इंदौर के दो ही नेता पहुंचे संगठन के सामने
भोपाल में चल रही समीक्षा बैठक में प्रदेश प्रभारी भंवर जितेन्द्रसिंह, प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार की मौजूदगी में हारे-जीते विधायकों को बुलाया गया था, लेकिन इंदौर जैसे श्हर से दो ही हारे विधायक वहां पहुंच पाए। दरअसल संजय शुक्ला, विशाल पटेल, रामकिशोर शुक्ला और राजा मांधवानी तो पहले ही भाजपा में जा चुके है। बचे पांच में से एक खुद जीतू पटवारी हैं, जो राऊ में चुनाव हार गए थे, वहीं चिंटू चौकसे परिवार में गमी तो पिंटू जोशी परिवार में शादी के कारण बैठक में शामिल नहीं हो पाए। बचे सत्यनारायण पटेल और रीना बोरासी ने जरूर उपस्थिति दर्ज कराई और दोनों के पास ही हार के रटे-रटाए जवाब थे कि संगठन के लोगों ने उनका साथ नहीं दिया। अब देखना यह है कि इंदौर की गुटबाजी को लेकर संगठन क्या कदम उठाता है?
जिधर दम, उधर हम
दीनदयाल भवन की गतिविधियों से जुड़े एक नगर पदाधिकारी इन दिनों यहां कम ही देखे जा रहे हैं। जिधर दम, उधर हम की नीति पर काम करने वाले उक्त पदाधिकारी को लग गया है कि अब दीनदयाल भवन में जिसके दम पर वे थे, उनका दम खत्म होने वाला है और उसके पहले ही कोई नया नेता ढूंढना पड़ेगा। वैसे इन पदाधिकारी के बारे में खुसपुसाहट है कि इन्होंने दीनदयाल भवन की आड़ में अपने पुराने हिसाब-किताब बराबर कर लिए हैं और अब उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि यहां की कुर्सी पर अब कोई भी बैठे।
क्या करने गए थे भोपाल
कांग्रेस के कुछ नेता अपने राजनीतिक आका से मिलने पिछले दिनों भोपाल पहुंचे। फिलहाल इंदौर की राजनीति में हाशिये पर चल रहे उक्त नेताजी और उनके प_ों ने मुलाकात तो कर ली और उन्हें वहां से कुछ अच्छा होने का संकेत भी मिला है। लंबे समय तक कांग्रेस की राजनीति की डोर संभालने वाले नेताजी इसी दरबार से बेआबरू होकर निकले थे, लेकिन कोई दूसरा तारणहार नहीं होने के कारण वे अब वापस वहीं जमा है। संभवत: नेताजी को प्रदेश की कार्यकारिणी में लिया जा सकता है, लेकिन प_ों का कांग्रेस में राजनीतिक भविष्य क्या होगा, इसमें संदेह हैं।
इतने सक्रिय होने के बाद भी बैठक में नहीं बुलाया
बायपास की एक होटल में हुई कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में शहर कांग्रेस के एक कार्यवाहक अध्यक्ष को नहीं बुलाया गया। नेताजी को काटो तो खून नहीं। इतना सक्रिय होने के बाद भी बैठक में अपेक्षित नहीं रखना, नेताजी को नागवार गुजरा। उन्होंने विरोध में बयानबाजी भी की, लेकिन दूसरे ही दिन नेताजी के सुर बदल गए। उन्होंने पक्ष में बात करना शुरू कर दी। अपनी आदत के मुताबिक नेताजी ने अपने बयान का एक बड़ा चिट्ठा जारी कर दिया। फिर भी कुछ वरिष्ठ नेता नेताजी से नाराज हैं, क्योंकि वे अपनी दुकान चलाने के लिए कभी भी कुछ भी कर बैठते हैं, जिसकी जानकारी संगठन के कर्ताधर्ताओं तक नहीं जा पाती।
भंवरकुआं क्षेत्र में अवैध होस्टल पर शुरू की गई कार्रवाई फिलहाल ठंडी पड़ी हुईहै। कार्रवाई की आड़ में कुछ नेताओं के इशारे पर निगम के अमले का सक्रिय होना बताया जा रहा है। बताया जा रहा है कि कुछ नेताओं के प_े इस बीच भेंट-पूजा का खेल रचा रहे हंै। जिसका जैसा बड़ा होस्टल वैसी भेंट-पूजा, नहीं तो फिर नुकसान होना तो तय है, जो भेंट-पूजा से अधिक होगा। -संजीव मालवीय
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