नई निगमायुक्त ने कराया पार्षदों को इंतजार
निगम अधिकारियों द्वारा जनप्रतिनिधियों को तवज्जो नहीं देने के मामले में कई बार संगठन और यहां तक कि महापौर परिषद की बैठक में पार्षदों ने हल्ला मचाया, लेकिन अभी तक अधिकारियों का रवैया जनप्रतिनिधियों के प्रति बदला नहीं है। पिछले दिनों नगर निगम में हुई एक बैठक के दौरान एक वरिष्ठ एमआईसी सदस्य अपने साथ चार पार्षदों को लेकर नई निगमायुक्त हर्षिका सिंह को इंदौर में ज्वॉइनिंग की बधाई देना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने फोन भी लगाया, लेकिन मैडम ने फोन नहीं उठाया। फिर उन्होंने मैसेज भी किया, लेकिन जवाब नहीं आया तो वे नाराज होकर वहां से निकल लिए। दो घंटे बाद मैडम का फोन आया तो उन्होंने भी फोन नहीं उठाया और अपने विधायक तथा महापौर को बता दिया कि ये रवैया ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि मेरे ऊपर जवाबदारी है, इसलिए कुछ बोला नहीं, नहीं तो पूरा शहर जानता है कि मैं क्या हूं और कैसे बात करता हूं।
अब कार्यकर्ता करें तो क्या करें…?
एक नंबर के एक नेताजी अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के कार्यक्रम में जाने से अपने लोगों को रोकते रहे। सबने नेताजी की बात मानी, लेकिन जब उन्हें मालूम पड़ा कि नेताजी अपने प्रतिद्वंद्वी के मंच पर स्वागत-सत्कार करवा रहे हैं तो वे नाराज हो गए। नेताजी विधानसभा टिकट के दावेदार हैं, लेकिन उनकी ये हरकत समर्थकों को मायूस कर गई। यूं भी नेताजी के सितारे अभी ठीक नहीं चल रहे हैं और इस घटना के बाद उनके खेमे में उठापटक हो सकती है।
आपके नेता लड़ते तो रहते हैं पंडितजी
कृपा पंडित बोल बैठे कि आप तो किसी को भी शहर कांग्रेस का अध्यक्ष बना दो, हम सब झेल लेंगे। पांच नेता नाम तय कर दें तो काम हम करवा लेंगे। पंडितजी ये भूल बैठे कि ये वही कांग्रेस है, जहां कोई भी एक-दूसरे को पीछे खींचने में कोई कसर नहीं छोड़ता, नहीं तो आज बागड़ी ही अध्यक्ष बन जाते, फिर आप उनसे काम करवा लेते। बागड़ी कांग्रेसियों को हजम नहीं हुए। बाकलीवाल को लेकर भी कांग्रेसियों की कभी एक राय नहीं बनी। वहीं गोलू के नाम पर भी सामने तो सब एक हंै, लेकिन उन्हें डर है कि गोलू सबको लेकर चलेंगे?
