अब ‘तुलसी’ भी कपूर और लौंग की पुडिय़ा के सहारे
मंत्री उषा ठाकुर मास्क नहीं लगातीं और यज्ञ की सलाह देती हैं। उनके साथ रहते-रहते मंत्री तुलसी सिलावट भी आयुर्वेद और पुराने नुस्खों पर चलने लगे हैं। इन दिनों तुलसी की गाड़ी कपूर की खुशबू से ज्यादा महकती है। मालूम पड़ा कि तुलसी भिया ने कपूर और लौंग तथा अन्य सामग्री की पुडिय़ा बांधकर कार के एयर प्यूरीफायर में बंधवा दी है, ताकि कोरोना से बचे रहें। वहीं एक-दो पुडिय़ा उन्होंने अपनी जेब में भी रख ली है और स्टाफ को भी दे दी है। इन पुडिय़ाओं से कोरोना भागेगा या नहीं, लेकिन लोग कहने लगे हैं कि मंत्रीजी को भी उषा दीदी के साथ दौरा करते-करते पुराने नुस्खों पर विश्वास होने लगा है।
इधर एकता की बात और बाहर सूची आ गई
वार्ड स्तर की प्रबंधन कमेटी में कांग्रेसियों को नहीं लेने को खूब आरोप-प्रत्यारोप लगे, यहां तक कि कमेटी में लिए गए भाजपाइयों का कच्चा चि_ा भी सामने आ गया, जिसमें अधिकांश नेताओं पर या तो प्रकरण हैं या फिर वे केवल नेताजी के प_ों के कारण कमेटी में लिए गए हैं। रवीन्द्र नाट्यगृह की बैठक में पहुंचे जीतू पटवारी और विशाल पटेल ने भाजपा-कांग्रेस की एकता को लेकर खूब दम भरा, लेकिन बाहर सूची आ गई थी और जैसे ही पटवारी को इसकी जानकारी लगी तो उन्होंने भाजपाइयों पर आरोप के तीर चला दिए। उन्होंने पूछ डाला कि अब आप ही बताओ कि इन लोगों के साथ कैसे मिलकर काम करें?
दोनों सोनकरों के पास अब कुछ नहीं बचा
राजेश सोनकर की सीट पर तुलसी सिलावट को लड़ाकर भाजपा के बड़े नेताओं ने भविष्य में उनके साथ कुछ अच्छा होने के संकेत दिए थे, लेकिन अभी वे संकेत नजर नहीं आ रहे हैं। सोनकर जिलाध्यक्ष हैं और जिलाध्यक्ष होने के नाते मंत्री के आगे-पीछे घूमने के अलावा उनके पास कुछ बचा नहीं है। अधिकांश समय वे मंत्रीजी के साथ उनकी गाड़ी में दिखाई देते हैं। ध्यान सांवेर पर ही है, लेकिन मंत्री उन्हें वहां अकेले राजनीति करने का मौका नहीं देते। दूसरे सावन सोनकर हैं, जो उपचुनाव के बाद एक तरह से सक्रिय राजनीति से गायब हैं। सावन प्रदेश संगठन में जाने की उम्मीद से थे, लेकिन वह भी दूर की कौड़ी साबित हो गया। अब दोनों सोनकरों के पास तुलसी की परिक्रमा के अलावा कुछ नहीं बचा है।
कोरोना काल में मना कांग्रेस नेता का जन्मदिन
कोरोना काल में कोई शादी नहीं कर सकता और जन्मदिन भी नहीं मना सकता, लेकिन पिछले दिनों एक कांग्रेस नेता ने न केवल अपना जन्मदिन बनाया, बल्कि अच्छी-खासी भीड़ कर राशन सामग्री बंटवाई और उसमें बड़े नेताओं को भी बुलवाया। बाकायदा फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुए, जिसमें विधायक संजय शुक्ला और शहर अध्यक्ष विनय बाकलीवाल भी दिखाई दिए। अब नेताओं को कौन रोके कि आप जन्मदिन नहीं मना सकते। खैर, नेताजी सफाई दे रहे हैं कि मैंने तो सबको मना किया था, लेकिन कुछ चाहने वाले नहीं माने तो मैं क्या करूं?
मंत्रीजी का अधिकारियों के साथ निराला अंदाज
जब से तुलसी सिलावट को कोविड प्रभारी मंत्री बनाया है, तब से मंत्रीजी का एक अलग अंदाज सबको भा रहा है। मंत्रीजी जहां कहीं भी जाते हैं वे कोरोना वॉरियर्स के हाथ जोडऩा नहीं भूलते। पिछले दिनों एक बैठक के बाद मंत्रीजी मंच पर नीचे ही बैठ गए तो एसडीएम-तहसीलदार सहित अन्य अधिकारी उनके आसपास खड़े हो गए। एक-एक से फीडबैक लेने लगे और उनसे कहने लगे कि आपको कोरोना को हराने के लिए जो करना हो करो, लेकिन मुझे परिणाम चाहिए। आपका मैं शुक्रगुजार हूं कि आप जैसी टीम मुझे मिली है। बस फिर क्या था, अधिकारी भी उसी जोश से काम में लगे हुए हैं, जिस जोश से मंत्रीजी ने कहा था।
दो पटेल एक साथ लेकिन कब तक
देपालपुर में मनोज पटेल और विशाल पटेल साथ में घूमकर बता रहे हैं कि जनहित में वे दोनों एक हैं और देपालपुर में जिस तरह से कोरोना फैल रहा है, उसको वे भगाकर ही दम लेंगे। एक-दो गांवों में वे साथ में दिखे हैं, नहीं तो अपनी-अपनी गाड़ी में ही जाकर अपनी राजनीति चलाते हैं। दोनों के समर्थक हैरान-परेशान हैं कि दोनों पटेल एक हो गए तो अपनी दुकान कैसे चलेगी? रास्ता देखा जा रहा है कि आखिर कब तक दोनों पटेल एक साथ रहते हैं?
मनोनयन पर खुश हैं गली-मोहल्ले के नेता
निगम ने क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी क्या बनाई, वार्ड में खाली बैठे नेताओं की दुकान चल निकली। विधायक और बड़े नेताओं के आगे-पीछे घूमने वालों को इसमें जगह दी है। उद्देश्य कोरोना को हराना है, लेकिन ये नेता इतने खुश हो गए हैं कि जैसे किसी सरकारी विभाग की कमेटी का इनको सदस्य बना दिया है।
जिस तरह से कैलाश विजयवर्गीय ने विधायक रहते हुए अपने पुत्र आकाश विजयवर्गीय को महू की कमान सौंप रखी थी, उसी रास्ते पर अब तुलसी सिलावट हैं। उन्होंने अघोषित रूप से अपने पुत्र चिंटू को सांवेर में तैनात कर रखा है। वे अधिकारियों से बात करते हैं और कोरोना की मीटिंग में लगातार साथ रहते हैं। यही बात कुछ भाजपाइयों को हजम नहीं हो रही है। उन्हें बमुश्किल अपनी नेतागीरी की दुकान चिंटू के सहारे ही चलाना पड़ रही है। -संजीव मालवीय
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved