नई दिल्ली। टोमैटो फ्लू को लेकर भारतीय वैज्ञानिकों (Indian scientists) ने दो टूक कहा है कि हाल ही में सामने आया अध्ययन तथ्यहीन है। यह वास्तविकता से एकदम अलग है और लोगों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। नई दिल्ली स्थित आईजीआईबी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विनोद स्कारिया ने कहा, अध्ययन में इस बीमारी का नाम टोमैटो फ्लू (Tomato Flu) दिया है, यह एकदम गलत है।
इस बीमारी को हाथ, पैर और मुंह का संक्रमण (एचएफएमडी) नाम से जानते हैं। भारत (India) में यह संक्रमण कोई नया नहीं है। 10 वर्ष तक की आयु के बच्चों में अक्सर ऐसे मामले मिलते हैं। यह बीमारी बच्चों में सामान्य और हल्के असर दिखाती है। करीब सप्ताह भर बाद बच्चे रिकवर भी हो जाते हैं। यह जन स्वास्थ्य को लेकर गंभीर नहीं है। अध्ययन में जो भी बातें शोधार्थियों ने कही हैं उन पर फिर से विचार करना जरूरी है। ब्यूरो
डॉ. स्कारिया ने कहा, कोरोना महामारी (corona pandemic) के दौर में संक्रामक बीमारियों को गंभीरता से लेना चाहिए, लेकिन हर संक्रमण कोरोना या फिर मंकीपॉक्स के समान बड़ी पंरेशानी भी नहीं है। वहीं, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की राष्ट्रीय टास्क फोर्स के सह-अध्यक्ष राजीव जयदेवन ने कहा, ऐसी बीमारी के लिए इस तरह के नाम का इस्तेमाल करना ठीक नहीं है। लोगों को लग सकता है कि यह टमाटर से आता है, जबकि यह सच नहीं है।
टोमैटो फ्लू फैलने की खबर से लोगों में दहशत है। इसलिए बीमारी के तथ्यों की जांच का सुझाव दिया है। यह सामान्य आबादी में जीवन के लिए खतरा नहीं है। -डॉ. धीरेन गुप्ता, बाल रोग विशेषज्ञ, सर गंगाराम अस्पताल
कोरोना मामलों में लगातार गिरावट, 9,531 नए केस
देश में कोरोना के मामलों में गिरावट देखने को मिल रही है। पिछले 24 घंटे में 9,531 नए मामले दर्ज हुए हैं। अब देश में कुल संक्रमित मामलों की संख्या बढ़कर 4,43,48,960 हो गई है। बीते दिन 26 मरीजों की संक्रमण के चलते मौत हुई है, जिसके चलते देश में मृतकों का कुल आंकड़ा 5,27,368 हो गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि देश में इस वक्त कोरोना के सक्रिय मामलों की संख्या 97,648 हो गई है।
वहीं, कोरोना मामलों में रिकवरी के आंकड़ों को देखा जाए तो ये संख्या अब 4,37,23,944 तक आ गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि तेजी से बढ़ता रिकवरी रेट भी कोरोना से बनी चिंता को घटाने में मदद कर रहा है। लोग कोरोना के संक्रमित तो हो रहे हैं, लेकिन गंभीर स्थिति कम ही मरीजों में पैदा हो रही है। अधिकतर मरीज एक हफ्ते के अंदर ठीक हो रहे हैं।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved