कांग्रेस ने बदल लिया चुनावी ट्रैक
दो महीने पहले जिस जोर-शोर से कमलनाथ ने पांच गारंटी वाली स्कीम लागू कर मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की थी, उससे अपना ट्रैक बदल लिया है। शनिवार को दिनभर इंदौर में रहे कमलनाथ ने इस मामले में कहीं भी जिक्र तक नहीं किया। कांग्रेस इस बात पर खिसिया रही है कि भाजपा ने उनका दांव चलने के पहले ही फेल कर दिया। कांग्रेस ने सरकार आने पर महिलाओं को 1500 रुपए देने, बिजली बिल माफ करने, 500 रुपए में गैस सिलेंडर देने जैसी घोषणा की थी, लेकिन भाजपा के रणनीतिकारों ने इससे एक कदम आगे बढक़र लाडली बहनाओं को दी जाने वाली राशि 1250 रुपए तक ले आए। बिजली बिल की वसूली स्थगित कर दी और गैस सिलेंडर को कांगे्रस से एक कदम आगे बढक़र 450 रुपए कर दिया। वहीं युवाओं को साधते हुए उन्हें स्टायफंड भी देना शुरू कर दिया। अब कांग्रेस के बड़े नेता दिमाग लगा रहे हैं कि भाजपा के दांव से कैसे निपटा जाए?
फायरब्रांड हिन्दूवादी नेता गायब
अभी एक और पांच नंबर विधानसभा में दावेदारों की भरमार है और किस्मत खुलने का इंतजार हर कोई कर रहा है, लेकिन इन सबके बीच पांच नंबर में टिकट की दावेदारी करने वाले पुराने फायरब्रांड हिन्दूवादी नेता गायब हैं। उन्होंने पांच नंबर में शक्ति प्रदर्शन तक कर दिया था, लेकिन कई दिनों से वे शहर की राजनीति से ही गायब नजर आ रहे हैं। कहा जा रहा है कि उनकी राजनीतिक खिचड़ी की हांडी कहीं ओर चढ़ी हुई है, जहां वे उसके पकने का इंतजार कर रहे हैं। अब नेताजी की हांडी के चांवल कहां तक पक पाते हैं ये तो पकाने वाले ही जाने।
कुछ तो है जो विरोध काम नहीं आ रहा
मंत्री उषा ठाकुर इंदौर की किस सीट पर चुनाव लड़ेंगी, इसको लेकर कयास लगाए जा रहे हंै। कोई कह रहा है कि वे अपनी पुरानी 1 नंबर सीट से लड़ेंगी। दूसरी ओर सुदर्शन गुप्ता के विरोध में जो लोग काम पर लगे हुए हैं, वे चाहकर भी कुछ ज्यादा नहीं कर पा रहे हैं। गुप्ता की राह में रोड़े बिछाने का काम तो किया जा रहा है, लेकिन गुप्ता का बिगड़ कुछ नहीं रहा है और वे वहीं है, जहां पहले थे। बताया जा रहा है कि गुप्ता को संगठन के बड़े पदाधिकारी का साथ है और इसलिए विरोधी जिनके इशारे पर काम कर रहे हैं, वो ज्यादा दम नहीं दे पा रहे हैं।
चहल-पहल तो बढ़ी कांग्रेस कार्यालय में
दो-दो अध्यक्ष होने के बाद अब कांग्रेस कार्यालय में चहल-पहल बढऩे लगी है। सुरजीतसिंह चड्ढा ने हर दिन कार्यालय में बैठने की बात कही है तो अब गोलू अग्रिहोत्री को जब से कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है तब से वे लगातार कार्यालय जा रहे हैं और हर आयोजन में आगे हो रहे हैं। यह देख प्रमोद टंडन और विनय बाकलीवाल के कार्यकाल की यादें भी ताजा होने लगी है। अब गोलू की निगाहों को पढ़ा जा रहा है कि उनकी निगाहें कहां लगी हुई है? गोलू 1 नंबर से दावेदार थे, लेकिन वहां संजय शुक्ला ने अपना अभेद किला तैयार कर लिया है, जहां घुसपैठ असंभव है। इसके बाद गोलू की निगाह 4 नंबर पर थी, लेकिन जाहिर तौर पर वे यहां से भी मना कर चुके हैं। चार नंबर में पहले ही दो दावेदार अपनी पैठ जमाए हुए हैं, ऐसे में गोलू को यहां पैर फंसाना ठीक नहीं लग रहा है। फिलहाल तो वे संगठन में ही काम करने के मूड में हैं।
भाजपा का शासन कांग्रेस में सिखाएंगे
घर लौटकर आए प्रमोद टंडन भले ही भाजपा की लाख बुराई कर रहे हो, लेकिन वे यह कहना नहीं भूल रहे हैं भाजपा में उन्होंने अनुशासन सीखा है। पहले ही दिन उन्होंने यह कहकर उस बात को भी मान लिया कि कांग्रेस में अनुशासन नहीं रहता। अपने घर पर पत्रकारों के सामने उन्होंने कहा कि वे भाजपा का अनुशासन कांग्रेस में सिखाएंगे। अब टंडन की इस बात से कितने कांग्रेसी इत्तेफाक रखते हैं ये तो वक्त ही बताएगा। यूं भी कांग्रेस में धक्का-मुक्की की संस्कृति जा नहीं सकती और बड़े नेताओं की कोई सुनता तक नहीं।
पहलवानों के भरोसे टिकट की दावेदारी
कांग्रेस के एक युवा नेता हैं। कमलनाथ के नजदीकियों में उनका नाम गिना जाता है। वे भी इस बार विधानसभा टिकट के दावेदार हैं, लेकिन उनकी राजनीति पहलवानों और खिलाडिय़ों के भरोसे चल रही है। शनिवार को भी कमलाथ से मिलाने के बहाने वे खिलाडिय़ों को ही ले गए। इसको देख दूसरे कांगे्रसियों ने कटाक्ष किया कि इनके वोट उन्हें विधायक बना देंगे? खैर नेताजी का टिकट होगा या नहीं ये वे ही जाने, लेकिन कमलनाथ के झंडे उठाना उनकी मजबूरी है और उनके रहते वे राजनीति में किसी बड़े स्थान पर सेट हो जाना चाहते हैं।
कांग्रेस के आयोजन में कम भीड़ का आंकलन
अगर कमलनाथ के पूरे दौरे का आंकलन किया जाए तो एक तरह से उनका दौरा फीका ही रहा। गांधी हॉल में एक समाज के कार्यक्रम में समाज के लोग बहुत कम संख्या में पहुंचे, तब तक वे वहां से निकल गए थे। शुभकारज में बेरोजगारों का मेला था, जहां आदिवासी युवकों का जमावड़ा था। बाद में खजराना मंदिर में ही वे ही कांग्रेसी थे जो सुबह से उनके आगे-पीछे घूम रहे थे। गांधी भवन में जिस हिसाब से प्रमोद टंडन, रामकिशोर शुक्ला और दिनेश मल्हार की कांग्रेस में इंट्री कराई थी, वहां भी उतनी भीड़ नहीं थी, जितनी होनी चाहिए। चुनावी साल में कांग्रेसियों में जोश नजर नहीं आने का आंकलन भोपाल के एक वरिष्ठ कर रहे हैं और पता कर रहे हैं कि दो-दो अध्यक्ष देने के बाद भी इंदौर में पार्टी गति क्यों नहीं पकड़ रही है? वैसे विशाल पटेल ने जरूर गांधी नगर में अच्छी भीड़ कर रखी थी।
भाजपा के एक कद्दावर राष्ट्रीय नेता अपनी ओर से चुनाव नहीं लडऩे की बात तो कह रहे हैं, लेकिन पार्टी के आदेश का हवाला देकर मना करने पर ज्यादा जोर भी नहीं लगा रहे हैं। दरअसल पार्टी के उक्त नेता अभी प्रदेश में बड़ी भूमिका में हैं और आगे उनकी भूमिका में बढ़ोत्तरी ही होना है। हो सकता है कोई बड़ी कुर्सी उनके हाथ लग जाए।
संजीव मालवीय
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