कांग्रेस की सरकार में व्यक्तिगत काम होते हैं
भाजपा अपने उन कार्यकर्ताओं में जान डालने का प्रयास कर रही है जो किसी न किसी कारण से घर बैठे हुए हैं या फिर सक्रिय नहीं हैं। पिछले दिनों भाजपा के प्रदेश संगठन द्वारा आयोजित की गई वचुर्अल बैठक में प्रदेश पदाधिकारियों ने कार्यकर्ताओं की उस पीड़ा को इतनी आसानी से समझा दिया, जिसको लेकर वे अक्सर कहते रहते हैं कि हमारी सरकार में हमारे ही काम नहीं होते हैं। पदाधिकारियों ने कहा कि हमारी सरकार में हम विकास के काम को तवज्जो देते हैं और कांग्रेस की सरकार में व्यक्तिगत काम होते हैं। प्रदेश पदाधिकारियों ने और भी कई तरह से समझाने का प्रयास किया कि घर बैठे कार्यकर्ताओं को बाहर निकालो। हालांकि इसके बाद भी कई कार्यकर्ता कहते हुए नजर आए कि बड़े नेताओं के काम तो हो जाते हैं, लेकिन हमारे कामों को ही लेकर सारे नियम-कायदें आड़े आते हैं?
इधर चिंटू और उधर मनोज की फिटनेस
ढुलमुल शरीर वाले नेता भी अब अपनी फिटनेस पर ध्यान देने लगे हैं। फिलहाल एक तरफ पार्षद चिंटू चौकसे हैं तो दूसरी तरफ पार्षद पति मनोज मिश्रा। दोनों न केवल हर दिन जिम जा रहे हैं, बल्कि एक बॉडी बिल्डर की तरह उन्होंने अपनी बॉडी भी बना ली है। वैसे कुछ नेता और जिम जा रहे हैं, लेकिन जिम पर भारी उनका जीमना पड़ रहा है, इसलिए वे अपनी बॉडी नहीं बना पा रहे हैं।
जेवी को दी सुवेग को सलाहकार बनाने की सलाह
जयवर्धनसिंह इंदौर दौरे के दौरान सभी विधानसभा प्रभारियों के यहां मिलने भी गए। जब वे सुबह-सुबह पूर्व मंत्री जीतू पटवारी के घर पहुंचे तो वहां नाश्ते की टेबल पर कुर्सियां कम पड़ गईं। चूंकि पटवारी मेजबान थे, इसलिए वे खड़े ही रहे। यह देख जेवी के साथ पहुंचे सुवेग राठी ने पटवारी से कहा कि आप बैठ जाओ, लेकिन पटवारी ने राठी को जबर्दस्ती कुर्सी पर बिठा दिया और जयवर्धन से बोले कि ये आपके सबसे लॉयल व्यक्ति हैं और एक अच्छे सलाहकार हो सकते हैं। मेरी बात मानो तो इन्हें अपना सलाहकार बना लो। जेवी ने भी फट से जवाब दे दिया कि वो तो पहले से ही मुझे सलाह देते रहते हैं।
विवाद न हो, इसलिए भाजपा नेता को ठेका
मालवा उत्सव में हर बार पार्किंग को लेकर विवाद होते रहे हैं, लेकिन आयोजक उसे सुधारने की बजाय ऐसे व्यक्ति के हाथ में ठेका दे देते हैं, जो सभी से पार्किंग शुल्क की वसूली कर सके। इस बार भाजपा के एक नगर पदाधिकारी को ठेका मिला। ठेका कैसे मिला, ये अलग बात है लेकिन उक्त पदाधिकारी ने अपने दबाव-प्रभाव का इस्तेमाल कर वहां अपनी फौज तैनात कर दी। जो भी फ्री पार्किंग के चक्कर में जाता, टीम के लोग उसे बता देतें कि फलां भिया का ठेका है और पार्किंग के पैसे तो देना ही पड़ेंगे। बाइक का 20 रुपए पार्किंग शुल्क का विरोध करने संघ से जुड़ी अभा ग्राहक पंचायत के लोग भी पहुंचे थे, लेकिन उनके विरोध को भी ठंडा कर दिया गया और पूरे समय वसूली चलती रहीं। कार के 40 रुपए लिए गए और बकायदा इसकी रसीद भी दी गई। पूरे उत्सव के दौरान यही चर्चा चलती रही कि भिया का आदेश था, इसलिए उन्हें ठेका देना ही पड़ा, नहीं तो मंच से जुड़े किसी व्यक्ति के पास ही हर साल यहां पार्किंग वसूली का ठेका होता है।
हल्ला नहीं कर पाई आईटी और सोशल मीडिया
भाजपा ने जिस तरह से आईटी टीम और सोशल मीडिया का ताना-बाना बुना है, उसने लगातार कांग्रेस पर हमले के लिए अपने योद्धाओं को भी तैयार कर रखा है, लेकिन कर्नाटक जीत पर पूरी टीम का चुप रहना कंटेंट बनाने वालों पर सवाल खड़ा कर रहा है। ऐसा कोई मुद्दा कांग्रेस ने भाजपा के सामने नहीं आने दिया, जिससे भाजपा जीत में भी कोई नुस्ख निकाल सके। कर्नाटक की सत्ता हाथ से जाने के बाद अब भाजपा की आईटी और सोशल मीडिया टीम अभी तो चुप बैठी है, लेकिन एक बड़े हल्ले की तैयारी जो अंदर ही अंदर की जा रही थी, उसका परिणाम कल से देखने को मिल रहा है।
चुनाव का असर, बाबा भी गाने लगे गाना
बूथ विजय संकल्प अभियान के तहत जब वार्ड क्रमांक 49 में कार्यक्रम हुआ तो वहां मंच पर गाना गाने की होड़ मच गई। शुरूआत राजा कोठारी ने की तो उसके बाद क्षेत्रीय पार्षद राजेश उदावत ने भी एक गीत गाया। बाबा यानि विधायक हार्डिया को भी जब माइक थमाया तो उन्होंने पहले ना-नुकूर की, लेकिन ऐसा सुर लगाया कि कार्यकर्ता भी आश्चर्य में पड़ गए। वैसे बाबा का ये सुर चुनाव को देखकर ही निकला है।
दिग्विजयसिंह के सामने ताकत दिखाने की तैयारी
22 मई को विधानसभा स्तर पर बैठकें लेने आ रहे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह के सामने चुनाव लडऩे के इच्छुक कुछ नेता शक्ति प्रदर्शन की तैयारी में हैं, ताकि बताया जा सके उनका दावा कितना मजबूत है, लेकिन प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से जो निर्देश मिले हैं, उसमें स्पष्ट कहा गया कि संबंधित विधानसभा में निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार बैठक के अलावा कुछ नहीं होगा। अगर कोई गड़बड़ करता भी है तो उसका टिकट खतरे में पड़ सकता है, लेकिन कांगे्रसी संस्कृति कुछ और ही कहती है। जब तक ताकत नहीं दिखाई, तब तक टिकट कैसे मिलेगा? इसी को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री के आसपास माहौल बनाने की तैयारी हो रही है। कोई तो कह रहा है कि हमारा टिकट तो साब ने पक्का कर दिया है, बस अब औपचारिकताएं पूरी हो रही हैं।
दो चचेरे भाइयों के बीच फंसी एक विधानसभा सीट को लेकर दोनों अपने-अपने दावे कर रहे हैं, लेकिन टिकट कौन लाएगा, इसमें संशय बना हुआ है। हालांकि एक को कांग्रेस के बड़े स्तर के नेता ने पुराने कमीटमेंट के आधार पर तैयारी करने को कह दिया है और वे तैयारी कर रहे हैं। उन्हें विश्वास है कि इस बार टिकट उन्हें ही मिलेगा। बता दें कि उक्त नेता के पास युवाओं की एक अच्छी टीम भी हैं और उच्चशिक्षित होने के कारण वे तकनीक का इस्तेमाल करके विधानसभा में अपना समर्थन बढ़ा रहे हैं।
-संजीव मालवीय
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