नया करना था तो टॉकिज ही बुक कर लिया
सांसद लालवानी की टीम कुछ न कुछ नया कर मीडिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती रहती है। कल मोदी के मन की बात के कार्यक्रम का सौवां एपिसोड सुनाने के लिए पूरा सपना-संगीता मल्टीप्लेक्स ही बुक कर लिया गया और कार्यकर्ताओं को वहां बुलाया गया। इसकी पूरी कमान सांसद के करीबी विशाल गिदवानी और उनकी टीम के हाथ में थी। विशाल ने भी ऐसा मजमा जमाया कि गांव के लोगों को भी भेला कर लिया, जो टै्रक्टर लेकर मोदी के मन की बात सुनने आए थे। एक तरफ बड़ी-बड़ी कारें पार्किंग में खड़ी थीं तो दूसरी ओर ट्रैक्टर भी अंदर ही खड़े किए गए थे। मल्टीप्लेक्स के बाहर कुछ अलग ही नजारा था। वहीं पहली बार किए गए इस नवाचार को लेकर बड़ी संख्या में दूसरे क्षेत्र के कार्यकर्ता भी पहुंच गए थे तो अंदर थिएटर की सीटें कम पड़ गईं। कुछ कार्यकर्ताओं ने तो नीचे बैठकर ही मन की बात सुनी और बाद में नाश्ता भी किया। टीम लालवानी का मकसद भी सफल हो गया और कार्यकर्ताओं को भी मजा आ गया।
बधाई के होर्डिंग्स ने बारिश से बचाया
कांग्रेस के एक पार्षद ने अपने वरिष्ठ नेता के जन्मदिन पर कनाडिय़ा रोड स्थित एक गार्डन में कार्यक्रम रखा था। सबकुछ ठीक चल ही रहा था कि ऊपर वाले, यानी बारिश ने आयोजन में खलल डाल दिया और तेज बौछारों के साथ आंधी चलने लगी। मंच पर जो होर्डिंग्स लगा था, उसे ही कार्यकर्ताओं ने एक तरफ से खोला और नेताजी का बचाव किया। होर्डिंग्स में जितने लोग आ सकते थे, उतने आ गए। जो बच गए थे वो बिना खाना खाए ही अपने घरों को रवाना हो गए।
जिराती ने क्यों बनाई कथा से दूरी
राऊ विधानसभा के केवड़ेश्वर में महामंडलेश्वर उत्तम स्वामी श्रीराम कथा कर रहे हैं, जहां हर दिन कोई न कोई राजनीतिक शख्स हाजिरी लगाने पहुंच रहा है। यहां कैलाश विजयवर्गीय, कमल पटेल, मधु वर्मा, जीतू पटवारी जैसे नेता भी पहुंच चुके हंै, लेकिन जीतू जिराती अभी तक नहीं आए। उन्होंने कथा से दूरी क्यों बना रखी है, इसको लेकर तरह-तरह की बातें हो रही हैं। हालांकि उनके समर्थक बचाव में कह रहे हैं कि वे संगठन के कामों में व्यस्त हैं, इसलिए यहां आ नहीं पा रहे हैं।
आखिर भरत पर ठप्पा लगा ही दिया मित्र ने
एबीवीपी के समय से साथ में काम कर रहे पूर्व पार्षद भरत पारख और महापौर पुष्यमित्र भार्गव की राजनीतिक दोस्ती पर उस समय ठप्पा लग ही गया, जब मित्र ने पारख को अपना प्रतिनिधि बना दिया। वैसे भरत मित्र के चुनाव लडऩे के पहले से ही उनके कामकाज की कमान संभाले हुए थे और जीतने के बाद भी वे मित्र के आयोजन में सबसे आगे ही रहे। तभी से लग रहा था कि भरत को कोई जवाबदारी दी जा सकती है और उन्हें महापौर प्रतिनिधि बना दिया। वैसे वे चार नंबर में ज्यादा रुचि ले रहे हैं। संगठन के करीबी भरत के बारे में तो कुछ लोगों ने कहा था कि मित्र उन्हें किसी बड़ी जवाबदारी के लिए तैयार कर रहे थे, लेकिन फिलहाल तो भरत अपने मित्र के लिए प्रतिनिधि के बतौर ही काम करेंगे।
कांग्रेस में सरकार गिरने से हुए जख्म अभी तक नहीं भरे हैं। कमलनाथ बार-बार मेरा क्या दोष था? का राग अलापते हैं तो दिग्गी राजा ज्योतिरादित्य सिंधिया को दगाबाज बताते आए हैं। सिंधिया के खास सिपहसालार तुलसी सिलावट ने जब दिग्गी को कोरोना वायरस बोल दिया तो दिग्गी का गुस्सा सातवें आसमान पर था। वे इंदौर आए तो बातों ही बातों में कह गए कि तुलसी के पास इतनी संपत्ति कहां से आई, ये पता करना चाहिए। उन्होंने तो यह तक कह दिया कि हमारी सरकार इसकी जांच करेगी। -संजीव मालवीय
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