक्ला जेब से खर्च कर रहे हों, लेकिन उनकी कार्यशैली 1 नंबर को अभेद्य किला बना रही है।
    शहर में एलिवेटेड से ज्यादा पानी बचाने की जरूरत
    शहर के विकास को लेकर बड़ी-बड़ी योजनाएं चल रही हैं। मेट्रो के आने के बाद तो शहर की सूरत ही बदल जाएगी। वहीं एलिवेटेड ब्रिज को लेकर भी प्लानिंग की जा रही है। कुल मिलाकर इंदौर का एक नया स्वरूप आने वाले पांच सालों में देखने को मिलेगा, लेकिन इन सब योजनाओं से हटकर इंदौर के कर्ताधर्ताओं ने ये नहीं सोचा कि बढ़ते इंदौर में पानी की आपूर्ति कहां से की जाएगी, जबकि यहां का भूजल स्तर लगातार गिरता जा रहा है। इसको लेकर मंत्री तुलसी सिलावट ने एक मुहिम छेड़ी है जल-हठ। हालांकि अभी इसकी प्लानिंग चल रही है और समाज के अलग-अलग तबकों को बुलाकर पूछा जा रहा है कि शहर में पानी कैसे बचाया जाए? सिलावट दावा कर रहे हैं कि जिस प्रकार मिलावट के खिलाफ सिलावट अभियान चला था, उसी तरह इसे भी चलाया जाएगा और जनसहयोग से यह मुहिम जल्द ही शुरू की जाएगी।
    ‘आप’ खुश है चंडीगढ़ के परिणामों से
    इंदौर की राजनीति में आम आदमी पार्टी का कोई खासा रोल नहीं है। पूरी टीम यहां बनी हुई है, लेकिन कभी-कभार किसी मौके पर वे मैदान में दिख जाते हैं। चंडीगढ़ के नगरीय निकाय परिणामों में ‘आप’ को मिली जीत के बाद वे उछल रहे हैं और निगम चुनाव में सभी सीटों पर लडऩे का दावा कर रहे हैं, जबकि यहां का संगठन इतना मजबूत नहीं है। चुनाव लडऩे के लिए कई ने अपने नाम दे दिए हैं, लेकिन किसी के पास कोई बड़ा मुद्दा नहीं है, सिवाय भाजपा और कांग्रेस को कोसने के।
    मुसीबतें आईं, फिर भी उत्सव हो गया
    लोक संस्कृति मंच के कर्ताधर्ताओं ने इस बार मालवा उत्सव को गर्मी के मौसम के बजाय ठंड में कर दिया। जाहिर है डर था कि कोरोना की तीसरी लहर आ गई तो इस बार भी उत्सव नहीं हो सकेगा। तैयारी हो गई और उत्सव शुरू हो गया, लेकिन किस्मत खराब कि उसमें भी पानी गिर गया। दो दिन कड़ाके की ठंड पड़ी, लेकिन आयोजक खुश थे कि इतने विघ्न और लगातार कोरोना की चेतावनियों के बावजूद हमने आखिरकार उत्सव मना ही लिया।
    आखिरकार जिलाबदर ही करवा दिया
    उद्यान विभाग के एक अफसर कैलाश जोशी को सांसद शंकर लालवानी के नजदीकी से उलझना महंगा पड़ गया। उन्होंने जोशी को सांसद के सरकारी बंगले में घास लगाने का बोला था, लेकिन जोशी ने बार-बार कहने के बावजूद काम नहीं किया और उलटा उनसे अभद्र व्यवहार किया। इसकी सूचना जब सांसद को दी तो उन्होंने निगमायुक्त के समक्ष नाराजगी व्यक्त की। इस पर 30 दिसंबर को एक आदेश टाइप हुआ और उसमें जोशी को जिलाबदर कर उज्जैन भेज दिया गया। वैसे वे वन विभाग के ही थे और पिछले साल प्रतिनियुक्ति पर निगम में आए थे। अब जोशी सोच रहे हैं कि घास लगवा देता तो इंदौर जैसा हरियालीभरा पद उनके हाथ से नहीं जाता। जोशी भले ही उज्जैन चले गए हैं, लेकिन नजदीकी पीछा छोडऩे वाले नहीं हैं।

    चावड़ा की आईडीए अध्यक्ष पद पर की गई ताजपोशी अभी तक कई नेताओं को हजम नहीं हो रही है। कई ने अपनी भड़ास मीडिया के मार्फत निकाली तो वर्षों से उपेक्षित भाजपा के एक नेता ने सोशल मीडिया पर ऐसा लिखा कि समझने वाले समझ गए। आईडीए भवन में ताजपोशी के दौरान हर नेता का चेहरा अलग-अलग बेबसी बयां कर रहा था।
    -संजीव मालवीय

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