मौसम कोई भी हो बच्चों की सेहत की देखभाल की चिंता उनके अभिभावकों को रहती है। यह अच्छी बात भी है। अभी तो वैसे भी ठंड का मौसम है जिसमें बड़े-छोटे सबको हिफाजत से रहने की सलाह दी जाती है। ऐसे मौसम में थोड़ी सी भी लापरवाही भारी पड़ सकती है। बच्चों का मन जितना चंचल होता है, उनकी शरारतें भी उतनी ही होती हैं। अगर बच्चों पर ध्यान न रखा जाए तो उनकी ये शरारतें उनके लिए स्वास्थ्य से जुड़ी कई मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं।
मसलन, आम दिनों में बच्चे नंगे पैर घर में इधर-उधर दौड़ते रहते हैं। मगर ठंड में तो ध्यान रखना पड़ेगा कि बच्चे नंगे पैर जमीन पर न दौड़ें। इस तरह का एहतियात इसलिए जरूरी है क्योंकि ठंड का मौसम बहुत सी बीमारियों को निमंत्रण देता है। हर साल जाड़े में लाखों मां-बाप बच्चों की बीमारियों को लेकर परेशान हो जाते हैं। नतीजतन बाल रोग विशेषज्ञों के पास बच्चों और अभिभावकों का मेला सा लग जाता है। ऐसे में अक्लमंदी इसी बात में है कि बच्चों के साथ पूरी सावधानी बरती जाए ताकि वे बीमार न पड़ें।
ठंड के दिनों में बच्चों को आवश्यकतानुसार परतों में कपड़े पहनाएं। इस बात का ध्यान रखें कि आप के बच्चे का सिर, गला और हाथ पूरी तरह ढके हुए हों। अलबत्ता बच्चों के कपड़े के चुनाव में हमें अतिरिक्त रूप से सावधानी बरतनी चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि ठंड के दिनों में बच्चों को ‘स्किन रैशेज’ का खतरा ज्यादा रहता है। ऐसे में बच्चों के कपड़ों का सही तरीके से चुनाव नहीं किया गया तो कुछ कपड़े बच्चों के लिए तकलीफदेह साबित हो सकते हैं।
ठंड में बच्चे भीगे नहीं
बच्चों को यह सिखाएं कि अगर खेलते वक्त वे भीग जाएं तो तुरंत आकर घर के बड़ों को बताएं। वैसे भी समय-समय पर बच्चों के कपड़ों को जांचते रहें कि कहीं वे भीग तो नहीं गए हैं। कई बार देखने में आता है कि कपड़े भीग जाने के बाद भी बच्चे घंटों खेलते रहते हैं। गौरतलब है कि बड़ों की तुलना में बच्चों का शरीर तापमान को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं होता है। इसीलिए आप को ख्याल रखना पड़ेगा कि बच्चे भीगे नहीं। इस मामले में थोड़ी भी लापरवाही भारी पड़ सकती है और बच्चे बीमार पड़ सकते हैं।
मौसमी बुखार
ठंड में पानी से भीगने से बच्चों को मौसमी बुखार का खतरा तो रहता ही है, साथ ही न्यूमोनिया का भी खतरा बना रहता है। न्यूमोनिया फेफड़ों पर असर करने वाला एक ऐसा संक्रमण है जिसकी वजह से फेफड़ों में सूजन होती है और उसमें एक प्रकार का गीलापन आ जाता है, जिससे सांस की नली अवरुद्ध हो जाती है और बच्चों को खांसी आने लगती है। यह बीमारी सर्दी-जुकाम का बिगड़ा हुआ रूप है जो आगे चल कर जानलेवा भी साबित हो सकती है। यह बीमारी जाड़े के मौसम में अधिकतर होती है।
कुछ और अहम बातें
-ठंड के दिनो में कभी-कभी कई दिनों तक धूप नहीं निकलती है। ऐसे मैं बच्चों को बाहर ठंड में न खेलने दें। बच्चों को केवल उन्हीं दिनों में बाहर खेलने दें जिस दिन मौसम अच्छा हो और धूप अच्छी निकली हो। जितनी देर बच्चे बाहर खेलें, आप उनके साथ रहें।
-ठंड का मौसम बहुत शुष्क होता है। और तो-और अगर आप कमरे को गरम रखने के लिए ब्लोअर का इस्तेमाल कर रहें हैं तो कमरे के अंदर नमी का स्तर बेहद कम हो जाएगा। इस वजह से बच्चों को ठंड के दिनों में नाक से खून आने लगता है, जिसे नकसीर फूटना भी कहते हैं। ठंड में आप को ध्यान देना है कि आप के बच्चे को नकसीर फूटने वाली स्थिति का सामना न करना पड़े।
-बच्चे जाड़े के दिनों में पानी कम पीते हैं। चूंकि यह मौसम थोड़ा शुष्क होता है इसलिए बच्चों को दिन भर तरल आहार देते रहने की आवश्यकता है। कोशिश करें कि आपका बच्चा दिन भर में आवश्यकता अनुसार पानी पी ले।
-अगर सारी कोशिशों के बाद भी बच्चा असामान्य या असहज महसूस कर रहा है तो आपकी कोशिश होनी चाहिए कि बच्चे को संपूर्ण आराम मिल सके। सोना और आराम करना भी एक तरीका है, जिसकी सहायता से बच्चे का शरीर संक्रमण से लड़ता है।
नोट– उपरोक्त दी गई जानकारी व सुझाव सामान्य जानकारी के लिए है इन्हें किसी प्रोफेशनल डॉक्टर की सलाह के रूप में न समझें । कोई भी बीमारी या परेंशानी होने की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें ।
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