स्वस्थ जीवन के लिए हेल्दी डाइट का होना भी महत्वपूर्ण होता है। जब बात खाने की आती है तो फूड कॉम्बिनेशन अहम भूमिका निभाता है। अक्सर हम भोजन करते समय किसके साथ क्या खाना चाहिए, इस बात पर विशेष ध्यान नहीं देते हैं। लेकिन, आयुर्वेद (Ayurveda) के अनुसार, भोजन को लेकर कई ऐसे नियम बताए गए हैं जिनका पालन करना बेहद जरूरी होता है।
दरअसल, जानकारी ना होने के कारण कई बार हम ऐसी चीजों का सेवन कर लेते हैं जो शरीर के लिए नुकसानदायक होती हैं। गलत फूड कॉम्बिनेशन (food combination) का असर व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक दोनों स्वास्थ्य पर पड़ता है। ऐसे में खानपान में सही चीजों का तालमेल होना आवश्यक है।
आयुर्वेद के अनुसार, फलों को खाने की दूसरी चीजों के साथ खाना गलत माना जाता है। फल में नेचुरल शुगर होती है, जिससे ये बहुत जल्दी पच जाते हैं। वसा, प्रोटीन और स्टार्च से भरपूर खानपान की चीजों को अधिक पाचन की आवश्यकता होती है। इसलिए अगर आप भोजन के बाद फल खाते हैं, तो इसे पचाने में दिक्कत होगी और इसके पोषक तत्व आपको नहीं मिल पाएंगे।
आयुर्वेद के अनुसार, ताजा भोजन प्राण (जीवन शक्ति) और पोषक तत्वों से भरा होता है। रखे हुए भोजन में पोषक तत्व कम होने लगते हैं। इसे पचाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। इसलिए कोशिश करें कि ज्यादा देर का पका हुआ भोजन ना खाएं।
चाय में कैटेचिन नामक फ्लेवोनोइड्स (flavonoids) होते हैं, जो हृदय के लिए फायदेमंद माने जाते हैं। जब चाय में दूध मिलाया जाता है, तो दूध में पाया जाने वाला कैसिन प्रोटीन, कैटेचिन के कंसंट्रेशन को कम करता है। इसलिए चाय और दूध एक साथ लेने से बचें।
आयुर्वेद के अनुसार, दूध और केला सबसे भारी फूड कॉम्बिनेशन में से एक है। इनका एकसाथ सेवन शरीर में टॉक्सिन पैदा कर सकता है। अगर आप केला और दूध की स्मूदी पीने के शौकीन हैं तो इसमें इलायची और जायफल मिलाएं। अन्यथा इसे पचाने में दिक्कत हो सकती है।
भोजन के दौरान या तुरंत बाद कोल्ड ड्रिंक, आइसक्रीम (Ice Cream) या फ्रिज का रखा हुआ दही खाने से पाचन शक्ति (जिसे अग्नि कहा जाता है) कम हो जाती है। इससे पाचन समस्याएं, एलर्जी और जुकाम-सर्दी होने का खतरा बढ़ जाता है।
अगर आप किसी रेस्पिरेटरी (respiratory) या वायरल संक्रमण के लिए के लिए तुलसी कैप्सूल या टैबलेट ले रहे हैं, तो इसके तुरंत बाद दूध पीने से बचना चाहिए। दोनों के बीच कम से कम 30 मिनट का गैप बनाए रखें।
आयुर्वेद के अनुसार, खानपान की किसी भी लिक्विड चीजों को सॉलिड चीजों के साथ नहीं लिया जाना चाहिए। लिक्विड चीजें तुरंत आंतों में चली जाती हैं और सभी पाचक एंजाइम्स की क्षमता को कम कर देती हैं, जिससे डाइजेशन में दिक्कत होती है। भोजन से कम से कम 20 मिनट पहले या भोजन के एक घंटे बाद लिक्विड चीजें ले सकते हैं।
भोजन के दौरान गर्म पानी से पाचन में सहायता मिलती है। ज्यादा ठंडा पानी न पिएं क्योंकि शरीर को इसे पचाने में अधिक प्रयास करना पड़ता है। इसलिए भोजन के दौरान या भोजन के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए।
छाछ पाचन में मदद करता है जबकी दही पचने में भारी होता है। दोपहर के समय दही खाना अच्छा माना जाता है। क्योंकि इस समय पाचन क्षमता सबसे मजबूत होती है। दही अम्लीय प्रकृति का होता है। आयुर्वेद के अनुसार, दही पित्त और कफ को बढ़ाता है क्योंकि ये पेट में बहुत अधिक गर्मी पैदा करता है। दही पचने में भारी होता और इससे कब्ज की समस्या भी हो सकती है। इसलिए, कमजोर पाचन वाले लोगों को रात में इसके सेवन से बचना चाहिए।
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