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    ये पॉलिटिक्स है प्यारे

  • May 22, 2023

    आमरण अनशन रोकने के पीछे भाजपा नेता
    पटेल नगर के बावड़ी वाले मंदिर को लेकर अंदर ही अंदर हिन्दू संगठन, भाजपा नेता और स्थानीय लोगों में मतभेद उभर रहे हैं। 21 मई से हिन्दू संगठन से जुड़ी संघर्ष समिति आमरण अनशन करने की घोषणा कर चुकी थी, लेकिन समिति के समीकरण ही गड़बड़ा गए। इस मामले में इंदौर भाजपा की एक बड़ी महिला नेता ने हस्तक्षेप किया और संघ के लोगों से भी बात की। समिति के लोगों को आश्चर्य था कि इन बड़े नेता के इस मुद्दे पर मुखर होने के मायने क्या निकाले। हालांकि अनशन की घोषणा करने वालों को समझा दिया गया कि इससे अच्छा संदेश नहीं जाएगा। घोषणा करने वाले कर भी क्या सकते थे, उन्होंने भी फटाफट आंदोलन को स्थगित करने की घोषणा कर दी। उतावले होकर मंदिर बनवाने की मांग करने वाले भी मौन हैं और अब भाजपा नेताओं के इशारों का इंतजार कर रहे हैं।


    नेता का अतिक्रमण नहीं दिखता
    तीन नंबर विधानसभा में भाजपा के एक जवाबदार पदाधिकारी के अतिक्रमण पर निगम अधिकारी आंख नहीं उठा सके, इसलिए वे पहले ही आंख दिखा देते हैं। सार्वजनिक तौर पर शहर के मध्य क्षेत्र में होटल के नाम पर किया गया अतिक्रमण किसी को नजर नहीं आता है, लेकिन बेचारे वाहन चालक वहां से छत्री की ओर जाने के लिए गुत्थमगुत्था होते रहते हैं क्योंकि होटल में आए ग्राहकों की गाडिय़ां सडक़ पर ही खड़ी होती है।


    युवक कांग्रेस के पर्यवेक्षक भी घूम रहे शहर में
    युवक कांगे्रस की हालत शहर में ठीक नहीं है और यही हालात तकरीबन दूसरे शहरों के हैं। युवाओं को जो काम मिलता है वे उसे कर तो देते हैं, लेकिन अपने मन से कुछ नहीं कर पाते। बड़े नेताओं को दिखाने के लिए जरूर कुछ अभियान शुरू हो जाते हैं। उसी के परिणाम स्वरूप युकां कमजोर होते जा रही है। अब राष्ट्रीय स्तर पर ही युवक कांंगे्रस के कामों की मॉनीटरिंग के लिए पर्यवेक्षक बनाकर उन्हें दो से पांच जिलों की जवाबदारी दी गई है। ये पर्यवेक्षक दूसरे प्रदेशों के पदाधिकारियों को बनाया गया है और वे इसकी रिपोर्ट दिल्ली में देंगे और बताएंगे कि कहां-क्या चल रहा है। कौन सक्रिय है और कौन निष्क्रिय, इसका फैसला भी होगा।


    35 साल से दरी उठाई, लेकिन प्रमोशन नहीं
    भाजपा में अब छोटे नेता भी अपनी गरिमा के अनुरूप पद नहीं मिलने पर नाराज होकर पार्टी छोड़ रहे हैं। ऐसे ही चार नंबर विधानसभा में 35 साल से पार्टी की दरी उठाने का दावा करने वाले सिंधी नेता संजय पंजाबी ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया और कह भी दिया कि अब वापस लौटकर नहीं आऊंगा। दरअसल अपनी गरिमा के अनुरूप पद नहीं मिलने से नाराज पंजाबी नगर अध्यक्ष से मिलने का प्रयास कर रहे थे। उन्होंने कार्यालय मंत्री ऋषि खनूजा को फोन लगाया तो उन्होंने कहा कि मैं बात करवा दूंगा, लेकिन एक सप्ताह गुजर गया खनूजा की ओर से कोई रिस्पांस नहीं आया तो उन्होंने आहत होकर पार्टी छोड़ दी। ऐसी ही समस्या कुछ और लोगों की भी है। पंजाबी की पीड़ा यह रही कि 17 साल से वे बूथ अध्यक्ष थे और अभी तक उन्हें इसी पद पर रख रखा था, जबकि कई नयों को बड़े पदों से उपकृत कर दिया गया था।


    आखिरकार वनवास दूर हो ही गया
    कुछ सालों पहले भाजपा की एक तेजतर्रार नेत्री द्वारा पुरूष कार्यकर्ता के साथ फोन पर की गई अभद्र भाषा में बातचीत को लेकर वे हाशिये पर आ गई थी और पार्टी ने उन्हें बाहर कर दिया था। इसके बाद वे राजनीति में तो सक्रिय रहीं, लेकिन कोई पद नहीं मिल पाया, लेकिन भोपाल तक पहुंच के चलते अब उनका वनवास समाप्त हो चुका है। फिलहाल उन्हें एक अभियान में जवाबदारी दी गई है। हालांकि इस पर सियासी रोटी सेंकते हुए कांग्रेसियों ने ट्वीट करना शुरू कर दिया है।


    कुछ ज्यादा ही मोहब्बत फैला गए भाजपा नेता
    ईद पर होटल सयाजी में रखे एक कार्यक्रम में पहुंचे भाजपा के एक पूर्व चर्चित पार्षद अपनी ही पार्टी के एजेंडे के खिलाफ बोल गए। उन्होंने कह दिया कि देश में जो नफरत का माहौल बना है, उसमें मोहब्बत भरे पैगाम देने वाले ऐसे आयोजन जरूरी है। उन्होंने आयोजकों की भी तारीफ की। वहीं भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेता भी इस आयोजन में नजर आए, कांग्रेसी नेता तो थे ही। चूंकि मेहमान के तौर पर इन्हें बुलाया था तो हर किसी का ऐसे आयोजन की तारीफ करना मजबूरी थी।

    श्रेय की राजनीति जो कराए वो कम….
    विधानसभा चुनाव लडऩे का सपना देखने वाले एक पार्षद के क्षेत्र में नगर निगम ने बुलडोजर चलवा दिया। वैसे किसी पार्षद के क्षेत्र में बुलडोजर तभी चलता है जब उसकी सहमति होती है, लेकिन पार्षद और फिर एमआईसी मेम्बर को ये रास नहीं आया और उन्होंने महापौर के सामने अपना विरोध जता दिया और कहा कि ऐसे तो हमारे राजनीतिक समीकरण क्षेत्र में गड़बड़ा जाएंगे। लोग हमें हिन्दूवादी कहते हैं और हमारे रहते इस प्रकार से बुलडोजर चलना गलत है। नतीजतन दो निगम अधिकारियों की बलि ले ली गई। वैसे इस क्षेत्र से विधानसभा के अन्य दावेदार जब तक यहां पहुंचते तब तक श्रेय की राजनीति की दुकान सज चुकी थी और निगम अधिकारियों की बलि तथा कार्यवाही पर रोक उक्त पार्षद के खाते में जा चुकी थी।

    सांवेर में कई महीनों से सक्रिय प्रेमचंद गुड्डू की बेटी रीना बोरासी सेतिया के सामने टिकट लाना एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आ रहा है अंदरूनी खबर है कि उनके भाई अजीत बौरासी भी इसी सीट से दावेदारी कर रहे हैं और वे भी सक्रिय हो गए हैं। घटिया विधानसभा से हार चुके अजीत सांवेर में क्या गुल खिलाएंगे, ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन गुड्ूडू के सामने एक परेशानी है कि वे अपनी बेटी का साथ दे या बेटे का और इसी का इंतजार सांवेर के कांग्रेसी कर रहे हैं, लेकिन कुछ ने तो दोनों को ही सांवेर से बाहर करने का फैसला कर दावेदारी शुरू कर दी है। -संजीव मालवीय

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