काबुल । अफगानिस्तान (Afghanistan) के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई (Former President Hamid Karzai) ने तालिबान (Taliban) के साथ मिलकर काम करने का आह्वान अंतरराष्ट्रीय समुदाय ( International Community) से किया है। करजई से जब सीएनएन (CNN) के साथ साक्षात्कार के दौरान सवाल किया गया कि क्या दुनिया को तालिबान (Taliban and world) के साथ काम करने की जरूरत है, जिसके जवाब में उन्होंने कहा, “यह जरूरी है।”
उन्होंने कहा, “निश्चित रूप से ऐसे उदाहरण होंगे जहां उन्हें (अंतरराष्ट्रीय समुदाय) जमीन पर वास्तविकता के साथ काम करने की आवश्यकता होगी। जमीनी हकीकत यह है कि अब तालिबान देश में वास्तविक सत्ता में है। इसलिए उन्हें (अंतरराष्ट्रीय समुदाय) अफगानिस्तानी लोगों तक पहुंचने के लिए, अफगानिस्तानी लोगों को सहायता प्रदान करने के लिए उनके (तालिबान) साथ मिलकर काम करना होगा।”
संयुक्त राष्ट्र के दस्तावेजों के अनुसार प्रस्तावित फंड को अगले साल मासिक खर्चो के तौर पर तालिबान लड़ाकों को सौंपा जाएगा। चूंकि यही लड़ाके अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के प्रतिष्ठानों की भी रक्षा कर रहे हैं। इस रकम से मासिक खाद्य भत्ते दिए जाएंगे। यह भत्ते पूर्ववर्ती अफगान सरकार और संयुक्त राष्ट्र के बीच हुए समझौते के तहत जारी किए जाएंगे।संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता फरहान हक ने कहा कि उनके अफसर विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं और बहुत असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। कई विशेषज्ञों ने प्रस्तावित सहायता पर सवाल उठाते हुए कहा कि तालिबान और उनके नेताओं की मदद करके संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका उन पर लगाए प्रतिबंधों का उल्लंघन कर रहे हैं।
इस बीच, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि अफगानिस्तान में हालात बिगड़ते ही जा रहे हैं। अगर अमेरिका काबुल की संपत्ति रिलीज कर दे और उसकी बैंकिंग प्रणाली का नकदीकरण कर दे तो हालात सुधर जाएंगे। ध्यान रहे कि विदेश में अफगानिस्तान की करीब नौ अरब डालर से अधिक की संपत्ति जब्त है। इमरान खान ने कहा कि अफगानिस्तान की आर्थिक परेशानी मानव रचित है।
गौरतलब है कि इसी साल अमेरिकी सेना के रवाना होने के बीच 15 अगस्त को तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। उसके बाद से अफगानिस्तान को मिलने वाली सभी अंतरराष्ट्रीय सहायता रकी हुई है। लिहाजा, अफगानिस्तान भीषषण आर्थिक संकट से जूझ रहा है। इसमें फिर बताएं कि तालिबान ने अगस्त में अफगानिस्तान में अमेरिका और नाटो की वर्षों की सैन्य उपस्थिति पूर्ण रूप से समाप्त होने के बाद देश की सत्ता पर कब्जा कर लिया था।
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