ये वो कोरोना नहीं….समझिए… संभलिए… तब तक फिसल रही हैं जिंदगियां…
इंदौर। देशभर में एक पखवाड़े पहले यकायक शुरू हुई कोरोना की दूसरी लहर कोविड-19 नहीं, बल्कि कोविड -21 (Covid-21) कहा जाना होगा… संक्रमण (Infection) की इस लहर ने सारे मिथक तोड़ दिए… इस लहर का शिकार होने वाले लोग दो दिन बीमार, तीसरे दिन गंभीर और चौथे दिन हाथ से फिसले जा रहे हैं… कोविड-21 (Covid-21) का संक्रमण जहां संभलते-संभलते जाने मिटा रहा है वहीं पूरे परिवार को संक्रमित बना रहा है…
पढि़ए अग्निबाण पड़ताल की यह रिपोर्ट
पिछले साल जनवरी-फरवरी में दस्तक देने वाला कोरोना होश उड़ाने, जान गंवाने से पहले जान बचाने की कशमकश में जुट जाने का वक्त दे रहा था… मरीज भर्ती हो रहे थे… इलाज करा रहे थे… तब अनजान कोरोना से निपटने में जुटे स्वास्थ्यकर्मी, डॉक्टर और महकमा उपाय खोजने और इलाज करने में सक्षम भी नजर आ रहा था… दो हफ्ते अस्पतालों में रहकर मरीज ठीक भी हो रहे थे… मौतें नियंत्रित थी… बीमारियां काबू में भी थी… धीरे-धीरे सामान्य होती परिस्थितियों में लोगों ने और डॉक्टरों ने कोरोना से बचाव के तरीके और बीमारी की स्थिति में इलाज की व्यवस्थाएं जुटा ली थी… सब कुछ सामान्य होने लगा था… जिंदगी पटरी पर लौट रही थी… उमीद की वैक्सीन भी आ चुकी थी… घटते कोरोना और बढ़ती लापरवाही के चलते ना वैक्सीनेशन पर ध्यान दिया गया और ना ही महामारी की प्रचंडता पर… इसको लगेगा …उसको लगेगा …इसे अभी नहीं लगेगा .. जैसे ऊलजलूल निर्णयों में समय गंवाया… और उधर यकीन ही नहीं हुआ कि बिना वक्त दिए कोरोना का दूसरा संक्रमण गांव, कस्बों, शहरों से पूरे देश में इस कदर फैल गया कि पलक झपकते ही मौतें होने लगी… दरअसल यह कोरोना वो नहीं है, जिसके लिए हम तैयार थे… कोरोना (Corona) का यह संक्रमण (Infection) चार गुना तीव्रता वाला है जो पहले दिन बीमार बनाता है… दूसरे दिन बीमारी को समझने में वक्त लग जाता है और तीसरे दिन संक्रमण (Infection) का ऐसा तूफान उठकर आता है कि जिंदगियां हाथ से फिसलने लगती है… ना इलाज का वक्त मिलता है… ना दवाइयां मिलती हैं… ना जीवन बचाने के साधन ….आश्चर्य इस बात का है कि हमारे देश के वैज्ञानिक कोरोना (Corona) के इस बदलते स्वरूप को ना समझ पा रहे हैं और ना उपाय खोज पा रहे हैं… डॉक्टर केवल जान बचाने में लगे हैं और सरकार से लेकर प्रशासन ( administration) तक साधन जुटाने में….
सीटी वेल्यू कम तो पूरा परिवार संक्रमित
दरअसल पिछले साल जिस कोविड की आमद हुई थी वो तीव्रता (intensity) वाला था… लेकिन धीरे-धीरे उसकी तीव्रता कम होने लगी और घर में यदि एक बीमार हुआ तो दूसरा या तो बिना लक्षण (symptoms) का होता था या बच जाता था… दरअसल तब कोविड पॉजिटिव मरीजों की सीटी वेल्यू (city value) 24 से ऊपर आने लगी थी… कई बार यह वेल्यू 40 से 50 के पार होती थी… लेकिन अब यह वेल्यु 24 से कम और नीचे जाकर 10 से 15 तक आने लगी… जिस मरीज की कोविड पॉजिटिव रिपोर्ट में सीटी वेल्यू 24 से कम है वो दूसरों को संक्रमित करने में ज्यादा सक्षम है और यदि सीटी वेल्यू (city value) 24 से जितनी ऊपर है उतना उसका परिवार और वो स्वयं तीव्रता के दायरे से बाहर है…
प्रशासन सीटी वेल्यू को आधार बनाकर मरीजों की स्थिति पता करे
यह तथ्य इसलिए भी जरूरी है कि वर्तमान हालातों में इलाज की प्राथमिकता के साथ ही बढ़ते संक्रमण को रोकना आवश्यक है… स्वास्थ्य, प्रशासन यदि सीटी वेल्यू (city value) का आकलन करे तो संभव है कि तीव्रता का अनुमान लगाए जाने के साथ ही भविष्य की योजना बनाए… साथ ही संक्रमण फैलाने वाले मरीजों को उन मरीजों या परिजनों से दूर कर सके जो कम तीव्रता के शिकार हैं…
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