मेडिकल और अस्पताल के बाहर मिल रहे हैं इंजेक्शन…तो रहे सावधान
इंदौर। मानवता के दुश्मनों ने आपदा के इस दौर में भी लोगों को लूटना शुरू कर दिया है। अभी तक रेमडेसिविर इंजेक्शन (Remedisvir Injection) ब्लेक में ही बिक रहे थे, लेकिन बाजारों में अब नकली इंजेक्शन (Injection) भी आ गए हैं, जिसे इस तरह से पहचाना जा सकता है।
ट्विटर पर मोनिका भारद्वाज ने असली और नकली रेमडेसिविर की पहचान को लेकर जानकारी शेयर की है। उन्होंने कहा कि नकली पैकेट पर जो प्रिंट हैं, उससे आसानी से नकली इंजेक्शन (Injection) को पकड़ा जा सकता है और हमेशा यह ध्यान रखे कि रेमडेसिवर पावडर में ही आता है, वह लिक्विड फॉम में नहीं आता है। नकली पैकेट पर अंग्रेजी में नाम के आगे Rx नहीं लिखा होता है। वहीं तीसरी लाइन में केपिटल में गलती है। असली इंजेक्शन (Injection) पर 100mg/Vial लिखा होता है, जबकि नकली इंजेक्शन पर जो v है वह स्माल लिखा होता है। इसके साथ ही ब्रांड नेम में भी गलती लिा होती है और पैकेट पर नाम में गेप होती है जो असली इंजेक्शन के पैकेट में नहीं होती है। इसके साथ ही नकली पैकेट पर For use in india लिखा हुआ है, जबकि नकली पैकेट पर जो द्घ है वह स्माल लेटर में लिखा है। इसके अलावा असली पैकेट के पीछे लाल रंग में वारनिंग लिखी होती है तो नकली पर काले रंग में। इसके साथ ही जो कंपनी यह इंजेक्शन बनाती है, उसके नाम में भी स्पेलिंग गड़बड़ होती है। इसके अलावा किसी विशेषज्ञ डॉक्टर को बताकर भी इंजेक्शन (Injection) खरीद सकते हैं।
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