नेमा के यहां हमले में भाजपा आई बैकफुट पर
नेमा के यहां हमले के मामले में भाजपा के नेताओं को बैकफुट पर आना पड़ा है, क्योंकि हमलावर भाजपा और कांग्रेस से ही जुड़े निकले। जोश-जोश में भाजपा नेताओं ने प्रशासन की हवा टाइट कर दी थी, लेकिन अब वे कुछ नहीं बोल रहे हैं, लेकिन पुलिस ने भी बदमाशों की ऐसी हवा निकाली की कि भाजपा नेताओं को कुछ बोलते नहीं बन रहा है। बताया तो यह जा रहा है कि जिस आरोपी का भाजयुमो की कार्यकारिणी में नाम दिया गया था, उसका नाम नेमा के कार्यकाल में ही जुड़ा था, क्योंकि नामों को जोडऩे के विवाद में मोर्चा अध्यक्ष मनस्वी पाटीदार लिस्ट पटककर दीनदयाल भवन से चले गए थे और उसके बाद जिसे समझ में आया, उसने अपने पट्ठों के नाम जुड़वा दिए।
बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले
पिछले सप्ताह अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष इन्दौर आए। आए निजी यात्रा पर थे। मोर्चे के नेताओं ने उनके स्वागत में रुचि नहीं दिखाई। एयरपोर्ट से लेकर भाजपा कार्यालय तक गिने-चुने पदाधिकारी ही नजर आए, जबकि पद की दावेदारी करने मोर्चा की ओर से भीड़ आ जाती है। फिर पद लेकर वे दुकानदारी में लग जाते हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष जब भाजपा कार्यालय में थे, तब 50 लोग भी उनके स्वागत के लिए इक_ा नहीं हो पाए। राष्ट्रीय अध्यक्ष को भी उम्मीद नहीं थी कि उनका इस तरह स्वागत होगा।
कांग्रेस सरकार में प्रदर्शन, भाजपा में नोटिस
कांग्रेस सरकार के दौरान प्रदर्शन करने वाले भाजपा नेताओं को अब भाजपा के राज में ही नोटिस थमाए जा रहे हैं। युवा मोर्चा के ऋषि खनूजा और विनोद खंडेलवाल ने कमलनाथ सरकार के दौरान गांधी हॉल में एक प्रदर्शन किया था। इस दौरान एक आइशर में सामान भी आया था। पुलिस अब प्रदर्शन करने वालों को नोटिस दे रही हैं और उन्हें थाने बुला रही है। घबनाए नेता नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे के पास पहुंचे तो गौरव ने पुलिस अधिकारियों को अपने अंदाज में समझा दिया और कहा कि कार्यकर्ताओं को इस तरह परेशान न किया जाए।
क्यों आई थी प्रतिभा पाल?
निगम आयुक्त प्रतिभा पाल दीनदयाल भवन की सीढ़ी चढ़ीं और खबर कांग्रेसियों तक पहुंच गई। वैसे अभी तक इस स्तर का अधिकारी राजनीतिक दलों के कार्यालयों तक तो नहीं गया है, लेकिन दिवाली के बाद पहुंचीं प्रतिभा पाल को लेकर भाजपाइयों ने तो कह दिया कि ये ताकत है हमारे संगठन में। मैडम सीधे दूसरी मंजिल पर गईं और जिनसे मुलाकात करना थी, उनसे मिलकर आ गईं। चर्चा क्या हुई ये सामने नहीं आया, लेकिन जाहिर तौर पर बताया जा रहा है कि शहर के विकास के संबंध में संगठन को चर्चा करना थी। कांग्रेसियों ने सवाल उठाया कि जब सरकार ही भाजपा की है और उसके शहर में जनप्रतिनिधि हैं तो संगठन के पदाधिकारियों का सीधे अधिकारियों से चर्चा करना कहां तक उचित है? कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा नई परिपाटी शुरू कर रही है।
गलत समय बज गया लालवानी का बैंड
लंबे समय बाद शहर के बैंड-बाजे वालों को शादी में बजाने की परमिशन मिली और खुशी जाहिर करने वे राजबाड़ा पहुंच गए। बोले हर शादी में सबसे पहले स्वच्छता का गीत बजाएंगे। अब ये गीत बजेगा या नहीं ये तो आई-गई बात हो गई, पर बैंडवालों के बीच पहुंचे सांसद ने भी बैंड बजा दिया। उन्हें ध्यान नहीं रहा कि समय गलत है। सीएम के ससुर का एक दिन पहले ही निधन हुआ था और अंत्येष्टि भी नहीं हुई थी। इधर शंकर ने बैंडवालों की खुशी के लिए बैंड बजाया और उधर उनके चाहने वालों ने उनका बैंड बजाने के लिए वीडियो व फोटो वहां भेज दिए हैं, जहां भेजना थे।
बाकलीवाल का शक्ति प्रदर्शन किसलिए?
शहर कांग्रेस अध्यक्ष विनय बाकलीवाल का जन्मदिन था और उनके समर्थकों ने ऐसा माहौल बनाया कि बाकलीवाल कांगे्रस के नेताओं की फ्रंटलाइन में आ गए। उनके द्वारा किया गया शक्ति प्रदर्शन समझ नहीं आ रहा है। कांग्रेस सरकार में उनकी निगाह आईडीए अध्यक्ष पद पर थी पर दिल के अरमां पूरे नहीं हो पाए और सरकार चली गई। अब 3 साल तो कुछ नहीं होना है, फिर ये शक्ति प्रदर्शन क्यों? वैसे कांग्रेसियों ने बता दिया कि बाकलीवाल सर्वमान्य अध्यक्ष हैं और उनका नेतृत्व सबको स्वीकार है। वैसे ये लड़ाई कांग्रेस के अंदर की है व बाकलीवाल ने बता दिया है कि कांग्रेस में अब वे सक्रिय हैं।
सफेदपोश बदमाश क्या कर रहे थे रेसीडेंसी में
गुंडों की कमर तोडऩे वाली कार्रवाई में किसी को बख्शा नहीं जा रहा है। शनिवार को रेसीडेंसी में हुई बैठक में एक सफेदपोश बदमाश और अब नेता वहां मिलने जा पहुंचे। बाकायदा उनको सम्मान के साथ दूसरे कमरे में बैठाया गया। जब बैठक के बाद सभी बाहर निकले तो वे एक विधायक के पीछे की गाड़ी में सवार थे। हो सकता है वे जो बात करना चाहते थे वो वहां नहीं हो सकती थी। वैसे ये पहले कांग्रेस में थे और अब दूसरे खेमे से जुड़ गए हैं।
शहर में कोरोना की भयावह स्थिति के बीच कल बड़े गांव देपालपुर में पूर्व विधायक मनोज पटेल ने दिवाली मिलन समारोह रख लिया। बाकायदा सांसद शंकर लालवानी मुख्य अतिथि थे। कई नेता और कार्यकर्ता बिना मास्क के ही आयोजन में शामिल हुए। सवाल पटेल और लालवानी पर उठ रहा है कि वे तो उस कमेटी के सदस्य हैं जिस पर लोगों के मास्क न पहनने और भीड़भरे आयोजनों को सीमित संख्या में रोक लगाने की जवाबदारी है। अब जब जवाबदार ही ऐसी लापरवाही करेंगे तो क्या होगा?
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved