कुछ भी कर, फेसबुक पर डाल
आज किसी अखबार में छपा है कि फेसबुक फेकबुक ज्यादा बन गया है। जरा सा कुछ किया नहीं कि फेसबुक पर डाल दिया। इन उपचुनावों में भी यही हो रहा है। इंदौर या दूसरे शहरों से जिन नेताओं को प्रचार करने या समाज के मतदाताओं से मिलने भेजा जा रहा है, वे उम्मीदवार का प्रचार तो कम अपना प्रचार ज्यादा कर रहे हैं। फेसबुक इससे अच्छा जरिया नहीं हो सकता है। बस थोड़ा सा भी कुछ किया या दो-चार घंटे के लिए भी उपचुनाव वाले क्षेत्र में पहुंचे, वहां की फोटो भी तत्काल फेसबुक पर। फिर भला इंदौरी सांसद शंकर लालवानी पीछे कहां रह जाते? हालांकि वे लंबे समय से खंडवा में डेरा डाले हुए हैं, लेकिन उनके समर्थक ये बताना नहीं भूलते कि भाईसाब ने आज यहां भोजन किया और आदिवासियों के साथ पंगत में बैठे। दरअसल लालवानी की सोशल मीडिया टीम कई बार ऐसा कर बैठती है, जिससे सांसद की इकन्नी हो जाती है।
चुनाव लडऩे के पहले ही भा गया कांग्रेस का पंजा
वार्ड क्रमांक 55 से दावेदारी कर रही एक महिला दावेदार का टिकट मिलने के पहले ही भाजपा से मोह भंग हो गया। कभी सांसद शंकर लालवानी तो कभी विधायक आकाश विजयवर्गीय के साथ रहने वाली इन नेत्री ने अब कांग्रेस का पंजा थाम लिया है और बाकायदा सोशल मीडिया पर उसकी घोषणा भी कर दी है। अपने आपका टिकट पक्का मानकर चल रही इन महिला नेत्री ने तो गर्मी में पानी के टैंकर और कोरोना काल में सेनिटाइजर के टैंकर तक चला दिए थे, लेकिन अचानक वे कांग्रेस के झंडे के नीचे खड़ी हो गईं।
बालों से निकलकर शिव के मंत्री फिर फंसे
भाजपा कांग्रेस पर कई आरोप लगाती रहती है, लेकिन इस बार कांग्रेस को मौका मिल गया है। रैगांव की भाजपा प्रत्याशी प्रतिमा बागरी के बालों से अपना चश्मा निकालने की सफाई तो मंत्री ब्रजेंद्रसिंह ने दे दी, लेकिन एक और फोटो को लेकर कांग्रेस ने उन पर निशाना साधा है और बताया है कि भाजपा के मंत्रियों ही हरकत देख लो। हालांकि जो फोटो कांग्रेस प्रवक्ता सलूजा ने जारी किया है, उसको भाजपाई ट्रिक फोटोग्राफी कह रहे हैं, लेकिन कांग्रेस नेता मंत्री की हरकत का प्रचार कर बता रहे हैं कि भाजपा में महिलाओं का सम्मान इस तरह होता है।
शहर में जितने अजा नेता, वे ही नहीं आए
इस बार भाजपा संगठन द्वारा अनुसूचित जाति मोर्चा को वाल्मीकि जयंती धूमधाम से मनाने के आदेश दिए गए थे, लेकिन शहर में अजा वर्ग की राजनीति करने वाले नेता वाल्मीकि जयंती के आयोजन में नहीं आए। वाल्मीकि जयंती का कार्यक्रम दो गुटों में भी बंट गया। दोनों ही आयोजन विवाद की भेंट भी चढ़ गए। एक में प्रदेश अध्यक्ष का फोटो नहीं लगा तो दूसरे में कांग्रेस के अजा नेता ने हंगामा कर दिया। दरअसल शहर में अजा नेता तो हैं, लेकिन गुटबाजी के कारण एक नहीं हो पा रहे हैं और कई बार आमने-सामने भी हो जाते हैं। कुछ अजा नेता मोर्चा के अध्यक्ष बनने की जुगाड़ में हैं, इसलिए वे अपनी दुकान अलग ही चला रहे हैं।
इसलिए नाराज रहते हैं 3 नंबरी कार्यकर्ता
विधायक आकाश विजयवर्गीय के आसपास घूमती देवों से महादेव की टीम के युवाओं से वे थाटी भाजपाई परेशान हैं, जो वर्षों से भाजपा का झंडा उठा रहे हैं। 3 नंबर के हर वार्ड में ऐसे कई नेता मिल जाएंगे, जो युवाओं की इस टीम को लेकर प्रतिक्रिया दे ही देंगे। उनका कहना है कि जिन युवाओं को ये नहीं मालूम कि पार्टी को उन्होंने कैसे 3 नंबर में खड़ा किया, वो पुराने नेताओं से ठीक से पेश भी नहीं आते। पुराने नेताओं की विडंबना है कि विधानसभा के कई निर्णयों में इनकी राय ली जाती है, वरिष्ठ नेताओं की नहीं।
राजनीतिक जमीन बनाने में लगे महंत
कम्प्यूटर बाबा के साथ सरकार में पीली बत्ती का सुख लेने वाले योगेंद्र महंत अब एक बार फिर अपने समाज के माध्यम से अपनी राजनीतिक जमीन बनाने में लगे हैं। उन्होंने राज्यपाल मंगूभाई पटेल को बुलाकर यह बताने की कोशिश की कि उनकी अभी भी भोपाल में अच्छी पैठ है। सम्मान समारोह के बहाने उन्होंने अपनी ताकत दिखाने की कोशिश भी की, लेकिन उसमें सम्मान करवाने वाले और उनके साथ एक-दो लोग ही आ पाए। बाकी आधा से ज्यादा हॉल खाली पड़ा था।
खंडवा में जिस तरह से कांग्रेस और भाजपा किला लड़ा रही हैं, उससे कार्यकर्ताओं में जोश गायब है। दोनों ही प्रत्याशी पुराने नेता हैं और खर्चा-पानी के नाम पर अभी कार्यकर्ताओं की भोजन प्रसादी ही हो रही है।। कार्यकर्ताओं की नजर दोनों की जेबों पर भी है, लेकिन वो ढीली होने का नाम ही नहीं ले रही है।
-संजीव मालवीय
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