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    ये पॉलिटिक्स है प्यारे

  • November 06, 2024

    निगम में कुछ तो गड़बड़ है भाई
    जिस तरह से नगर निगम में सत्ता पक्ष के पार्षदों द्वारा आवाज उठाई जा रही है, उसने नगर निगम के सिस्टम को कटघरे में खड़ा तो कर दिया है। पहले जीतू यादव, मनीष मामा जैसे एमआईसी सदस्यों ने अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोला था और उसके बाद हाल ही में पार्षद महेश बसवाल ने भी महापौर के सामने अधिकारियों को आड़े हाथों तो ले लिया। इससे सीधे-सीधे साफ जाहिर हो रहा है कि निगम में कुछ ठीक नहीं चल रहा है और जो चल रहा है, उसमें अधिकारियों की मनमर्जी हावी है। हालांकि इसकी शिकायत ऊपर तक भी की गई है, लेकिन लग नहीं रहा है कि हालात सुधरेंगे। अब बेचारे विपक्षी पार्षद कह रहे हैं, जब इनकी ही नहीं चल रही है तो हमारी क्या चलेगी?

    शंकर का अन्नकूट नेताओं की हाजिरी
    सांसद शंकर लालवानी ने पहली बार अपने कार्यालय पर अन्नकूट का आयोजन किया, जिसमें कई नेताओं ने हाजिरी लगाई। मंत्री तुलसी सिलावट, विधायक गोलू शुक्ला भी पहुंचे तो ग्रामीण क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की उपस्थिति चर्चा का विषय रही। बड़ी संख्या में देपालपुर और बेटमा के ग्रामीण क्षेत्र के नेता शंकर के अन्नकूट में शामिल हुए, वहीं शहर कार्यकरणी के कई पदाधिकारी भी अन्नकूट में नजर आए। भोजन और भजन के बीच हुए कार्यक्रम में अधिकांश तो संगठन चुनाव के लिए शंकर की परिक्रमा लगाते रहे।

    हैलोवीन पार्टी का भूत गायब
    शहर में जिस तरीके से हैलोवीन पार्टी का भूत आया था, वह उसी तरह गायब हो गया है। कहीं कोई विरोध की खबर नहीं आ रही है। इसको लेकर डाक्टरों ने खूब हंगामा मचाया था, लेकिन उनकी एक नहीं चली और ना ही कोई प्रकरण दर्ज हो पाया। इस मामले में कांग्रेस ने भी अक्षय बम को घेरकर उनके नाम का पटाखा फोड़ा था, लेकिन वह भी फुस्सी साबित हो गया। अब मामला ठंडा हो गया है और बताया जा रहा है कि एक बड़े नेता ने इस मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मामला पार्टी का आयोजन करने वाले कुछ संभ्रांत लोगों से जुड़ा था, जो भाजपा से ताल्लुक रखते हैं।

    कमलनाथ को वायरल, प्रचार से दूरी
    बताया जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को वायरल हो गया है और उन्होंने विजयपुर तथा बुधनी में होने वाले चुनाव प्रचार से दूरी बनाने का निर्णय लिया है। कमलनाथ को वायरल हुआ है या वे जानबूझकर इस चुनाव प्रचार से दूर हो रहे हैं, इसको लेकर तरह-तरह की बातें कांग्रेस के राजनीतिक गलियारों में चल रही है। कोई कह रहे हैं कि दोनों ही जगह भाजपा मजबूत है, इसलिए वे कांग्रेस की हार का ठीकरा अपने माथे फोडऩा नहीं चाहते हैं तो नजदीकियों ने कहा कि वे अंतिम समय में वहां ताकत लगाने जरूर पहुंचेंगे। वैसे वे वास्तव में वायरल से पीडि़त हैं और स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं।

    संकट में है प्रमोद टंडन
    कांग्रेस में लगातार 13 साल तक शहर अध्यक्ष रहने वाले प्रमोद टंडन इन दिनों संकट में है। संकट भी ऐसा है कि आगे कुआं है और पीछे खाई। जाए तो किधर जाएं? जैसे ही उनका नाम पटवारी की टीम में आया, उन्होंने देरी नहीं की और अपना इस्तीफा सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया और कह दिया कि अब वे कांग्रेस से कोई वास्ता नहीं रखेंगे। एक बार फिर कांग्रेस में आए टंडन अब भाजपा में किस मुंह से जाएं यह सोच रहे हैं, लेकिन जाहिर तौर पर उनका कहना है कि वे अब सोशल लाइफ जिएंगे। हालांकि रविवार को उन्हें भाजपा के एक जनप्रतिनिधि के कार्यक्रम में भगवा कुर्ता पहने देखा है और भाजपाइयों ने अंदाज लगा लिया है कि टंडन की वापसी कभी भी भाजपा में हो सकती है।

    मंडल अध्यक्ष का सनातन विरोधी काम
    शहर के मध्य क्षेत्र के एक मंडल अध्यक्ष के सनातन विरोधी कृत्य की चर्चा क्षेत्र में जोरों पर है। बताया जा रहा है कि मामला एक धर्मस्थल से जुड़ा है और अध्यक्ष ने अपने राजनीतिक आकाओं के माध्यम से उक्त धर्मस्थल को छोटा करवाकर उसकी जमीन किसी दूसरे व्यक्ति को बेच दी है। इसमें मंडल अध्यक्ष के साथ उस क्षेत्र के कुछ छोटे नेता भी शामिल है। खबर उडऩे के बाद अध्यक्ष की राजनीतिक सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा है, क्योंकि उनके सिर पर प्रभावशाली नेता का हाथ जो है।

    प्रवक्ता का डिमोशन या कुछ और…
    भाजपा के एक प्रवक्ता के सितारे इन दिनों गर्दिश में चल रहे हैं। बताया जा रहा है कि प्रवक्ता महोदय को पार्टी की ओर से दिया गया चार पहिया वाहन वापस बुलवा लिया गया है और उनसे यह भी पूछा गया है कि अभी तक उनका भाजपा में क्या योगदान रहा है। इसको भाजपा की मीडिया टीम में अंदरूनी खींचतान के रूप में देखा जा रहा है। बताया जा रहा है कि नई टीम से नेताजी की रवानगी भी हो सकती है, क्योंकि उन्हीं के साथियों ने कुछ कागज-पत्तर जुटा लिए हैं, जो नेताजी के लिए आने वाले समय में मुसीबत खड़ी कर सकते हैं।

    गौरव की मुख्यमंत्री से हुई खास मुलाकात के बाद अब कयास लगाए जा रहे हैं कि गौरव का अगला ठिकाना क्या होगा। क्या भोपाल जाकर प्रदेश कार्यकारिणी में एडजस्ट होंगे या फिर कोई लाभ की कुर्सी उनका इंतजार कर रही है।
    -संजीव मालवीय

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