आखिर गौरव को अपने साथ क्यों ले गए सीएम?
रविवार को मुख्यमंत्री इंदौर में थे। इंदौर के कार्यक्रम निपटाने के बाद वे जब धार के अमझेरा जाने लगे तो उन्होंने गौरव रणदिवे को इशारा किया कि वे उनके साथ चलें। बस फिर क्या था गौरव बैठ गए स्टेट प्लेन में और प्लेन हवा में। छोडऩे आए विधायक देखते रह गए कि ऐसा क्या हुआ कि गौरव को मुख्यमंत्री अपने साथ लेकर गए हैं। अब हवा में क्या बातें हुईं और किन मुद्दों पर हुईं, इसके कयास तो हवा-हवाई ही है, लेकिन कहा जा रहा है कि जिस तरह से गौरव चारों ओर से विधायकों से घिरा रहे थे और कार्यकाल के अंतिम दिनों में वे मायूस से नजर आ रहे थे, उसमें अब जान आ सकती है। गौरव वैसे तो सीएम से एबीवीपी के मार्फत जुड़े हुए ही हैं, लेकिन ये नई युति आने वाले समय में इंदौर की राजनीति में क्या गुल खिलाएगी, इसको लेकर हर कोई अपने-अपने स्तर पर पता करने में लगा है।
अपने ही नेताओं के आदेश का पालन नहीं
पूरे देश में निकाली जा रही न्याय यात्रा को लेकर प्रदेश के सभी सेवादल अध्यक्षों को अपने-अपने क्षेत्र में न्याय यात्रा निकालने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन इंदौर में सेवादल पीछे रहा। शहर की सेवादल इकाई ने तो यात्रा निकालकर औपचारिकता पूरी कर ली, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में कोई हलचल नहीं दिखाई दी। चर्चा चली कि नगर निगम में हुए प्रदर्शन में पटवारी के साथ पुलिस के ल_ खाए सेवादल अध्यक्ष का दर्द अभी कम नहीं हुआ है।
अधिकारियों के आगे बेबस हैं नेता
नगर निगम में लंबे समय बाद भर्ती निकाली है। कोर्ट के निर्देश के बाद दिव्यांगां के लिए निकाली गई भर्ती में भाजपा और कांग्रेस के कई नेता अपनों को फिट करने की जुगाड़ भिड़ा रहे हैं, लेकिन अधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि ये नियुक्तियां कोर्ट के आदेश पर हो रही है और इसमें जरा-भी गड़बड़ हुई तो उनकी नौकरी जा सकती है। इसलिए कोई भी नेताओं को हाथ रखने नहीं दे रहा है और भर्ती के सारे सूत्र अधिकारियों ने अपने हाथ में ले रखे हैं।
चार नंबर में कम नहीं हो रही गुटबाजी
चार नंबर विधानसभा में भाजपा में चल रही गुटबाजी कम होने का नाम नहीं ले रही है। विधायक मालिनी गौड़ और महापौर पुष्यमित्र भार्गव के बीच लगातार चल रही राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई का उदाहरण मुख्यमंत्री मोहन यादव के चार नंबर विधानसभा में पहुंचने के पहले नजर आया। दरअसल विधायक गौड़ के समर्थकों ने मुख्यमंत्री के स्वागत में होर्डिंग्स और पोस्टर लगाए थे, लेकिन उसमें महापौर का फोटो गायब रहा। बाद में महापौर समर्थकों ने ही रातोंरात दशहरा मैदान और उसके आसपास महापौर के बड़े-बड़े होर्डिंग्स और फोटो लगाकर विधायक का फोटो उड़ा दिया। सवाल तो यह भी उठा कि शहर को बदरंग होने से बचाने का दावा करने वाले भाजपा नेता और महापौर ने अपनी वाहवाही के लिए अपने ही आदेश को हवा में उड़ा दिया?
किसकी तरफ था ताई का इशारा
भाजपा के सदस्यता अभियान की कार्यशाला मे ंनजर आई सुमित्रा महाजन ने बातों ही बातों में कह डाला कि विजय पचाना और उसे कायम रखना बड़ी बात होती है। बस अब ताई के इसी शब्द के कई मायने निकाले जाने लगे हैं। आखिर ताई को ऐसा क्या लगा कि उन्हें यह बोलना पड़ा और ऐसे मंच पर, जहां प्रदेश प्रभारी सहित पूरी इंदौर भाजपा मौजूद थी। बड़ी बात तो यह है कि ताई ने यह किसके लिए बोला…इसके अलग-अलग मायने भाजपा नेता निकाल रहे हैं।
नेमा की चिंता जायज
विधायक और नगर अध्यक्ष रहे गोपीकृष्ण नेमा समय-समय पर अपनी पार्टी को आईना दिखाते आ रहे हैं। अभी उन्होंने एक कविता के माध्यम से शहर के हालात का ब्यौरा सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। इसके पहले भी वे शहर के हालातों को लेकर सोशल मीडिया पर अपनी बात कह चुके हैं या फिर सीधे मुख्यमंत्रीको पत्र लिख डालते हैं। ऐसे समय जब चुने हुए जनप्रतिनिधि बड़े नेताओं के सामने मुंह नहीं खोलते हैं, ऐसे में अब गोपी नेमा की चिंता जायज नजर आ रही है और कुछ नेता तो कह रहे हैं कि उस्ताद को अपने तेवर इसी तरह कायम रखना चाहिए। कोई तो हो जो शहर की आवाज उठाए।
कई अल्पसंख्यक नेताओं की छुट्टी तय
अल्पसंख्यक मोर्चे से भाजपा को कोई फायदा नहीं है, लेकिन इसकी आड़ में उन्हें भाजपा से बहुत फायदा है। शहर में सरकारी जमीन पर कब्जे के आरोप में सामने आए भाजपा के कुछ अल्पसंख्यक नेताओं की कारगुजारी ने संगठन के कर्ताधर्ताओं के कान खड़े कर दिए हैं। बड़े स्तर पर जमीनों का खेल चल रहा है और इन्हें पार्टी के ही कुछ नेताओं का वरदहस्त मिला हुआ है। इसके बाद यह तय हो गया कि पार्टी जाए भाड़ में, लेकिन अल्पसंख्यक नेता जमीनों के धंधे में माल कूटने में लगे हैं। बड़े नेताओं की आड़ में कुछ ने तो सरकारी ठेकों पर भी अपना कब्जा जमा लिया है, वहीं अल्पसंख्यक मोर्चा के मुख्य कर्ताधर्ताओं द्वारा बड़े-बड़े सेटलमेंट किए जाने की जानकारी भी भोपाल और दिल्ली तक पहुंचा दी गई है।
निगम-मंडल और एल्डरमैन की नियुक्ति का ख्वाब देखने वाले भाजपा नेताओं को फिर झटका लग सकता है। भोपाल में हुई बैठक में तय हुआ था कि अब नियुक्तियों में देर नहीं करना है और इसी को लेकर जिलाध्यक्षों ने सूची बनाना भी शुरू कर दी थी, लेकिन अब अंदर से खबर आ रही है कि सदस्यता अभियान पूरा होने तक इसे टाले जाने का विचार है। इसलिए प्रदेश की कार्यशाला में मुख्यमंत्री मोहन यादव और बड़े नेताओं ने इसका इशारा भी कर दिया है।
-संजीव मालवीय
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