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ऐसे पा सकते हैं ट्रेन में छूटा सामान, जानिए रेलवे का नियम

July 05, 2022

ट्रेन (Train) में सफर करने से पहले भारतीय रेलवे (Indian Railways) हर समय आपकी यात्रा मंगलमय हो की शुभकामनाएं देता रहता है। जिससे आप जहां से जा रहे हैं और जहां जाना वहां तक आप ठीक तरह से पहुंच सकें, हालांकि ट्रेन (Train) से लंबा सफर होता तो बहुत आरामदायक और सुरक्षित है, इसके बाद भी कई बार लोग इस सफर के दौरान अपना मोबाइल, पर्स या कोई लगैज ट्रेन में ही भूल जाते हैं।

लेकिन क्या आपको पता है आपके इन कीमती सामानों का रेलवे क्या करती है। क्या आपको इस बात का पता है कि इस सामान को आप कैसे वापस पा सकते हैं। रेलवे के नियमों (Indian Railway Rules) के मुताबिक, इन खोए हुए और छूट गए सामानों को उनके मालिकों तक वापस पहुंचाने का एक पूरा प्रोसेस है। आइए इसके बारे में डीटेल्स में जानते हैं! 

बता दें हर ट्रेन की अपने गंतव्‍य स्‍टेशन (Destination Station) पर पहुंचने के बाद खाली गाड़ी की रेलवे सुरक्षा बल (Railway Protection Force) के एक अधिकारी के साथ स्टेशन स्‍टॉफ द्वारा चेक‍िंग की जाती है। इस चेक‍िंग में गाड़ी की सुरक्षा को ध्‍यान रखने के साथ ही यह भी देखा जाता है क‍ि कहीं क‍िसी यात्री का कोई जरूरी सामान सीट पर छूट न गया हो। कोई भी सामान म‍िलने पर उसे संबंध‍ित स्टेशन मास्टर (Station Master) के पास जमा कर दिया जाता है। इसके अलावा गाड़ी में या स्टेशन पर म‍िली क‍िसी लावारिस या बिना बुक की हुई वस्तु की एक रसीद बनाकर इसे स्टेशन मास्टर के पास जमा करा दिया जाता है।

संपत्ति रजिस्टर में दर्ज क‍िया जाता है सामान
आरपीएफ या अन्‍य रेलवे स्‍टॉफ की तरफ से जमा कराए गए सामान को खोई हुई संपत्ति के रजिस्टर में दर्ज किया जाता है। यहां उस सामान की ड‍िटेल मसलन वस्‍तु का नाम, वजन, अनुमानित कीमत आदि का रिकॉर्ड रखा जाता है। कोई बक्सा या संदूक म‍िलता है तो रेलवे सुरक्षा बल या रेलवे पुलिस की मौजूदगी में उसके सामान की लिस्ट बनाई जाती है। ल‍िस्‍ट की तीन कॉपी होती है। पहली कॉपी हुए सामानों के रजिस्टर में दूसरी संदूक में और तीसरी रेलवे सुरक्षा बल के पास रहती है। इसके बाद संदूक को सीलबंद कर दिया जाता है।

खोई हुई चीजें लौटाने का प्रोसेस
यदि खोई हुई संपत्ति के लिए कोई व्यक्ति संपर्क करता है और उससे स्‍टेशन मास्‍टर की संतुष्टि हो जाती है तो संबंध‍ित सामान उस व्यक्ति को दे द‍िया जाता है। दावेदार का पूरा पता खोई हुई संपत्ति के रजिस्टर में दर्ज होता है. रेलवे से वस्तु प्राप्‍त करने के बाद दावेदार के हस्‍ताक्षर भी रज‍िस्‍टर में कराए जाते हैं।



स्टेशन मास्‍टर पास इंकार करने का अध‍िकार
स्टेशन मास्‍टर को यदि दावेदार के असली मालिक होने पर शक होता है तो वह सामान को सौंपने से इंकार कर सकते हैं। इसके बाद मामला डिवीजनल कमर्शियल सुपरिटेंडेंट के पास जाता है। यहां पूरी छानबीन होने के बाद ही सामान को लौटाया जाता है।

चीज को असली माल‍िक तक पहुंचाने का न‍ियम
दूसरा न‍ियम यह है क‍ि स्टेशन मास्टर को खोई हुई संपत्ति को उसके असली मालिक तक पहुंचाने के लिए प्रयास करना चाह‍िए. क‍िसी सामान पर नाम या पहचान की जानकारी आद‍ि म‍िलने पर इसे उसके माल‍िक तक पहुंचाना आसान हो जाता है।

लॉस्ट प्रॉपर्टी ऑफिस में भेज दिया जाता है सामान
जब स्‍टेशन या ट्रेन में सामान छूटने के बाद उसे लॉस्ट प्रॉपर्टी ऑफिस में भेजे ब‍िना ही यात्री के सुपर्द कर द‍िया जाता है तो इस केस में यात्र‍ियों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता। ऐसे पैकेज को यात्रियों को बिना कोई शुल्क लिए ही लौटा दिया जाना चाहिए। सामान खोने या छूटने के बाद स्टेशन मास्टर 7 दिन तक इसे अपनी निगरानी में रखता है इसके बाद इसे लॉस्ट प्रॉपर्टी ऑफिस में भेज दिया जाता है।

इन मामलों में नहीं लगता है कोई चार्ज
ऐसे मामलों में जहां स्टेशन पर सामान खोने या छूटने के बाद बिना लॉस्ट प्रॉपर्टी ऑफिस में भेजे गए ही पैसेंजर्स को सामान वापस कर दिया जाता है, यात्रियों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। ऐसे पैकेज को यात्रियों को बिना कोई शुल्क लिए ही लौटा दिया जाना चाहिए।

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