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    ये पॉलिटिक्स है प्यारे

  • December 07, 2020


    अजीत को अब प्रदेश अध्यक्ष में जीत की आस
    सांवेर विधानसभा को अपने पिता के लिए जीतने का दावा करने और निजी सर्वे पर यकीन रखने वाले अजीत बौरासी को यह नहीं मालूम था कि सांवेर में इतनी बुरी हार मिलेगी। अब अजीत की निगाहें युवक कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी पर हैं और वे इसके लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। अजीत को आस है कि ग्वालियर, भोपाल और इन्दौर संभाग में जो सदस्य उन्होंने बनाए हैं वे उनकी मदद करेंगे और उनके लिए मतदान करेंगे, लेकिन अजीत के सामने उनका कांग्रेस छोडक़र भाजपा में जाने और फिर सांवेर चुनाव लडऩे के लिए वापस कांग्रेस में आने का मामला तकलीफ दे सकता है। अजीत के विरोधियों ने कैम्पेनिंग शुरू कर दी है और सांवेर के बाद यहां से भी अजीत का दावा तोडऩे की कोशिश की जा रही है।
    एक तिवारी तीन नंबरियों पर भारी
    तीन नंबर विधानसभा में आकाश विजयवर्गीय जब विधायक बने तो उनकी देव से महादेव की टीम ने भी काम किया और इस टीम के कुछ खास लोग अभी भी उनके साथ हैं। तीन नंबरी कई नेताओं को ये बात हजम नहीं हो रही है। इनमें दो नंबर के सन्नी तिवारी को लेकर अंदर ही अंदर कुछ ज्यादा विरोध है। इस विधानसभा के कुछ वरिष्ठ नेता आकाश को कुछ बोल नहीं पाते, क्योंकि सन्नी को लेकर बोलना यानी सीधे विधायक से पंगा लेना। अभी जो मंडल कार्यकारिणी गठित हुई है, उसमें भी सन्नी की ही चली है।
    जगमोहन की नाव फंसी अधर में
    सांवेर विधानसभा चुनाव में जिस तरह से जगमोहन वर्मा को तवज्जो मिली थी वो क्षणिक ही थी। खड़ी कराई के मुद्दे पर जग्गू भाई ने तुलसी के सामने चुनाव लडऩे की चेतावनी दे दी थी और शिवसेना का दुपट्टा भी पहन लिया था। पार्टी के नेताओं ने मना लिया और बंद कमरे में जो बात हुई उसके बाद लगा था कि खड़ी कराई फिर शुरू हो जाएगी, लेकिन अब न जग्गू भाई के साथ प्रशासन साथ है और न ही पार्टी के नेता। ये बात हम नहीं, बल्कि पिछले दिनों हुआ विवाद और डीआईजी की दो टूक कह रही है।
    विजयवर्गीय-मेंदोला की राह पर आकाश
    आकाश विजयवर्गीय जिस तरह से मैदान पकड़ते हैं उससे कैलाश विजयवर्गीय की विधायकी और रमेश मेंदोला के सरकारी अधिकारियों से काम कराने की याद आ गई है। इसी राह पर आकाश चल पड़े हैं और जिस तरह से उन्होंने पिछले दिनों अपनी विधानसभा में दौरा कर अफसरों को काम की टाइम लिमिट दी, उससे अब काम फटाफट होंगे ऐसी संभावना है। आकाश ने विधानसभा का काम देखने वालों को भी कह दिया है कि जहां-जहां अधूरे काम पड़े हैं, वहां की सूची बनवाओ। मैं खुद वहां के कामों को देखने जाऊंगा और पता करूंगा कि उसमें देरी क्यों हो रही है।
    शोकसभा में भी टिकट का दांव
    कल भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश महामंत्री प्रदीप नायर के पिता की शोकसभा गीता भवन में रखी थी। भाजपा के बड़े नेताओं के साथ-साथ बड़ी संख्या में युवा भी पहुंचे। सभी शोकाकुल बैठे थे, तभी शहर के एक बड़े मंदिर के पुजारी ने वीडी शर्मा के नजदीकी वाईडी शर्मा को धीरे से कहा कि वीडी भैया से अपने एक परिचित को मिलवाना है। वाईडी ने कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि निगम चुनाव का टिकट चाहिए और उसे मिलना ही चाहिए। इसके बाद तो वाईडी भी चुप, क्योंकि ये वो जगह नहीं थी, जहां टिकट की बात की जाए। खैर, महाराज ने बोला है तो उनकी आज्ञा का पालन करवाना वाईडी की मजबूरी भी है।
    यूथ कांगे्रस के चुनाव में फर्जी वोटर बाहर
    यूथ कांग्रेस के चुनाव होना हैं और इस बार कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व ने इतनी सख्ती की है कि जो ऑनलाइन वोट देगा, उसका मोबाइल नंबर एक ओटीपी आएगा तभी वह अपना वोट सबमिट कर सकेगा। शहर अध्यक्ष के जिन दावेदारों को यह मालूम था कि चुनाव में मोबाइल से वोट डालना होंगे तो उन्होंने आनन-फानन में फर्जी नंबरों से सदस्य बनवा डाले, लेकिन ओटीपी का अड़ंगा आने के बाद उनके मंसूबे पर पानी फिरता नजर आ रहा है। जीतेगा वही जिसकी पकड़ होगी और इसमें शहर के एक युवा आगे हैं, जिसे बड़े नेताओं का समर्थन भी मिल चुका है।
    शुक्ला के यहां कांग्रेस से ज्यादा भाजपा के नेता
    विधायक संजय शुक्ला के यहां ब्याव मंडा है और रोज कोई न कोई बड़ा नेता या सेलिब्रिटी आ रही है, लेकिन इनमें संख्या भाजपा नेताओं की ज्यादा है। लग रहा है कि संजय शुक्ला कांग्रेस के नहीं भाजपा के विधायक हैं। खैर, उनके पिता विष्णुप्रसाद शुक्ला बड़े भैया भाजपा के उन नेताओं में से रहे हैं, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भाजपा का झंडा उठाकर पार्टी को मजबूत किया। यही कारण है कि बड़े भैया से जुड़ाव के कारण कई भाजपा नेता यहां पहुंच रहे हैं और उनकी मेहमाननवाजी कांग्रेसियों को करना पड़ रही है।

    जो गली-मोहल्ले के नेता सुबह देर तक सोते थे, वे अब सुबह जल्दी जाग रहे हैं और मुर्गे की तरह लोगों को भी सुबह 6 बजे ही जगा देते हैं। जी हां, इन लोगों को चुनाव लडऩा है और सुबह-सुबह वार्ड में घूमकर लोगों को बता रहे हैं कि वे कितने सक्रिय हैं। गली-मोहल्ले की समस्या के साथ वे घर के हालचाल भी पूछ रहे हैं। समस्या हल होगी या नहीं, लेकिन अभी तो नेताजी को चाय भी लोगों को पिलाना पड़ रही है।
    -संजीव मालवीय

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