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ये पॉलिटिक्स है प्यारे

July 22, 2024

ताई नहीं सूखने दे रहीं अपनी राजनीतिक खेती
भाजपाई सोच रहे थे कि ताई राजनीति से रिटायर हो चुकी हैं और अब वे मार्गदर्शक की भूमिका में नजर आएंगी, लेकिन ताई फिर से राजनीतिक खेती की हरियाली लौटाने में लगी हैं। वे बताना चाह रही हैं कि मंै अभी घर बैठी नहीं हूं। देवी अहिल्या समिति तो उनके पास है ही, वहीं अब वे पौधारोपण को लेकर शहर में अलग से संदेश देना चाह रही हैं। 28 जुलाई से वे हरियाली संरक्षण को लेकर अभियान शुरू कर रही हैं और इसमें उन्होंने उन लोगों को भी साथ मिलाया है, जो दूसरे गुट के हैं। मीटिंग हो चुकी है और जल्द ही मैदान में इसका असर भी देखने को मिलेगा। कहा जा रहा है कि ताई अपने इस अभियान के माध्यम से बताना चाह रही हंै कि वे घर नहीं बैठी हंै और अभी भी राजनीति में सक्रिय हैं।

कांग्रेसियों से डरी रेलवे
रेलवे स्टेशन पर पिछले दिनों एक कांग्रेसी का जन्मदिन मनाया गया। बिना अनुमति रेलवे की पार्किंग में न केवल मंच लगाया गया, बल्कि शोर भी खूब हुआ। मंच पर कांग्रेस के एक सक्रिय कार्यवाहक अध्यक्ष का फोटो भी था और जिसका जन्मदिन था वह उनका प_ा था। सिटी पुलिस के जवान भी मंच पर चढक़र नाचे। यह सब रेलवे प्रशासन देखता रहा, लेकिन किसी की बोलने की हिम्मत नहीं हुई। इसका कारण एक रेलवे अधिकारी का इनको वरदहस्त बताया जा रहा है।


मालिनी ने क्यों रखी दूरी
पौधारोपण अभियान में इंदौर के सभी विधायक शामिल हुए, लेकिन मालिनी गौड़ की दूरी कई सवाल पैदा कर गई। शिवराज गुट से आने वाली मालिनी और उनके समर्थकों तथा पार्षदों ने पौधारोपण को लेकर सक्रियता नहीं दिखाई। कारण साफ था, जिनकी अगुआई में कार्यक्रम हो रहा था, उनसे कभी मालिनी की पटरी नहीं बैठी तो अब क्यों बैठती? वहीं महापौर भी उनके क्षेत्र से हैं और लगातार उनके समर्थक चार नंबर में अपनी पैठ बना रहे हैं।

युगपुरुषधाम के तार जुड़े भाजपा कार्यालय से
युगपुरुषधाम में जो हुआ, उसने हर उस व्यक्ति को विचलित किया, जिसके मन में मानवता है। 6 बच्चों की मौत के बाद भी कार्रवाई को लेकर अपनाया गया ठंडा तरीका कई सवाल खड़े कर रहा था। जनप्रतिनिधि भी वहां पहुंचे थे, लेकिन किसी ने भी मांग नहीं की कि दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए। इसके पीछे कारण भाजपा कार्यालय में बैठे एक वरिष्ठ पदाधिकारी से युगपुरुषधाम के तार जुडऩा बताया गया। बताया जा रहा है कि उक्त पदाधिकारी की रिश्तेदार वहां की कर्ताधर्ता हैं। वहीं कई बड़े लोग इससे जुड़े हुए हैं। इसलिए दोषियों के प्रति नरम रुख अपनाया जा रहा है। खैर! शहर तो इस घटना को भूल जाएगा, लेकिन उन मासूमों की आत्मा दोषियों को माफ नहीं कर पाएगी, जिनके कारण वे अब उस दुनिया में नहीं हैं।

दब गए सूरी के सुर
जिस तरह से कैलाश विजयवर्गीय पौधारोपण का निमंत्रण लेकर कांग्रेस कार्यालय गांधी भवन पहुंचे और वहां कांग्रेस के पदाधिकारियों ने आवभगत कर सौहार्दता का परिचय दिया, ये सब कांग्रेस के एक पदाधिकारी को बहुत बुरा लगा। उन्होंने बयान जारी कर कांग्रेस नेताओं को कोसा और कहा कि जिसने कांग्रेस के प्रत्याशी को बिठाया, उसकी आवभगत करने में हमारे नेता लग गए। वैसे इन नेता के सुर कोशिश के बावजूद ज्यादा ऊपर तक नहीं पहुंच पाए और वहीं दबकर रह गए। कांग्रेसियों का कहना है कि विजयवर्गीय खुद गांधी भवन आए तो क्या उन्हें वहां से भगा देना चाहिए था?


गुस्सा हो गए विधायक
शहर के युवा विधायक किसी मामले में कोताही बर्दाश्त नहीं करते हैं, चाहे वह पार्टी का ही मामला हो। सुनने वालों ने बताया है कि विधायकजी ने अपने ही पार्टी के एक युवा नेता की ऐसी लू उतारी कि उन्हें सफाई देने भोपाल जाना पड़ा। उनके खिलाफ उनकी ही जमात के लोगों ने मनमानी की शिकायत की थी। इस पर विधायक ने उन्हें फोन लगाया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। इस पर विधायक तमतमा गए और एक दूसरे व्यक्ति को फोन लगाकर उनसे बात की और अपनी स्टाइल में समझा भी दिया कि इस प्रकार की मनमानी नहीं चलेगी। मामला आर्थिक था और उस क्षेत्र का था, जहां से शहर भाजपा की सत्ता चलती है।

समुद्र में गुम हो जाएगा कांग्रेस का मोती
राजनीति के समुद्र में न जाने कितने लोग बाहर आते हैं और फिर लहर के साथ वापस समुद्र में गुम हो जाते हैं। बात कांग्रेस की करें तो देपालपुर का मैदान खुला और साफ मान बैठे मोतीसिंह पटेल विधायक के दावेदार के रूप में खुद को पेश करने में लगे थे, लेकिन उन्हें नहीं मालूम था कि एक छोटी सी गलती उन्हें फिर पीछे धकेल देगी। उन्होंने वहां हाथ डाल दिया, जिनके हाथों में अभी कांग्रेस की कमान है। खैर! मोतीसिंह अब बचाव का रास्ता ढूंढ रहे हैं, लेकिन कहने वाले कह रहे हैं कि चुनाव को तो अभी तीन साल बचे हैं, तब तक हो सकता है ये मोती समुद्र में फिर गुम हो जाए।

मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है? राजनीति में ये बात किसी को हजम नहीं होती है कि कोई उनके क्षेत्र में आए और वाहवाही लूट ले जाए। ऐसा एक वाकया भाजपा के दो बड़े जनप्रतिनिधियों के बीच शनिवार को हुआ। मामला तूल पकड़ता, उसके पहले ही दोनों में सौहार्दता की बातचीत हो गई। वैसे एक पक्ष हमेशा से पब्लिसिटी स्टंट के रूप में एक्टिव रहता है और यही आदत उनको आला नेताओं के सामने खड़ा कर सकती थी।
-संजीव मालवीय

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