नई दिल्ली। दुनियाभर में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर को लेकर चर्चा का बाजार गर्म है। कई देशों में कोरोना के मामले एक बार फिर से तेजी से बढ़ने लगे हैं, यह आंकड़े स्वास्थ्य संगठनों की चिंता बढ़ाने वाले हैं। कई रिपोर्टस में दावा किया जा रहा है कि कोरोना की तीसरी लहर, दूसरी लहर से भी गंभीर हो सकती है, इसमें रोगियों के मृत्युदर बढ़ने की भी आशंका जताई जा रही है।
इन सबके बीच हालिया अध्ययन में वैज्ञानिकों ने एक ऐसी दवा के बारे में बताया है जिससे अस्पताल में भर्ती कोरोना के मरीजों की मृत्युदर को 41 फीसदी तक कम करने का दावा किया जा रहा है। गौरतलब है कि जिस दवा का वैज्ञानिक जिक्र कर रहे हैं, उसे अब तक शरीर में कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए प्रयोग में लाया जाता रहा है।
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सैन डिएगो स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन में बताया गया है कि अस्पताल में भर्ती कोरोना के रोगियों की जान बचाने में स्टैटिन दवाएं काफी कारगर साबित हो सकती हैं। स्टैटिन दवाओं को एचएमजी-सीओए रिडक्टेस इनहिबिटर के रूप में भी जाना जाता है। यह दवाएं अब तक ब्लड लिपिड को कम करने के लिए प्रयोग में लाई जाती रही हैं।
कोरोना के गंभीर संक्रमण में फायदेमंद हो सकती है दवा : ‘प्लस वन’ नामक मेडिकल जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया कि स्टैटिन दवाएं, ज्ञात एंटी-इंफ्लामेटरी इफेक्ट और बाइंडिंग क्षमताओं के माध्यम सार्स-सीओवी-2 संक्रमण को रोक सकती हैं। ऐसे में माना जा सकता है कि यह दवाएं संभावित रूप से वायरस की प्रगति और रोग की गंभीरता को रोकने में फायदेमंद हो सकती है। जैसा कि स्टैटिन दवाएं, कोलेस्ट्रॉल बनाने वाली लिवर एंजाइम को अवरुद्ध करके रक्त कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में सहायक होती हैं, इसी आधार पर इसे कोरोना के गंभीर मामलों में भी मददगार माना जा रहा है।
एसीई2 रिसेप्टर को प्रभावित कर सकती हैं स्टैटिन दवाएं : अध्ययन के प्रमुख लेखक और यूसी सैन डिएगो हेल्थ में कार्डियोवास्कुलर इंटेंसिव केयर यूनिट के प्रोफेसर लोरी डेनियल कहते हैं, कोरोना महामारी की शुरुआत से ही उन दवाओं के उपयोग को लेकर शोध किए जा रहे हैं जो एसीई2 रिसेप्टर को प्रभावित करती हों, स्टैटिन भी उन्हीं में से एक है। इस अध्ययन के दौरान हमने जानने की कोशिश की, कि क्या यह दवाएं कोविड-19 के जोखिम को कम करने में भी सहायक हो सकती हैं? इस संबंध में हमें अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं।
कोमोरबिडिटी वाले रोगियों को मिल सकता है विशेष लाभ : अमेरिका के 104 अस्पतालों में भर्ती 10541 कोरोना रोगियों पर किए गए अध्ययन में वैज्ञानिकों को स्टैटिन के उपयोग के अच्छे परिणाम देखने को मिले। प्रोफेसर लोरी डेनियल कहते हैं, अध्ययन के निष्कर्ष में हमने देखा कि इस दवा से उन रोगियों को ज्यादा लाभ मिल सकता है जो पहले से हृदय रोग या उच्च रक्तचाप से ग्रसित थे। शोधकर्ताओं की टीम के अनुसार, ऐसे रोगियों में स्टैटिन या हापरटेंशन की दवाओं को प्रयोग में लाकर कोविड-19 के कारण मृत्यु के जोखिम को 32 फीसदी तक कम किया जा सकता है।
क्या हैं शोध के निष्कर्ष? : अध्ययन के निष्कर्ष में प्रोफेसर डेनियल कहते हैं, किसी भी अवलोकन संबंधी अध्ययन की तरह, हम निश्चित रूप से यह नहीं कह सकते कि स्टैटिन के उपयोग और कोविड-19 संक्रमण की गंभीरता में कमी के बीच हम जिन संबंधों का वर्णन कर रहे हैं, वे निश्चित रूप से सिर्फ स्टैटिन के कारण ही हैं। हालांकि यह जरूर कहा जा सकता है कि कोविड-19 मरीज में मृत्यु के जोखिम को काफी हद तक कम करने में इसकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो सकती है। इस बारे में फिलहाल और विस्तार से अध्ययन करने की आवश्यकता है।
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