नई दिल्ली: कोरोना के बाद पहली बार इस बार सामान्य परिस्थितियों में दिवाली का त्यौहार मनाया जाएगा. लिहाजा व्यापारियों की मानें तो इस बार चीनी सामानों के स्थान पर भारतीय सामानों का बड़े पैमाने पर खरीद और बिक्री होने की संभावना है. इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकल पर वोकल और आत्मनिर्भर भारत को बड़ी मजबूती भी मिलने की संभावना है. कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्ज (कैट) ने उम्मीद जताई है कि इस साल दिवाली के त्यौहारी सीजन के दौरान देश भर के बाजारों में लगभग 125 लाख करोड़ रुपये की व्यापार होने की संभावना है. साथ ही यह भी स्पष्ट है कि भारत के लोगों ने उत्सव के सामानों की खरीद-बिक्री के मामले में चीनी सामान की जगह अब भारतीय सामान को तरजीह देनी शुरू कर दी है.
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि देश भर से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष दीवाली त्यौहार सीजन बिक्री से देश भर में लगभग 125 लाख करोड़ रुपये का कारोबार होगा और चीन को सीधे तौर पर लगभग 50 हजार करोड़ रुपये का व्यापार घाटा हुआ. दिवाली के सीजन में पिछले वर्षों में चीन भारत में लगभग 50 हजार करोड़ रुपये के त्यौहार से जुड़े सामान भारत में बेचता था लेकिन गत दो वर्षों में भारतीय उपभोक्ता जो पहले सस्ता होने की वजह से चीनी सामान खरीदता था, अब उसके खरीदी व्यवहार में बड़ा परिवर्तन आ गया है और एक अब सीधे भारत में ही बने सामान की मांग करता है.
भरतिया और खंडेलवाल ने बताया कि रिटेल व्यापार के विभिन्न वर्गों जिसमें खास तौर पर भारत में बने एफएमसीजी उत्पाद, उपभोक्ता वस्तुएं, खिलोने, बिजली के उपकरण और सामान, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और सफेद सामान, रसोई के सामान, उपहार की वस्तुएं, मिठाई- नमकीन , घर का सामान, टेपेस्ट्री, बर्तन, सोना और गहने, जूते, घड़ियां, फर्नीचर, फिक्सचर ,वस्त्र, फैशन परिधान, कपड़ा, घर की सजावट का सामान, मिट्टी के दिए सहित दीवाली पूजा का सामान, सजावटी सामान जैसे दीवार की लटकने, हस्तकला की वस्तुएं, वस्त्र, घर द्वार पर लगाने वाले शुभ-लाभ, ओम, देवी लक्ष्मी के चरण आदि अनेक त्यौहारी सीजन वस्तुओं की बिक्री में बड़ा इजाफा होने की संभावना है.
भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि कैट के हिंदुस्तानी दिवाली मनाने के अभियान को देश भर में कैट के व्यापक समर्थन मिल रहा है. कैट के प्रयासों से इस वर्ष पहली बार दिवाली पर बड़ी संख्या में स्थानीय व्यापारिक संगठन लोकल कारीगरों, मूर्तिकारों, हस्तशिल्प श्रमिकों और विशेष रूप से कुम्हारों के बनाये उत्पादों को एक बड़ा बाजार देने की कोशिश में जुटे हैं. पूरे देश में बाजारों, कार्यालयों और घरों एवं दुकानों को मिट्टी से बने छोटे तेल के दीयों से सजाया जाएगा. पारंपरिक भारतीय सामानों का भी दुकानों और घरों को सजाने के लिए भी बड़ा इस्तेमाल होगा. इस बार का दिवाली त्यौहार भारतीय त्योहारों को मनाने की सांस्कृतिक विरासत और पारंपरिक तरीकों का सही चित्रण करेगा.
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