नई दिल्ली: हिमालयी क्षेत्र में चीन से निपटने के लिए भारत को अब अमेरिका साथ मिल गया है. भारत ने हिमालय जैसे हाई एल्टीट्यूड इलाकों में चीन को पटखनी देने, सेना के हाथ मजबूत करने के लिए स्वदेशी लाइट टैंक विकसित किया है. ये लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में भारत को चीन पर बढ़त देने में मदद करेगा. अब इसके इंजन की सप्लाई भारत को अमेरिका से मिलने वाली है.
भारतीय सेना ने अमेरिका की कंपनी ‘Cummins’ को इंजन की सप्लाई के लिए चुना है. पहले जर्मनी की एक कंपनी इन इंजन की सप्लाई करने वाली थी. लेकिन बात नहीं बन सकी. इसकी भी एक खास वजह है.
भारत के ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ और ‘श्रीराम जन्मस्थली मंदिर’ जैसे इंपोर्टेंट प्रोजेक्ट संभालने वाली कंपनी लार्सन एंड टुब्रो इस टैंक को डेवलप करने पर काम कर रही है. पिछले साल ही सरकार ने इस टैंक को अनुमति दी थी. एलएंडटी भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के साथ मिलकर इस टैंक को डेवलप कर रही है.
एलएंडटी के इन टैंक में अब अमेरिकी कंपनी कमिन्स के इंजन लगेंगे. जर्मनी की कंपनी के इंजनों को उनके वजन के अनुपात के चलते इस्तेमाल में नहीं लाया गया. इसके अलावा जर्मनी के साथ डील क्रैक नहीं होने की एक और बड़ी वजह उनका ऑन टाइम डिलीवरी पर राजी नहीं होना था. इससे लाइट वेट टैंक को डेवलप करने के प्रोग्राम में देरी होती.
भारतीय सेना को वर्तमान में करीब 354 लाइट वेट टैंक की जरूरत है. उसे ये टैंक लद्दाख के इलाकों के लिए चाहिए. एलएंडटी और डीआरडीओ मिलकर ऐसे 59 टैक बनाएंगे. इसके बाद भारतीय सेना किसी दूसरी भारतीय कंपनी को ऐसे और टैंक बनाने का टेंडर निकालेगी.
भारतीय सेना ने चीन से निपटने के लिए ऊंचाई वाले कई इलाकों में अपने टी-72 और टी-90 टैंक को तैनात किया है. हालांकि 2 साल पहले सरकार को लगा कि भारत को हल्के वजन वाले टैंक की जरूरत है, ताकि चीन की चुनौती से अच्छे से निपटा जा सके.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved