भोपाल। धार जिले में कारम बांध फूटने के मामले में राज्य सरकार ने अभी तक किसी की भी जिम्मेदारी तय नहीं की है। न ही कोई जांच दल गठित किया है। इसको लेकर जल संसाधन विभाग फिर विवादों में पड़ गया है। विभाग में ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट करने और फिर उन्हें बहाल करने का काम बड़े स्तर पर होता आया है। यहां तक कि ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए विभाग के अफसरों को भी बदला जाता रहा है। जल संसाधन और नर्मदा घाटी विकास प्राधिकारण में काम कर रही सबसे बड़ी कंपनी मेंटाना इन्फ्रास्ट्रक्चर को ब्लैकलिस्ट करने के बाद 4 महीने के भीतर ही बहाल कर दिया गया था।
राज्य शासन ने 22 अगस्त 2018 को जल संसाधन विभाग से राधेश्याम जुलानिया को हटाकर पंकज अग्रवाल को प्रमुख सचिव बनाया था। इसके बाद सिवनी जिले के केवलारी में 2080 लाख और 3310 लाख रुपए की लागत से नहर निर्माण में देरी के मामले में मेंटोना इन्फ्रास्ट्रक्चर लि को बार-बार नोटिस भेजा। मंटोना कंपनी ने नोटिस का जवाब भी नहीं दिए। इसके बाद वैन गंगा कछार सिवनी के मुख्य अभियंता हर्ष सोनी ने 16 अक्टूबर 2017 को हैदराबाद की कंपनी मेंटोना इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रा लि को 3 साल के लिए निलंबित कर दिया था। निलंबन आदेश में शर्त जोड़ दी थी कि 90 दिन के भीतर मेंटोना कंपनी प्रमुख अभियंता के यहां अपील कर सकती है। इसके एक महीने बाद 23 नवंबर 2017 को जल संसाधन विभाग से प्रमुख सचिव पंकज अग्रवाल की विदाई तय हो जाती है और राधेश्याम जुलानिया को फिर से विभाग मिल जाता है। इसके बाद 3 फरवरी 2018 को जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव राजीव सुकलीकर 16 अक्टूबर 2017 को ब्लैकलिस्ट की गई मेंटोना इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रा लि को बहाल करने के आदेश जारी कर देते हैं। बहाली आदेश में तर्क दिया जाता है कि मेंटोना इन्फ्रास्ट्रक्चन प्रा लि ने प्रमुख अभियंता को अपील पेश करके काम समय पर और पूरी गुणवत्ता के साथ पूरा करने का आश्वासन दिया है। हालांकि बहाल होने के बाद मेंटोना इन्फ्रास्ट्रक्चन प्रा लि ने काम पूरी गुणवत्ता के साथ पूरा नहीं किया। बाद में पूरा मामला दबा दिया गया था।
कारम बांध बनाने वाली कंपनी को भी किया था बहाल
पंकज अग्रवाल के प्रमुख सचिव रहते कारम बांध बनाने वाली दिल्ली की कंपनी एएनएस कंस्ट्रक्शन प्रा लि का लाइसेंस भी निलंबित किया गया था। इस कंपनी पर पबई में बांध निर्माण में लापरवाही के आरोप लगे थे। इसके बावजूद भी राधेश्याम जुलानिया के जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव रहते एएनएस कंस्ट्रक्शन प्रा लि का लाइसेंस बहाल किया गया। इस कंपनी ने ई-टेंडरिंग घोटाले के जरिए 305 करोड़ का कारम बांध टेंडर हासिल किया। इस कंपनी ने पेटी कॉन्ट्रेक्ट पर ग्वालियर की कंपनी सारथी कंस्ट्रक्शन को काम दिया था।
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