हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत आता है। एक महीने में दो बार प्रदोष व्रत आते हैं। एक शुक्ल पक्ष में और दूसरा कृष्ण पक्ष में आता है। इस बार का प्रदोष व्रत शनिवार को पड़ रहा है। इसलिए इसे शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat) कहेंगे। इस बार शनि प्रदोष व्रत 24 अप्रैल को है। इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती की पूजा होता है। भक्त भगवान शिव और माता पार्वती (Mata Parvati) की विधि- विधान से पूजा करते हैं। वहीं कुछ लोग भगवान शिव के लिए व्रत रखते हैं।
माना जाता है कि भगवान शिव अपने भक्तों से सबसे जल्दी प्रसन्न होते हैं। जो भी सच्चे दिल से उनकी पूजा -अर्चना करता है, भगवान शिव उसके सभी कष्टों को दूर करते हैं। आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व के बारे में।
इस बार प्रदोष व्रत पर ध्रुव योग बन रहा है। ध्रुव योग(Dhruv Yoga) सुबह 11 बजकर 43 मिनट तक रहेगा। इसके बाद सूर्य मेष राशि में प्रेवश करेंगे और चंद्रमा सिंह और कन्या राशि में गोचर करेंगे। इस योग में इमारत, भवन आदि का काम कराना शुभ होता है। इस योग में गाड़ी या कोई भी वाहन खरीदना अशुभ होता है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
24 अप्रैस को शाम 7 बजकर 17 मिनट से रात 9 बजकर 3 मिनट तक कर सकते हैं। प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय में की जाती है।
प्रदोष व्रत के नियम
शास्त्रों के अनुसार, प्रदूोष व्रत निर्जला रखा जाता है। वहीं कुछ लोग फलहारी भी रखते हैं। इस दिन सुबह- सुबह उठकर स्नान कर व्रत का संकल्प लेते हैं। फिर दूध सेवन कर पूरा दिन उपवास (fast) करते हैं और शाम के समय पूजा करके फलों का सेवन करते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा (Worship) करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।
शनि प्रदोष व्रत महत्व
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का खास महत्व है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। हालांकि शनि प्रदोष व्रत के दिन पूजा- पाठ करने से निसंतान लोगों और दंपतियों को संतान की प्राप्ति होता है।
नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved