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    यह लड़ाई है दीये और तूफान की: शुक्ला

  • November 10, 2023

    • पांच साल में मोतियों की तरह चुना परिवार… हर घर में मेरी मां और मेरे भाई-बहन…

    इन्दौर (Indore)। विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 1 के कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला के खिलाफ भाजपा ने अपने राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को खड़ा कर जहां चुनाव को दिलचस्प बना दिया है, वहीं उनका मुकाबला संजय शुक्ला द्वारा डटकर किया जा रहा है। संजय का कहना है कि यह चुनाव नहीं, बल्कि दीये और तूफान की लड़ाई है। इस दीपक की रक्षा जनता करेगी।

    आपके खिलाफ भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय हैं। उनका मुकाबला कैसे करेंगे?
    – भाजपा ने मेरे खिलाफ इतने बड़े नेता को खड़ा कर मेरी महत्ता स्वयं साबित कर दी है। यदि मैंने अपने इलाके के लिए सेवा भाव के साथ समर्थन नहीं जुटाया होता और इलाके के घर-घर में पैठ नहीं बनाई होती तो भाजपा को इतने बड़े नेता को खड़ा करने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। विजयवर्गीय का खड़ा होना ही यह साफ करता है कि भाजपा को यहां चुनाव हारने का डर था।

    सरकार कांग्रेस की नहीं रही तो विकास कैसे किया?
    – हमारी सरकार मात्र डेढ़ साल रही। इस दौरान हमने कई कार्यों की शुरुआत कर दी, लेकिन हमारी सरकार गिराने के साथ ही भाजपा की सरकार ने हमारे शुरू किए सारे काम रोक दिए। ऐसे में विपक्ष में रहते हुए विकास कार्य कराना बड़ी चुनौती थी, लेकिन मैंने अपने स्वयं के खर्चे पर विकास कार्यों का बीड़ा उठाया और क्षेत्र की जल समस्या के निदान के लिए कई बोरिंग करवाए, सडक़ें बनवाईं, धार्मिक आयोजनों की ऐसी शृंखला बनाई कि हर परिवार मानसिक संत्रास से मुक्त हो गया। बुजुर्गों को तीर्थ यात्राएं करवाईं। क्षेत्र के लोगों ने अपने जीवन में जनप्रतिनिधि के तौर पर ऐसी परिवारिकता नहीं देखी होगी, जो मैंने बनाई और घर-घर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

    क्या अनुभव रहा क्षेत्र में जनप्रतिनिधि के तौर पर?
    – मैंने इन पांच सालों में सत्ता और विपक्ष दोनों के रूप देखे। जब हमारी सत्ता थी तो 5 सालों की योजना बनाई और पहला साल योजना बनाने और स्वीकृत करने में ही पूरा हो गया। इसके बाद हमने योजनाओं को स्वीकृत कराने के प्रयास किए। सारी योजनाएं स्वीकृत भी हो गईं, जो एक बड़ी सफलता थी, लेकिन भाजपा ने षड्यंत्रपूर्वक न केवल हमारी सरकार गिरा दी, बल्कि हमारी स्वीकृत योजनाएं भी रद्द कर दीं। मेरे जैसे जनप्रतिनिधि के लिए यह एक ऐसा वक्त था कि कोई और होता तो निराश होकर बैठ जाता, लेकिन मैंने कभी लोगों को जनप्रतिनिधि की कमी महसूस नहीं होने दी।


    सरकार गिरने के बाद किन योजनाओं की प्राथमिकता थी?
    – सरकार गिरने के तत्काल बाद कोरोना फैल गया। घर-घर में लोग बीमार पडऩे लगे। सरकार ने बिना सोचे-समझे ऐसा लॉकडाउन लगाया कि एक ओर महामारी से संघर्ष था, दूसरी ओर घर में खाने के लिए दाने-दाने की मोहताजी होने लगी। वह समय मानवसेवा का ऐसा समय था कि मैंने और मेरे साथियों ने कोरोना काल में हर व्यक्ति तक पहुंचने का प्रयास किया। बीमार पड़ते लोगों को अस्पताल पहुंचाया। लोगों को खाने की व्यवस्था के लिए भंडार खोल दिए। वहीं मैंने अपने हाथों से खाना बनाया और लोगों तक पहुंचाया। मैं ऐसा पहला नेता था, जो जनता की सेवा के लिए घर से निकला, बल्कि सारे भाजपा विधायक प्रशासन की पीठ का सहारा लिए छिपते-दुबकते रहे। कोरोना काल ने मुझे मेरे क्षेत्र के हर घर के करीब ला दिया। मुझे भी वो मानवता की सेवा का ऐसा अहसास दिला गया कि लगा कि जिंदगी में दवाओं से ज्यादा दुआओं की जरूरत होती है। जब हम किसी परिवार की मदद करते थे तो हमें ढेरों दुआएं मिलती थीं और यही दुआएं इस चुनाव में मेरे काम आएंगी।

    इस क्षेत्र की समस्याएं क्या हैं?
    – सबसे बड़ी समस्या अवैध कालोनियां हैं। कालोनियों के अवैध होने से यहां न निगम जल प्रदाय करता है, न ड्रेनेज की व्यवस्था करता है, न पानी की टंकियां हैं और न ही खेल के मैदान। इस समस्या के चलते इलाके के लोग मूलभूत जरूरतों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हमने इन अवैध कालोनियों के नियमितीकरण की योजना बनाई, लेकिन सरकार गिरने से वह नहीं हो पाया। बाद में भाजपा की सरकार ने लगातार वादे किए, लेकिन कालोनियों के नियमितीकरण की घोषणाएं पूरी तरह खोखली साबित हुईं। हमारी सरकार बनते ही सबसे पहले इस क्षेत्र से अवैध कालोनियों का दाग मिटाया जाएगा और उसके बाद सडक़, पानी, बिजली की समस्याओं को दूर किया जाएगा।

    आपके जीतने की क्या संभावनाएं हैं?
    – इस क्षेत्र के लिए मैं हर परिवार का सदस्य हूं। लोगों ने मुझे परखा है। बीते पांच सालों में मैंने अपने घर के लिए जितना समय दिया उससे ज्यादा इस क्षेत्र के लिए दिया। उनकी हर समस्या को समझा और सुलझाया। मैंने अपना फर्ज निभाया। अब फर्ज निभाना इस क्षेत्र के मतदाताओं की जिम्मेदारी है।

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